उपनिवेशवाद से मुक्ति दिलाने के लिए महिलाओं ने संघर्ष किया-राष्ट्रपति

तिरुवनंतपुरम में पहला राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन

महिलाओं के अधिकारों को न केवल सुनिश्चित करना जरूरी है बल्कि उन अधिकारों का क्रियान्वयन भी आवश्यक- उत्तराखंड स्पीकर

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला विधायकों के राष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन.

अविकल उत्तराखंड

तिरुवनंतपुरम। तिरुवनंतपुरम में आहूत दो दिवसीय राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन में उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति करते हुए कई मील के पत्थर पार किए हैं। इसके बावजूद भी महिलाओं के लिए वास्तव में स्वतंत्र समान स्थिति के सपनों को पूरी तरह से साकार करने के लिए अभी भी बहुत सारी चुनौतियां मौजूद हैं।उन्होंने कहा कि इस दिशा में सबको एकजुट हो कर राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है|

भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में केरल विधानसभा की मेजबानी में देश में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को किया।

उद्घाटन सत्र के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने देश में लैंगिक समानता की नींव रखी। उन्होंने उन महिलाओं के प्रेरणादायी योगदान को याद किया जिन्होंने उपनिवेशवाद से मुक्ति दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया। उन्होने कहा कि महिलाएं जीवन के चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही हैं और कोविड महामारी से मजबूती से लड़ने में महिलाओं ने अपनी सूझबूझ दिखाई। उन्होंने कहा कि गांधी जी के कुशल नेतृत्व में असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की उत्‍कृष्‍ट भागीदारी रही है।

राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन के सत्र के दौरान ‘संविधान एवं महिलाओं के अधिकार’ विषय पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता”। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अंतर्गत महिलाओं को कई सांविधानिक अधिकार प्रदान किए गए हैं,समय-समय पर संविधान में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए संशोधन किए जाते रहे हैं| विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान में दिए गए महिलाओं के अधिकारों के बारे में विस्तृत रूप से अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि अभी भी पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए उनके अधिकारों को न केवल सुनिश्चित करना जरूरी है बल्कि उन अधिकारों का क्रियान्वयन भी आवश्यक है।

सम्मेलन में पहले दिन 26 मई को प्रथम सत्र में संविधान और महिलाओं के अधिकार और दूसरे सत्र में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका विषय पर चर्चा हुई। दूसरे दिन 27 मई को तीसरे सत्र में महिलाओं के अधिकार और विधिक कमियां पर चर्चा के साथ आखिरी सत्र में निर्णय निर्माण निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी संबंधी विषय पर मंथन किया गया।

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आयोजन की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, विधानसभा अध्यक्ष एम.डी. राजेश, मंत्री वीना जॉर्ज, आर. बिंदु, जे. चिंचुरानी, विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन और विभिन्न राज्यों के महिला सांसदों तथा विधायकों ने इस समारोह में भाग लिया। इसके अलावा राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, मीडिया और न्यायपालिका का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रतिष्ठित महिलाओं ने सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में वक्ताओं के रूप में भाग लिया।

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