आदेश-कर्मचारी हड़ताल पर सख्ती काम नहीं तो वेतन नहीं

सचिवालय संघ ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर किये गए प्रदर्शन के बाद सरकार का फैसला

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। चुनावी साल में प्रदेश में कर्मचारियों की हड़ताल के मद्देनजर शासन ने सख्त रुख़वॉन्टे हुए नो वर्क नो पे का ऐलान करते हुए संगठनों को चेतावनी जारी की है। मंगलवार 7 दिसंबर को मुख्य सचिव डॉ एस एस सन्धु ने कर्मचारी हड़ताल व बाधा पहुंचाने की स्थिति में एक्शन लेने के आदेश दिए हैं। सचिवालय संघ ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर किये गए प्रदर्शन के बाद शासन को यह फैसला लेना पड़ा।

मुख्य सचिव के आदेश की मूल भाषा

राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत कार्मिकों के द्वारा प्रदर्शन / हड़ताल / कार्य बहिष्कार के सम्बन्ध में।

महोदय,

कृपया उपर्युक्त विषयक शासनादेश संख्या 04/XXX (2) /2013 दिनांक 08 जनवरी, 2013 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसके द्वारा यह स्पष्ट करते हुए कि राज्याधीन सेवाओं से सम्बन्धित कार्मिकों के द्वारा प्रदर्शन तथा हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अन्तर्गत प्रतिबन्धित है, कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कार्मिकों के द्वारा हड़ताल / कार्य बहिष्कार किए जाने की स्थिति में कार्य नहीं तो वेतन नहीं, के सिद्धान्त को लागू करने सहित अन्य कतिपय दिशा-निर्देश निर्गत किए गए थे।

2 शासन के संज्ञान में यह आया है कि शासन द्वारा विभिन्न कर्मचारी संगठनों की मांगों पर समय-समय पर कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता करते हुए उनकी कतिपय मांगे स्वीकार की गयी है, इसके बावजूद भी कुछ कर्मचारी संगठनों के कार्य बहिष्कार प्रदर्शन अथवा हड़ताल जैसी गतिविधियों में संलग्न होने अथवा कार्मिकों को तत्सम्बन्धी आह्वान करने की संभावना है जोकि व्यापक जनहित में नहीं है। इसके अतिरिक्त यदा-कदा कार्य करने हेतु इच्छुक अन्य कार्मिकों के कार्य सम्पादन में बाधा पहुंचाने का प्रयास भी किया जाता है जोकि भारतीय दण्ड संहिता के आलोक में भी दण्डनीय अपराध है। इन परिस्थितियों में सम्यक विचारोपरान्त कार्मिकों के द्वारा राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के प्राविधानों के प्रतिकूल कार्य बहिष्कार / प्रदर्शन / हड़ताल की स्थिति उत्पन्न किए जाने की घटना के सम्बन्ध में निम्नवत् कार्यवाही किए जाने का निर्णय लिया गया है –

(1) कार्य नहीं तो वेतन नहीं के सिद्धान्त के अनुरूप हड़ताल / कार्य बहिष्कार पर रहने वाले कार्मिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष द्वारा हड़ताल पर रहने वाले कार्मिक का विवरण आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध कराया जायेगा तथा कोषागार द्वारा तदनुसार निर्दिष्ट अवधि के वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। यदि किसी कार्यदिवस के पूर्ण बहिष्कार के स्थान पर घंटों के आधार पर सामयिक बहिष्कार किया जाता है तो कार्य बहिष्कार के आठ घंटों को एक कार्यदिवस मानकर तदनुसार कुल का बहिष्कार के दिवसों / घंटों के लिए अनुपातिक गणना एवं कटौती की जायेगी।

(2) प्रत्येक विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों में कार्मिकों की उपस्थिति की कड़ाई से जांच की जायेगी और यदि कोई कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के उपरान्त कार्य नहीं करते हैं तो उन्हें भी हड़ताल / कार्य बहिष्कार में सम्मिलित माना जायेगा एवं उनके सम्बन्ध में भी उपरोक्तानुसार कार्यवाही की जायेगी।

हड़ताल / कार्य बहिष्कार अवधि को बाद में किसी भी दशा में उपार्जित अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश के रूप में आगणित / समायोजित नहीं किया जायेगा, बल्कि इस अवधि को सम्बन्धित कार्मिक की सेवा में व्यवधान माना जायेगा।

(4) हड़ताल / कार्य बहिष्कार अवधि में अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर किसी भी कार्मिक को सामान्य रूप से अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा।

(5) जिन सेवाओं में अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम के प्राविधान प्रभावी हैं, वहां उक्त अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।

(6) हड़ताल / कार्य बहिष्कार की अवधि में जो कार्मिक कार्य पर आते हैं, उन्हें पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जायेगी।

(7) विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष का यह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होगा कि उपरोक्तानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाय और इसमें किसी प्रकार की शिथिलता की दशा में उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जायेगी।

