पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि 2016 में लोकतंत्र व उत्तराखण्डियत का अपहरण करने वाले षड्यंत्रकारियों और कथित वीआईपी में कहीं कोई समानता तो नहीं
2016 के स्टिंग को लेकर भाजपा के मंत्री सौरभ बहुगुणा के हरक सिंह पर प्रहार से मामले में नया मोड़
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। साल 2016 के बहुचर्चित स्टिंग पर सीबीआई नोटिस मिलने के बाद प्रदेश की राजनीति में तूफान मचा हुआ है। पूर्व सीएम हरीश रावत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत बयानबाजी तेज करते हुए भाजपा को लपेटने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
स्टिंग से स्वंय को ‘मासूमियत’ से अलग रखते हुए हरक सिंह ने पूर्व सीएम के पुत्र साकेत बहुगुणा व उमेश कुमार को लपेटा। इस चर्चित स्टिंग को लेकर पूर्व सीएम व साकेत बहुगुणा ने सामने आकर कोई टिप्पणी तो नही की।
अलबत्ता, विजय बहुगुणा के दूसरे सुपुत्र व मंत्री सौरभ बहुगुणा ने हरक सिंह रावत पर कड़े प्रहार करते हुए कहा कि स्टिंग उनके ही घर में हुआ ऐसे में वो कैसे अनजान बन सकते हैं। सौरभ के प्रहार के बाद हरक सिंह का माकूल जवाब आना बाकी है।
गौरतलब है कि 2016 में विजय बहुगुणा के करीबी हरक सिंह ने विधानसभा के अंदर हरीश रावत सरकार गिराने में अहम भूमिका निभायी थी। हरक सिंह को विजय बहुगुणा कैम्प में नंबर दो की हैसियत प्राप्त थी। और उस समय हरक भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद हरक सिंह की विजय बहुगुणा कैम्प से दूरी बढ़ गयी।
इधर, सात साल बाद दोनों स्टिंग के केन्द्र में रहे पूर्व सीएम हरीश रावत, हरक सिंह रावत,विधायक मदन सिंह बिष्ट व उमेश कुमार के वॉइस सैंपल लिए जाने बाकी है। इसके बाद सीबीआई स्टिंग में खरीद फरोख्त , लेनदेन समेत अन्य मसलों पर गौर करेगी। अगर सही दिशा में जॉच बढ़ी तो स्टिंग से जुड़े कई अन्य चेहरे बेनकाब होने की उम्मीद है।
बहरहाल,स्टिंग की उठी लपटों के बीच पूर्व हरीश रावत ने जबरदस्त फायर झोंक दिए। 2016 में हरीश रावत सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वालों पर बातों ही बातों में गहरी चोट करते हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े वीआईपी की ओर इशारा करते हुए सोशल मीडिया पर लंबी चौड़ी पोस्ट लिख मारी।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल पोस्ट में वनन्तरा रिसॉर्ट में आने वाले वीआईपी और किसी दिन व्यवस्था देखने मौके पर पहुँचे व्यक्ति के भूगोल का भी जिक्र कर प्रदेश सरकार से सवाल पूछ डाले।
पूर्व सीएम ने कहा कि लोकतंत्र व उत्तराखण्डियत के अपहरण के दो बड़े षड्यंत्रकारी हमारी अस्मिता में हाथ डालने रिसॉर्ट में पहुंचे। हरदा ने यह भी पूछा कि ये वीआईपी कौन जिस पर सरकार मौन.. है।
सीबीआई नोटिस के बाद पूर्व सीएम ने अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े वीआईपी का मुद्दा उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश की । दरअसल, अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर अभियुक्तों के नार्को टेस्ट के बाबत भी ठोस फैसला नहीं हो पाया है। नार्को टेस्ट के बाद वीआईपी की थ्योरी से भी पर्दा उठने की संभावना है।
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया की पोस्ट का सार
अंकिता_भंडारी हत्याकांड उत्तराखंड के मानस को उद्वेलित करने वाला हत्याकांड! अंकिता ने हत्या होने से पहले अपने दोस्त को जो संदेश भेजा उसमें उसने कहा कि कल एक #VIP रिजॉर्ट में आने वाला है, जिसको स्पेशल सर्विस देने के लिए मुझसे कहा जा रहा है, जिसके लिए मैने इंकार कर दिया है, मुझे डराया धमकाया जा रहा है। यह भी बात प्रकाश में आई कि उस वीआईपी की रिजॉर्ट में व्यवस्था देखने के लिए पहले दिन एक नाटे कद का व्यक्ति पहुंचा था जिसके साथ कुछ सुरक्षा कर्मी भी थे। ये लोग उस रिजॉर्ट में अंकिता के रूप में हमारी अस्मिता पर हाथ डालने गए थे और यदि आप गहराई से आने वाले वीआईपी और व्यवस्था देखने वाले का अपने मन में चित्र बनाएंगे, तो 2016 में जो उत्तराखंड में लोकतंत्र और उत्तराखंडियत का अपहरण करने के षड्यंत्रकारी थे, उन #षड्यंत्रकारियों में दो प्रमुख षड्यंत्रकारियों के चेहरे रिजॉर्ट में हमारी अस्मिता पर हाथ डालने के लिए पहुंचे, उनके चेहरे मोहरे में बड़ा साम्य दिखाई देता है, जरा अपने मानस पटल में दोनों चित्रों को उभारने की कोशिश करिये, 2016 में भी उनमें से वो वीआईपी बहुत सक्रिय था उत्तराखंड में और अंकिता की हत्या से पहले भी उत्तराखंड में वो कई दिनों से यहां के आतिथ्य का सुख ले रहे थे। व्यवस्था करने वाले वही व्यक्ति थे जो उस बार 2016 में उनके निकटतम सहयोगी थे। सरकार की जानकारी में भी तथ्य है, मगर वीआईपी कौन, जिस पर सरकार है मौन? मुझे उम्मीद है कि जैसे-जैसे 2016 का प्रकरण आगे स्पष्ट होता जायेगा, तो ये चित्र भी सरकार चाहे न चाहे लोगों के सामने स्पष्ट होते जाएंगे।
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