सरकार, कार्मिक संगठनों का नेतृत्व कर रहे दीपक जोशी से भयभीत है। सचिवालय संघ के चुनाव होने हैं। सरकार किसी भी तरह से वर्तमान अध्यक्ष दीपक जोशी को सचिवालय संघ के चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करना चाहती है।
बोले, जांच अधिकारी ने सरकार के दबाव और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तैयार की रिपोर्ट
हड़ताल से विचलित सरकार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से ले रही बदला
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। कर्मचारी नेता दीपक जोशी के मामले में उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाईज एसोेसिएशन का मत है कि जांच अधिकारी ने सरकार के दबाव और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर रिपोर्ट तैयार की है। सरकार, मार्च में 18 दिनों की हड़ताल से विचलित है और उसी का प्रतिशोध एसोसिएशन के पदाधिकारियों से ले रही है।
मंगलवार को एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि जांच अधिकारी ने सरकार के इशारे पर अपनी रिपोर्ट में उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाईज एसोेसिएशन को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त न होना और आंदोलन को अविधिक बताया है। जबकि, एसोसिएशन 13 सितंबर 2019 को सोसाइटी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत किया गया है।
पदाधिकारियों ने कहा कि जांच रिपेार्ट में संघ का कार्यकाल खत्म होने पर बयानबाजी को गलत होने बताया गया है। जबकि, यदि कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हो जाए तो जब तक नई कार्यकारिणी चयनित नहीं होती तब तक किसी भी संघ/संगठन के वर्तमान अध्यक्ष/महामंत्री संगठन के क्रियाकलापों के बारे में बायन देने के लिए पूर्ण रुप से अधिकृत रहते हंै।
एसोसिएशन के महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसांई ने कहा कि जांच अधिकारी ने अपनी जांच के दायरे से बाहर जाकर ऐसे बिन्दु जिसे सेशन जज देहरादून द्वारा निस्तारित किया जा चुका है, में भी दोषारोपण सिद्ध किया है, यह जांच अधिकारी पर सरकार के दबाव को दर्शाता है। साथ ही जांच रिपोर्ट में प्रयुक्त ‘आपराधिक प्रवृति‘ जैस शब्द को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
मीडिया प्रभारी वीके धस्माना ने कहा कि मार्च में 18 दिन की हड़ताल समाप्ति के समय सरकार ने किसी भी पदाधिाकारी/सदस्य का उत्पीड़न नहीं करने का भरोसा दिया था, लेकिन अब इस तरह कर्मचारी विरोधी जांच करके सरकार ने अपना असली रुप उजागर किया है।
पत्रकार वार्ता में डीएस सरियाल, एसपीएस देवरा, सीएल असवाल और मुकेश बहुगुणा आदि मौजूद थे।
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