कृपया उपर्युक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पांडे एंव शक्ति प्रसाद भटट प्रदेश महामंत्री ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आज परिषद द्वारा आनन्द वर्धन, अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार को पत्र प्रेषित कर यह अवगत कराया गया है, कि प्रान्तीय रक्षक दल एंव युवा कल्याण कर्मचारियों एंव विकासखण्डों व जनपदों में तैनात विभिन्न विभागों में तैनाथ फील्ड कर्मचारियों एंव सभी सहायक विकास अधिकारियों यथा- सहायक खण्ड विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी (पंचायत),सहायक विकास अधिकारी (सांख्यकी),सहायक विकास अधिकारी (कृषि), सहायक विकास अधिकारी (उद्यान), सहायक विकास अधिकारी (सहकारिता), बाल विकास सुपरवाइजर, ए0एन0एम0, क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी, महिला कल्याण, गन्ना पर्यवेक्षक, निरीक्षक खाद्य एंव आपूर्ति, पशुपालन, आबकारी विभाग,आर0टी0ओ0 विभाग, वन विभाग, आदि द्वारा कोविड-19 के दौरान अपनी डयूटी करते हुए कोविड के नियंन्त्रण एंव पीडितों की देखभाल में पूर्ण सहयोग किया गया तथा इस सम्बन्ध में प्रान्तीय रक्षक दल एंव युवा कल्याण कर्मचारी संघ उत्तराखण्ड तथा अन्य विभिन्न विभागीय संगठनों द्वारा परिषद को अवगत कराया गया है कि मा0मुख्यमंत्री जी द्वारा की गयी घोषणा संख्या 719(12/गगगअ-4/घो0/2021 दिनांक 28.8.2021 के अन्तर्गत ब्लाक स्तर पर कोविड-19 में तैनात रहे इन विभागों के समस्त कार्मिकों को आच्छादित नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध मे उनके द्वारा सन्दर्भित कार्मिकों को भी उपरोक्त सन्दर्भित मा0 मुख्यमंत्री की घोषणा के अन्तर्गत आच्छादित किये जाने हेतु कार्यवाही किये जाने के लिए परिषद से अनुरोध किया गया है।

उक्त के क्रम में परिषद द्वारा अपर मुख्य सचिव, महोदय से अनुरोध किया गया है कि मा0 मुख्यमंत्री जी की उपरोक्त घोषणा के क्रम में विभ्न्नि विभागों में कार्यरत सभी सहायक विकास अधिकारियों एव समस्त क्षेत्रीय युवा कल्याण एंव प्रान्तीय रक्षक दल अधिकारियों को भी इस प्रोत्साहन राशि से आच्छादित करवाने हेतु अपने स्तर से सम्बन्धित को निर्देशित करने का कष्ट करेगें, जिससे सन्दर्भित कार्मिकों केा भी कोविड-19 की अवधि में उनके द्वारा किये जा रहे सराहनीय कार्यों एंव सेवाओं हेतु रू0 10000 की एक मुश्त प्रोत्साहन राशि प्राप्त हो सके एंव उनका मनोबल भी बना रहे। श्री पांडे द्वारा बताया गया कि आज ही अपर मुख्य सचिव, महोदय को यह भी अवगत कराते हुए पत्र प्रेषित किया गया कि कनिष्ठ अभियंता (संविदा) उत्तराखण्ड समिति (लोक निर्माण विभाग) द्वारा अपनी एक सूत्रीय मांग “नियमितिकरण” के समर्थन में विगत दिनंाक 16 नवम्बर 2021 से धरना स्थल एकता विहार देहरादून में क्रमिक रूप से अनिश्चितकालीन हडताल पर बैठे हैं।

समिति द्वारा परिषद को अवगत कराया गया है कि लोक निर्माण विभाग में सविदा पर कार्यरत समस्त कनिष्ठ अभियतां न्युनतम 07 वर्ष एंव अधिकतम 13 वर्षों की सेवा पूर्ण कर चुके हैं, एंव उनके द्वारा उनकी सेवा को नियमित करने की मांग के समर्थन में माननीय जनप्रतिनिधिगण, माननीय विधायकगण, माननीय मंत्रीगण, एंव माननीय मुख्यमंत्री के साथ ही उत्तराखण्ड शासन से भी अनुरोध किया जा रहा है, किन्तु वर्तमान तक किसी भी प्रकार की सकारात्मक कार्यवाही न किये जाने के कारण उनके द्वारा आन्दोलन किया जा रहा है।

समिति द्वारा अपने आन्दोलन को शक्ति प्रदान करने हेतु राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखण्ड से भी अनुरोध किया गया है। जिसके क्रम में परिषद द्वारा अपर मुख्य सचिव, महोदय से अनुरोध किया गया है कि कनिष्ठ अभियंता (संविदा) उत्तराखण्ड समिति (लोक निर्माण विभाग) द्वारा किये जा रहे आन्दोलन के दृष्टिगत समिति के पदाधिकारियों से उनकी समस्याओं का वार्ता कर सामाधान हेतु सक्षम अधिकारी को अपने स्तर से निर्देशित करने का कष्ट करंेगे।

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