शासन की समिति ने निदेशक बीना भट्ट का पक्ष ही नहीं सुना
उत्त्तराखण्ड शासन में सचिव बनाम निदेशक विवाद हाईकोर्ट की दहलीज पर
राज्य स्तरीय पांच सदस्यीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति के निर्णय के विरोध में हाईकोर्ट पहुंची संस्कृति निदेशक बीना भट्ट
शासन की समिति का फैसला- पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर पर लगे आरोप प्रशासनिक स्तर के हैं। यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। उत्त्तराखण्ड शासन से जुड़े एक हाईप्रोफाइल उत्पीड़न के मामले में बिना शिकायतकर्ता की सुने शासन की समिति ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को क्लीन चिट दे दी। मामला संस्कृति निदेशक बीना भट्ट व सचिव दिलीप जावलकर के बीच का है। यौन उत्पीड़न शिकायत समिति के इस फैसले के खिलाफ संस्कृति निदेशक ने हाईकोर्ट की शरण ली है। बीना भट्ट ने कहा कि समिति ने उनका पक्ष सुने बिना ही एकतरफा आरोपों का निस्तारण कर दिया।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में आहूत राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की बैठक में बीना भट्ट के आरोपों को यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं माना गया। प्रथम दृष्टया यह कहा गया कि संस्कृति निदेशक की शिकायत मूलतः प्रशासनिक प्रवृति की है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विषय से सबंधित नहीं है।
संस्कृति निदेशक बीना भट्ट ने कहा कि समिति ने बिना उनका पक्ष सुने एकतरफा फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में वो हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दे चुकी हैं। उन्हें विश्वास है कि उत्पीड़न के इस मामले में हाईकोर्ट से न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी वह आने प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट जा चुकी है।
गौरतलब है कि संस्कृति निदेशक ने 2 फरवरी 2021 को उत्त्तराखण्ड शासन व 5 फरवरी को राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्र भेज सचिव दिलीप जावलकर पर उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। (नीचे देखें पूरी खबर)
इसके बाद शासन ने अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति का गठन किया था। समिति की 1 अप्रैल 21 को हुई पहली बैठक में सचिव दिलीप जावलकर से लिखित पक्ष लिए जाने का फैसला किया गया। सचिव दिलीप जावलकर ने कई पन्नों का लिखित वक्तव्य समिति को दिया।
इसके बाद 23 जून की बैठक में परीक्षण के बाद पाया कि यह प्रकरण मूलतः विभागीय व प्रशासनिक प्रक्रियाओं से सम्बन्धित है व सुश्री बीना भट्ट द्वारा प्रस्तुत शिकायत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विषय से सम्बन्धित नही है। समिति का मत है कि इस प्रवृत्ति की शिकायतों के लिये राज्य स्तरीय समिति उचित फोरम नही है। अतः सर्वसम्मति से राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति द्वारा विचाराधीन प्रकरण को तद्नुसार निक्षेपित किये जाने का निर्णय लिया जाता है।
राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की बैठक के कार्यवृत्त का मजमून
दिनांक 23 जून 2021 को अपर मुख्य सचिव, कार्मिक एवं सतर्कता विभाग, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में आहूत राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की बैठक का कार्यवृत्त
बैठक की उपस्थिति निम्नानुसार है
श्री राजेन्द्र सिंह,प्रमुख सचिव न्याय विभाग, उत्तराखण्ड शासन
श्रीमती राधिका झा,सचिव, ऊर्जा विभाग, उत्तराखण्ड
श्री हरि चन्द्र सेमवाल- शासन सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास
श्री वी० मुरुगेशन- कानून एवं व्यवस्था, पुलिस मुख्यालय, देहरादून
