पुलिस-प्रशासन ने तैनात कर रहा रैपिड एक्शन, पैरामिलिट्री व स्थानीय पुलिस बल, लाइसेंसी हथियार करवाये जा रहे जमा, तनाव बढ़ा, जुलूस,कीर्तन व दुआओं का दौर भी जारी.सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद
हाईकोर्ट के आदेश के बाद रेलवे की जमीन पर बने 4365 अवैध मकान तोड़े जाएंगे,पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम धामी को लिखा पत्र.सपा सांसद आज हल्द्वानी में लेंगे जायजा
अविकल उत्तराखण्ड
हल्द्वानी/देहरादून। हाईकोर्ट के आदेश के बाद हल्द्वानी के बनफूलपुरा में रेलवे की जमीन पर बरसों बरस से बसे हजारों परिवारों को हटाने की कवायद 8 जनवरी के बाद कभी भी शुरू हो सकती है। स्थानीय पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाने की मुनादी कर चुका है। हाईकोर्ट से निराश प्रभावित लोगों को अब सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद बंधी हुई है।
हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्याय के लिए कैंडल मार्च, जुलूस, सभाएं, प्रदर्शन, कीर्तन व दुआओं का दौर भी जारी है। सर्द मौसम में महिलाएं,बुजुर्ग व छोटे बच्चे सड़क पर उतरे हुए हैं। तनाव की आहट भी साफ सुनाई दे रही है।
आरपीएफ व पीएसी की पांच-पांच कंपनियां मौके पर तैनात कर दी गयी हैं। बैरिकेडिंग समेत अन्य सुरक्षा इंतजाम किये जा रहे हैं। चार दिन बाद पैरामिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी हल्द्वानी पहुंच जाएगी। इस बीच, पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम धामी को पत्र लिख जाड़े के मौसम में 50 हजार लोगों के सड़क पर आ जाने का मुद्दा उठाया( देखें e पत्र)। इसके अलावा आज बुधवार 4 जनवरी को उत्तर प्रदेश के सपा सांसद एसटी हसन के नेतृत्व में कई पार्टी नेता हल्द्वानी के प्रभावित लोगों से मिलेंगे।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट नैनीताल ने 27 दिसंबर को बनभूलपुरा,ढोलक व गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर 4365 अवैध मकानों को हटाने के आदेश किये थे। इस आदेश के बाद रेलवे, पुलिस व प्रशासन आवश्यक पुलिस बल की तैनाती में जुटा है।
डीएम धीराज गर्ब्याल के आदेश पर बनफूलपुरा इलाके के लाइसेंस शस्त्र लाइसेंस भी थाने में जमा करने के आदेश हो चुके हैं। प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा की भी आशंका है।
अवैध अतिक्रमण की जद में हजारों मुस्लिम परिवारों के अलावा लगभग तीन दर्जन हिंदु परिवार भी आ रहे हैं। इसके अलावा, कुछ कार्यालय भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। कुल 2.2 किलोमीटर के इलाके में अवैध अतिक्रमण चिन्हित किये गए हैं।
उल्लेखनीय है कि साल के पहले दिन हाईकोर्ट के निर्देश पर एक रेलवे अतिक्रमण के बाबत सार्वजनिक नोटिस प्रकाशन और दो जनवरी को मुनादी कराते हुए एक सप्ताह में सभी अतिक्रमणकारियों को कब्जा हटा लेने की चेतावनी दे दी है।
माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड को हरीश रावत का पत्र “ई पत्र”
माननीय मुख्यमंत्री जी, ढोलक बस्ती, वनभूलपुरा आदि स्थानों पर वर्षों-वर्षों से बसे हुए लोगों को हटाने का रेलवे/प्रशासन/नगर पालिका का निर्णय केवल कानूनी पक्ष नहीं है, यह एक मानवीय पक्ष भी है, एक प्रशासनिक पक्ष भी है, हल्द्वानी कुमाऊं और उत्तराखंड की आर्थिक गतिविधियों का प्रमुखतम् केंद्र है। यहां का सामाजिक सौहार्द हमेशा उच्च स्तर का रहा है,यदि 50 हजार से ज्यादा लोग अपने रिहायशी मकानों व झोपड़ियों से हटाए जाएंगे तो, ये जायेंगे कहां?
