उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने 20 दिसम्बर के आदेश में विभागीय अधिकारियों को अविलंब कार्रवाई करने को कहा
चुनाव आचार संहिता लगने से पहले परिसम्पत्तियों का बंटवारा धरातल पर उतारने की चुनौती
लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार आलोक उपाध्याय की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
लखनऊ/देहरादून। बीते नवंबर माह की 18 तारीख को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ व उत्त्तराखण्ड के सीएम पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में बहुप्रतीक्षित परिसम्पत्तियों के बंटवारे के बाबत हुए फैसलों पर उत्तर प्रदेश शासन ने एक महीना बीत जाने के बाद अविलंब कार्रवाई के लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा है। उक्त बैठक में दोनों सीएम की मौजूदगी में बंटवारे से सम्बंधित कुछ बिंदुओं पर अहम निर्णय लिए गए थे। बाद में यूपी कैबिनेट ने निर्णयों पर अपनी मुहर लगाई।
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने 20 दिसंबर 2021 के अपने आदेश में सिंचाई, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, वन, परिवहन व आवास एवं पर्यटन विभाग के अधिकारियों को 18 नवंबर की बैठक के कार्यवृत के अनुसार अविलंब कार्रवाई करने को कहा है। परिसम्पत्तियों के बंटवारे के सम्बंध में हुई बैठक के कार्यवृत पर उत्त्तराखण्ड राज्य पुनर्गठन विभाग के सचिव डॉ रंजीत सिन्हा व उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार के हस्ताक्षर हैं। 18नवंबर की मुख्यमंत्री बैठक में दोनों राज्यों के आलाधिकारी शामिल हुए थे।
गौरतलब है कि राज्य गठन के 21 साल में दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों का मसला लटका हुआ था। बीते नवंबर माह में योगी-धामी की लखनऊ में हुई बैठक के बाद कई लंबित मसलों के हल होने की आस बंधी। बैठक के फैसले मीडिया की सुर्खियां भी बने। इधर, एक महीने बाद उत्तर प्रदेश शासन ने परिसम्पत्तियों से जुड़े विभागों के अधिकारियों को दोनों सीएम की बैठक के फैसले से जुड़े एजेंडे पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पत्र के साथ बिंदुवार विभागीय फैसले के एजेंडे की प्रति भी नत्थी की गई है।
योगी-धामी की बैठक के लगभग एक महीने बीत जाने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव के पत्र से यह भी साफ हो रहा है कि अभी तक सम्बंधित विभागों ने परिसम्पत्ति बंटवारे से जुड़े फैसलों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
इधर, उत्त्तराखण्ड के लगभग हर चुनाव में परिसम्पत्तियों का मुद्दा छाया रहता है। और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस इस मुद्दे को नये सिरे से भुनाने की कोशिश में रहेंगे । जनवरी के दूसरे सप्ताह तक चुनाव आचार संहिता लगने की उम्मीद है। ऐसे में अधिकारियों के सामने परिसम्पत्तियों के बंटवारे को धरातल में उतारने को महज 25 दिन शेष रह गए हैं। इस मसले पर देरी को विपक्ष चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने से नहीं चूकेगा।
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार के आदेश की मूल भाषा
अतिरिक्त बिन्दु – –
1 वनबसा बैराज जो कि वर्तमान में जर्जर अवस्था में है, के पुर्ननिर्माण हेतु उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा फिजिबिलिटी रिपोर्ट / डीपीआर तैयार कर निर्णय हेतु प्रस्तुत किया जायेगा।
2 उपरोक्त सहमति के साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि अन्य मामलों को दोनों राज्यों के मुख्य सचिव परस्पर सहमति के आधार पर निस्तारित करने का प्रयास करेंगे। जिन मामलों में सहमति बन जाय, उनमें विभिन्न न्यायालयों में लम्बित वादों को वापस ले लिया जाय।
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