सुश्री झरना कमठान अपर सचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग, उत्तराखण्ड शासन
2 राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली के अर्द्ध पत्र संख्या-8 / 3109 / 2021 / एन0सीडब्लू / आरडी / डीएस दिनांक 23.02.2021 के साथ प्राप्त सुश्री बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति निदेशालय, उत्तराखण्ड की शिकायत दिनांक 05.02.2021 व उत्तराखण्ड शासन को प्रेषित शिकायत दिनांक 02.02.2021 के सम्बन्ध में राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की प्रथम बैठक दिनांक 01.04.2021 को आहूत की गई। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के आलोक में प्राप्त शिकायत पर सम्यक विचारोपरान्त निर्णय लिया गया कि सुश्री बीना भट्ट की शिकायत के सम्बन्ध में सचिव, संस्कृति, उत्तराखण्ड शासन की पक्ष ज्ञात कर समिति द्वारा अग्रेत्तर कार्यवाही की जाये।
3 राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति की बैठक दिनांक 23.06.2021 में उपर्युक्त प्रकरण में सचिव, संस्कृति, उत्तराखण्ड शासन से प्राप्त पत्र संख्या 775 / नि०स० स० संस्कृति / शिका० / 2021 दिनांक 12.04.2021 का अवलोकन किया गया।
श्रीमती बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति निदेशालय के शिकायत पत्र दिनांक 05.02.2021 के अध्ययन से प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि उनकी शिकायत मूलतः प्रशासनिक प्रकृति की है, जिसमें उनके द्वारा निदेशक, संस्कृति के पद पर स्वयं की पदोन्नति की मांग की गई है व संस्कृति विभाग में महानिदेशक के पद के सृजन का विरोध किया गया है। अपनी मांगों को लेकर श्रीमती बीना भट्ट द्वारा मा० उच्च न्यायालय नैनीताल में रिट याचिका संख्या एस बी 104 / 2020 भी दायर की गई थी।
5 श्री दिलीप जावलकर, सचिव, संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड शासन के पत्र दिनांक 12.04.2021 द्वारा श्रीमती बीना भट्ट की शिकायत पर अपना पक्ष प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उनके द्वारा स्फ्ट किया है कि उपर्युक्त शिकायती पत्र में एक भी आरोप कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 की धारा 2 (बी में दी गई यौन उत्पीड़न की परिभाषा में नहीं आता है। विभागीय सचिव होने के नाते उनके द्वारा श्रीमती बीना भट्ट से स्थापित नियमों एवं प्रक्रियाओं के अन्तर्गत ही विभागीय कार्य करने की अपेक्षा की गई थी, जिनका शिकायतकर्ता (श्रीमती बीना भट्ट के जैण्डर से कोई सारोकार नहीं था।
सम्यक् विचारोपरान्त समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि श्रीमती बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग को प्रेषित शिकायत दिनांक 05.02.2021 व उत्तराखण्ड शासन को प्राप्त शिकायत दिनांक 02.02.2021 की विषयवस्तु उनके व्यक्तिगत विभागीय प्रकरण यथा उनकी पदोन्नति, विभागीय जांच आदि से सम्बन्धित है।
इस प्रकार की शिकायतो का निस्तारण स्थापित प्रक्रिया के अधीन ही किया जाता है, राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति के स्तर पर इस प्रकार के विषयों पर निर्णय लिया जाना समीचीन प्रतीत नही होता है। श्रीमती बीना भट्ट को अपनी शिकायतों के समाधान हेतु प्रशसनिक व्यवस्था व न्यायिक व्यवस्था के अन्तर्गत सक्षम स्तरों पर आवेदन के अवसर उपलब्ध रहे है, जिनका उपयोग उनके द्वारा किया गया है।
7- राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति द्वारा सुश्री बीना भट्ट के शिकायत पत्रों व सचिव, संस्कृति, उत्तराखण्ड शासन के प्रतिउत्तर का गहनता से परीक्षण किया गया, जिसमें दृष्टिगत हुआ कि यह प्रकरण मूलतः विभागीय व प्रशासनिक प्रक्रियाओं से सम्बन्धित है व सुश्री बीना भट्ट द्वारा प्रस्तुत शिकायत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विषय से सम्बन्धित नही है। समिति का मत है कि इस प्रवृत्ति की शिकायतों के लिये राज्य स्तरीय समिति उचित फोरम नही है। अतः सर्वसम्मति से राज्य स्तरीय यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति द्वारा विचाराधीन प्रकरण को तद्नुसार निक्षेपित किये जाने का निर्णय लिया जाता है। राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव / अध्यक्ष
यह था मामला- 2 फरवरी 2021 में निदेशक ने सचिव पर लगाये आरोप
ब्रेकिंग-महिला निदेशक ने सचिव पर लगाया उत्पीड़न का आरोप, शासन में खलबली
संस्कृति निदेशक बीना भट्ट ने सचिव दिलीप जावलकर के खिलाफ खोला मोर्चा
कहा, सचिव चरित्र पर करते हैं अशोभनीय टिप्पणी
ठेकेदार राजेश रावत व एक महिला की एनजीओ को काम देने का बनाते हैं दबाव
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। उत्त्तराखण्ड में कार्यरत महिला अधिकारी ने विभागीय सचिव पर उत्पीड़न का आरोप लगा कर सनसनी मचा दी है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी को लिखे चार पेज के पत्र में संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने प्रभारी सचिव दिलीप जावलकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा कि सचिव ने उत्पीड़न की सारी सीमाएं लांघ दी।
इस मुद्दे पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। संस्कृति विभाग में 2009 से निदेशक पद पर तैनात बीना भट्ट ने अपने चार पेज के पत्र में सचिव जावलकर पर कई आरोप लगाए है।
बीना भट्ट ने कहा कि सचिव व अपर सचिव/,महानिदेशक ने कर्मचारियों के सामने महिला होने,कार्य कुशलता व चरित्र पर अशोभनीय टिप्पणी कर नीचा दिखाने का प्रयास किया। जबकि उन्हें राज्यपाल व सीएम कार्यालय से कई बार प्रशंसा पत्र मिल चुके हैं।
संस्कृति निदेशक ने कहा कि उनके प्रमोशन की फ़ाइल को सचिव ने ढाई साल तक दबाए रखी। यही नही, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 07 सितम्बर 2020 में जब उन्हें प्रमोशन मिला तो सचिव महोदय ने तत्काल 18 सितम्बर को विभाग में महानिदेशक का पद सृजित कर आनंद स्वरूप की नियुक्ति कर दी।
संस्कृति निदेशक ने आरोप लगाया कि सचिव महोदय ठेकेदार राजेश रावत व एक एनजीओ को टेंडर/ठेका दिलाने का दबाव डालते रहे हैं। संस्कृति निदेशक बीना भट्ट ने बाकायदा ठेकेदार राजेश रावत का मोबाइल नंबर भी दिया है।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि राजेश रावत के जरिए उन्हें धमकी भी दी गयी है। भारत सरकार की योजना के तहत हरिद्वार के घाटों में ऑडियो विसुअल्स फैसिलिटी से जुड़े टेंडर देने के लिए उन पर भारी दबाव बनाया गया। और मानसिक उत्पीड़न किया गया।
हर की पैड़ी में टेंडर मिलने के बाद ठेकेदार राजेश रावत ने सामान की आपूर्ति नही की। इसके अलावा ऋषिकेश के आस्था पथ का टेंडर सचिव के प्रिय राजेश रावत को नहीं मिलने पर उनका मानसिक उत्पीड़न किया गया। एक महिला की एक अन्य स्वंय सेवी संस्था को भी काम देने का सचिव महोदय भारी दबाव बनाते है। यही नहीं, नौकरी से निकालने की भी बार बार धमकी देते है। पत्र में तत्कालीन अपर सचिव व महानिदेशक आनन्द स्वरूप को भी कठघरे में खड़ा किया गया है।
इसके अलावा चार पेज के शिकायती पत्र में सचिव दिलीप जावलकर की कार्यप्रणाली पर कई आरोप लगाए है। शासन में कई गयी शिकायत के बाद अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी पूरे मामले की जांच कर रही है। इस हाईप्रोफाइल मामले को लेकर शासन व सत्ता के गलियारों में तूफान आया हुआ है।
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केजरीवाल की प्रेस वार्ता
ब्रेकिंग- 300 यूनिट बिजली फ्री , ईमानदार नेता आप में आएं- केजरीवाल
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