डबरा के नरभक्षी गुलदार को पहले पकड़ो नहीं तो मार दो, चीफ लाइफ वार्डन का आदेश देखें

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने पौड़ी गढ़वाल के डबरा, चौबट्टाखाल में 10 जून की सुबह महिला को मारने वाले गुलदार को पहले पिंजड़ा लगाकर पकड़ने के आदेश दिए। पकड़ में नही आने पर नष्ट/ मारने के आदेश दिए है। महिला को मारने के 6 घण्टे का अंदर गुलदार को मारने/पकड़ने के आदेश किये गए। ग्रामीणों के प्रबल विरोध के बाद गुरुवार की शाम को यह आदेश दिए। सुहाग ने गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ को इस संबंध में विस्तृत आदेश दिए।

जंगल में छिपा गुलदार

गुलदार के हमले में मारी गयी गोदम्बरी देवी की घटना “अविकल उत्त्तराखण्ड में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। खबर के बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आई और वन्य जीव प्रतिपालक ने गुलदार को मारने व पकड़ने के आदेश दिए। गुलदार सुबह से ही गांव के आसपास घूम रहा है। ग्रामीणों ने जंगल में छिपे गुलदार को कैमरे में भी कैद किया। (नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर पढिये गुलदार का हमला और ग्रामीणों का आक्रोश)

गोदम्बरी देवी

मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के आदेश की हूबहू भाषा

प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग द्वारा अपने पत्रांक 6246/ 6-3 1 10 जून 2021 से अवगत कराया गया है कि वन प्रभाग के अन्तर्गत पश्चिमी अमेली रें में आज दिनांक 10 जून 2021 को पूर्वाह्न लगभग 11:30 बजे श्रीमती गोदाम्बरी देवी आयु 55 वर्ष, ग्राम डबरा मजगांव) को गुलदार द्वारा मार दिया गया है। उक्त घटना से गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है एवं क्षेत्रीय जनमानस में आकोश बना हुआ है। अभी भी गुलदार घटनास्थल के आस-पास बना हुआ है। गुलदार के मानव जीवन के लिये खतरनाक होने के कारण ग्रामीणों द्वारा यह मांग एवं दबाव बनाया जा रहा है कि जब उक्त गुलदार को मारने के आदेश दिये जायेंगे, तभी घटना स्थल से शव को अग्रिम कार्यवाही हेतु ले जायेंगे। प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग द्वारा उक्त घटना के दृष्टिगत उक्त क्षेत्र में गुलदार को पिंजडा लगाकार पकड़ने / मारे जाने की अनुमति चाही गयी है।

इस विषय में उल्लिखित पत्र पर विचार करते हुए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथा संशोधित 2006 की धारा 11 (1) क से प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए गढ़वाल वन प्रभाग के अन्तर्गत उक्त क्षेत्र में मानव जीवन के लिये खतरनाक गुलदार को सर्वप्रथम पिंजडा लगाकार / टैकुलाइज कर पकड़ने एवं सम्पूर्ण प्रयासों के पश्चात् भी पकड़ में न आने की दशा में ही नष्ट करने हेतु अनुमति प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग को अनुमति निम्न शर्तों के साथ प्रदान की जाती है।

  1. इस कार्यालय के पत्रांक 4377 / 25-5 दिनांक 03.02.09 द्वारा दिये गये निर्देशों का अनुपालन करना सुनिश्चित करेगें।
  2. गुलदार के पगमार्ग स्थलों से ले लिये तथा मानव जीवन के लिये खतरनाक हुये गुलदार को ट्रैक कर लिया तथा गुलदार को पकड़ने / नष्ट करने के बाद इसकी पुष्टि कर ली जाय कि पकडा / नष्ट किया गया गुलदार वही है।
  3. यह आज्ञा जारी होने के दिनांक से 01 माह तक वैध रहेगी और इस अवधि के उपरान्त स्वतः समाप्त हो जायेगी। उक्त आदेश पर कृत कार्यवाही की सूचना तत्काल इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय एवं यदि उक्त 01 माह की समयावधि के भीतर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है तो उसकी सूचना अवधि समाप्त होने की तिथि के अगले कार्यालय दिवस में आवश्यक रूप से इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय।
  4. पकडे / नष्ट किये गये गुलदार को किसी राजपत्रित अधिकारी की उपस्थिति में ही दूरस्थ प्राकृतवास में छोड़ने / नष्ट करने की कार्यवाही की जायेगी।

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