एक अशांति का वातावरण पूरे हल्द्वानी में और कुमाऊं के अंचल में फैलेगा, सौहार्द टूटेगा और जो राज्य का मानवीय पक्ष है, जो हमारे नागरिक हैं उनको छत मिले उस पर आंच आयेगी, राज्य से लोग सवाल करेंगे? इस कड़कती ठंड में आपने केवल कानूनी पक्ष देखकर या कानून के गलत इंटरप्रिटेशन के आधार पर 50 हजार लोगों से उनकी छत छीन ली, उनकी आजीविका समाप्त कर दी, हमारे राज्य की तस्वीर पर भी इसका असर पड़ेगा।
कुछ लोग आज भले ही चुप हों, जब स्तिथियां बिगड़ेंगी तो वो लोग भी सरकार के विवेक पर उंगली उठाएंगे। मैं न्यायिक निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मगर मैं राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर जो आपका एक अभिभाविकी कर्तव्य है, एक गार्जन के रूप में वो आपसे अपेक्षा करता हूं कि आप इस समस्त प्रकरण को मानवीय दृष्टिकोण से देखें और इसका समाधान निकालें, लोगों से भी बातचीत करें, रेलवे से भी बातचीत करें, इसी में गोला के किनारे-किनारे रिवरफ्रंट डेवलप करके कुछ अतिरिक्त भूमि निकालकर रेलवे की आवश्यकता की कैसे आपूर्ति हो और कैसे लोगों के घर बस सकते हैं, इसका रास्ता ढूंढा जाना चाहिए जो उत्तराखंड के नागरिक हैं उसके प्रति हम सबका मानवीय कर्तव्य है, अन्य सवालों से बड़ा है।
इसलिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखें और हस्तक्षेप कर लोगों को आस्वस्थ करें कि घर टूटेंगे नहीं और टूटेंगे तो एक योजनाबद्ध तरीके से आपको बसाने के लिए टूटेंगे। रहा सवाल हमारे कर्तव्य का हम तो केवल इतना भर कर सकते हैं कि जब घर तोड़ने के लिए हथोड़ा उठेगा हम उसके आगे बैठ सकते हैं, समाधान का दायित्व आपके हाथों में है, इसलिए मैं सार्वजनिक रूप से आपसे अपील करता हूं।
धन्यवाद,
आपका,
हरीश रावत
uttarakhand
Pushkar Singh Dhami
2007 में हो चुका है हल्द्वानी में बवाल
2007 में भी रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने की कोशिश हुई थी। लेकिन बवाल हो जाने और कार्रवाई रोक दी गुई। इस बीच,नैनीताल हाई कोर्ट के सख्त आदेश के बाद सरकारी मशीनरी फिर हरकत में आई।
2013 में हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी ने गौला नदी में अवैध खनन को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। यह कहा गया कि अवैध बस्तियों में रहने वाले खनन करते हैं। इसके बाद अवैध अतिक्रमण चिन्हित किये गए। बाद में संशोधित PIL पर चली सुनवाई के बाद 27 दिसंबर को हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अतिक्रमण हटाने संबंधी सख्त आदेश दिए हैं। पुलिस,प्रशासन व खुफिया विभाग अतिक्रमणकारियों कक हलचल पर विशेष निगाह रखे हुए हैं। कांग्रेस समेत अन्य दल प्रभावित लोगों को बसाने की मांग के साथ जाड़ों में अतिक्रमण तोड़े जाने की तैयारियों का विरोध कर रहे हैं।
पुलिस-प्रशासन की तैयारी
अतिक्रमण हटाने के लिए 14 कंपनी सेंट्रल पैरामिलेट्री फोर्स और 5 कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स की डिमांड की है. इसके अलावा गढ़वाल मंडल से लगभग 1000 पुलिस के सिपाही और होमगार्ड की भी डिमांड की गई है. फोर्स 8 जनवरी तक हल्द्वानी पहुंच जाएगी – आईजी नीलेश आनंद भरणे
बनभूलपुरा में हजारों परिवारों को उजाड़ना चिंताजनक: निजामुद्दीन
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन ने कहा कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। एक ओर केंद्र सरकार प्रत्येक बेघर को घर देने की बात कर रही है, दूसरी ओर से वर्षों से बसे हुए परिवारों को बेघर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जिस भूमि पर हजारों परिवार वर्षों से बसे हुए हैं, उस भूमि पर सरकारी विभाग अतिक्रमण का दावा कर रहे हैं।
नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश
डीएम नैनीताल का आदेश
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