भिक्षावृति में लिप्त 1430 बच्चे स्कूल में हुए दाखिल
“ऑपरेशन मुक्ति”- भिक्षा नहीं, शिक्षा दें / Support to educate a child
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। राज्य में भिक्षावृति में लिप्त बच्चों को शिक्षा देने के लिए आज से एक बार फिर आपरेशन मुक्ति अभियान शुरू कर दिया गया है। यह अभियान आज 1 अगस्त से शुरू होकर 30 सितम्बर, 2022 तक चलेगा। अभियान की थीम “भिक्षा नहीं, शिक्षा दें” व “Support to educate a child” है। अभियान के अन्तर्गत अभी तक भिक्षावृत्ति से हटाकर कुल 1430 बच्चों का स्कूल/डे केयर होम में दाखिला कराया गया है।
बीते महीने पूर्व डीएम डॉ राजेश कुमार ने पुलिस प्रशासन की मदद से दून में जगह जगह भीख मांग रहे बच्चों का सामाजिक संस्थाओं के जरिये रेस्क्यू किया था। ऐसे बच्चों को अब शिक्षित करने का बीड़ा उठाया गया है।
पुलिस महकमे में 2017 में “ऑपरेशन मुक्ति” का एक अभिनव प्रयोग किया। आर्थिक रूप से निर्बल, बेसहारा बच्चों को भिक्षावृत्ति के मार्ग से हटाकर शिक्षा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने की पहल की। इस मिशन को “ऑपरेशन मुक्ति” का नाम दिया गया। तब से यह अभियान लगातार चलाया जा रहा है।
डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि इस मुहिम में लोगों को भी जागरूक किया गया है कि वह बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा देकर अपना कर्तव्य निभाएं। इससे बच्चों को अपना बचपन जीने को मिलेगा। शिक्षा के अभाव में कुछ बच्चे अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। इनके स्कूल जाने से अपराध की प्रवृति में भी रोक लगेगी।
ऑपरेशन मुक्ति अभियान तीन चरणों में चलाया जाता हैः-
प्रथम चरणः-(Observation Period) भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों व उनके परिवारों का पूर्ण विवरण संलग्न प्रारूप में तैयार करना तथा ऐसे बच्चे जिनका विद्यालयों/डे केयर में दाखिला किया जाना है, का चिन्हिकरण करना।
दूसरा चरणः-(Awareness/Enforcement Period) समस्त स्कूल-कॉलेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चौराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों आदि स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में बैनर, पोस्टर, पम्पलेट, नुक्कड़ नाटक, लाउड स्पीकर, Short Movie व सोशल मीडिया आदि के माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाकर जनता को जागरूक करना।
तृतीय चरणः-(Enforcement/Rehab Period) भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनके तथा उनके माता-पिता की कॉउन्सलिंग कर बच्चों को शिक्षा प्रदान करने तथा उनके माता-पिता को रोजगार दिलाने का प्रयास करना। बच्चों के पुनः भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके माता/पिता पर अभियोग पंजीकृत कर कार्यवाही करना तथा किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डी0एन0ए0 टेस्ट की कार्यवाही करना।
अभियान के अन्तर्गत जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल में चार टीमों (उपनिरीक्षक-1, आरक्षी-4) का गठन किया गया है। शेष जनपदों में एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम द्वारा उक्त अभियान को चलाया जा रहा है। रेलवेज में भी एक टीम का गठन किया गया है।
“ऑपरेशन मुक्ति” अभियान के दौरान बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधि0 2016 (संशोधन) की धारा 3 व 3ए के अपराध, किसी भी प्रकार के गैंग के प्रकाश में आने अथवा किसी अपराध का होना पाये जाने पर तत्काल सम्बन्धित अधिनियम व धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। साथ ही बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने में यदि बच्चे का वास्तविक प्रभार अथवा नियंत्रण रखने वाले की भूमिका पायी जाती है, तो किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 76 के अनुसार नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
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