2003 के हरक-जैनी मामले में भाजपा के दबाव के आगे बिखर गई थी कद्दावर तिवारी सरकार
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को देना पड़ा था इस्तीफा
अविकल थपलियाल
देहरादून। दुष्कर्म के आरोप में घिरे उत्तराखण्ड के भाजपा विधायक महेश नेगी के मसले पर महिला आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया है।
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उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजय बड़थ्वाल ने अल्मोड़ा के एसएसपी को पत्र लिख कर मामले की जांच के लिए कहा है। और 29 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा है। (देखें पत्र)
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महिला आयोग के इस कदम के बाद विधायक महेश नेगी पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है। हालांकि, देहरादून पुलिस की जांच भी जारी है। विधायक की पत्नी रीता नेगी पीड़िता के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज करवा चुकी है। उधर, पीड़िता भी अपनी बेटी और विधायक महेश नेगी के डीएनए मिलान को लेकर पांच पेज की तहरीर दे चुकी है। वीडियो-आडियो के जरिये भी विधायक को गरिया रही है। विधायक से अपनी जान को भी खतरा बता रही है।
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इस बीच, पीड़िता के जमकर मुखर होने के बावजूद कांग्रेस का रुख भी बहुत ढीला नजर आ रहा हैं। तीन दिन बाद भी कांग्रेस सड़क पर उतरने के बजाय महज बयानबाजी तक सीमित दिख रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने डीएनए जांच की मांग का समर्थन किया है। लेकिन राज्ययपाल,मुख्यमंत्री व विधानसभाध्यक्ष को उचित संचैधनिक कार्रवाई के लिए कोई पहल नही की है।
उल्लेखनीय है कि 2003 में कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत (अब भाजपा में) पर भी असमी लड़की इंद्रा देवड़ी उर्फ जैनी ने अपने बच्चे के पिता होने का आरोप लगाया था। उस समय भाजपा ने विधानसभा के अंदर और बाहर तूफान खड़ा कर दिया था। तत्काल मुख्यमंत्री तिवारी ने विधानसभा की सर्वदलीय जांच कमेटी बनाकर नयी मिसाल कायम की थी।
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मंत्री हरक सिंह ने 18 जून 2003 को विधानसभा के अंदर भाषण देने के साथ ही त्यागपत्र देकर स्वंय सीबीआई जांच की मांग उठा दी थी। लगभग 1 साल बाद हरक सिंह रावत सीबीआई व डीएनए जांच में पाक साफ निकल गए थे। उत्तराखण्ड के इस चर्चित सेक्स स्कैंडल से बरी होने के बाद हरक सिंह रावत ने कोई भी विधानसभा चुनाव नही हारा। और आज भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
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उस समय 2003 में जो दबाव व आक्रामक राजनीति भाजपा ने की थी, वैसा दृश्य कांग्रेस में नही दिख रहा। सड़क पर कहीं कोई विरोध नही दिखा। जबकि पीड़िता वीडियो, आडियो व तहरीर देकर भाजपा विधायक पर खुलकर बमबारी कर रही है। महिला कांग्रेस ने भी अभी तक चुप्पी नही तोड़ी है। त्रिवेंद्र सरकार के लिए यह एक संकट की घड़ी है। अगर कायदे से जांच हो गयी तो विधायक महेश नेगी के खिलाफ काफी सबूत निकल आएंगे।
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