आपदा के मुद्दे पर केंद्र सरकार उत्तराखण्ड को तकनीकी सहयोग करे

आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर हितधारक राष्ट्रीय प्लेटफार्म का तृतीय राष्ट्रीय सम्मेलन

अविकल उत्तराखण्ड

नई दिल्ली। आपदा जोखिम न्यूनीकरण के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर गठित बहुहितधारक राष्ट्रीय प्लेटफार्म (NPDRR) के तृतीय सम्मेलन में उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल (वन, भाषा, निर्वाचन एवं तकनीकी शिक्षा) ने किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधानमंत्री मोदी ने किया। कार्यक्रम में राज्य सरकारों के साथ राष्ट्रीय महत्व के संस्थान एवं उपक्रमों के साथ अन्य हितधारक भी हिस्सा ले रहे हैं। आयोजन का मुख्य विषय “बदलती जलवायु में स्थानीय सहनीयता का निर्माण” पर केन्द्रीय मंत्री ने भी विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में जलवायु परिवर्तन एवं निरन्तर आपदा पर हिमालयी राज्यों की चिन्ता साझा की। इसमें प्रमुख तौर पर भूकम्प, भूस्खलन, बाढ़- भूस्खलन व वनाग्नि का उल्लेख किया।

हिमालयी क्षेत्र में मिट्टी के गुण, क्षेत्र की धारण क्षमता व जल उपलब्धता के मद्देनजर विकास की अवधारणा को पुनः परिभाषित करने के साथ बारिश के साथ अन्य स्रोतों से उत्पन्न होने वाले जल निस्तारण की समुचित व्यवस्था की बात कही । साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा पर्वतीय राज्यों को व्यापक तौर पर तकनीकी सहयोग की अपील की गई।

राज्य के जोशीमठ नगर की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए राज्य, केन्द्रीय व अर्न्तराज्यीय संस्थाओं के परस्पर समन्वय एवं सहयोग की जरूरत पर बल दिया गया।

उत्तराखण्ड समेत हिमालयी राज्यों की संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए उन्हें आपदा निरापद बनाये जाने के लिए विशिष्ट नीति एवं प्रयास किये जाने की ओर सम्मेलन का ध्यानाकर्षण किया गया। साथ ही आपदा की स्थिति में पंचायती राज संस्थाओं के साथ-साथ स्वयं सेवी संस्थाओं को भी इससे आच्छादित किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।

जलवायु परिवर्तन को हिमालयी राज्यों के लिये चिन्ता का विषय बताते हुए इसके कारण जल संचय में कमी एवं इन राज्यों के ग्लेशियर में अवस्थित झीलों से बाढ़ की सम्भावना के तहत वृहद योजनाएं विकसित करने व इनके क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकारों को आवश्यक तकनीक व संसाधन उपलब्ध करवाये जाने की आवश्यकता इंगित की गयी।

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