उत्त्तराखण्ड में सबसे अधिक 22.3 प्रतिशत बेरोजगारी दर
भारत में कुल बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत
नगरीय-7.9 प्रतिशत, ग्रामीण-6.3 प्रतिशत। विश्व में बेरोजगारी के मामले में भारत का 95वां स्थान
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी की ताजा रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ व झारखंड की बेरोजगरी दर उत्त्तराखण्ड से बेहतर
उत्त्तराखण्ड में लगभग 57 हजार सरकारी पद रिक्त
नये आंकड़े से भाजपा बैकफुट पर, विपक्षी करेंगे प्रहार
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। उत्त्तराखण्ड के लिए बुरी खबर।
नवंबर 2000 में देश में तीन नए राज्यों का गठन हुआ। उत्त्तराखण्ड, झारखंड व छत्तीसगढ़।लेकिन बेरोजगारी दर में उत्त्तराखण्ड देश का नंबर वन राज्य बन गया। उत्त्तराखण्ड में बेरोजगारी दर देश में सबसे ज्यादा 22.3 प्रतिशत आंकी गयी है।
छत्तीसगढ़ व झारखंड अपने समकक्ष राज्य उत्त्तराखण्ड से बहुत पीछे है। जहां उत्त्तराखण्ड पहले नंबर पर है वहीं असम 1.2, फीसदी के साथ सबसे आखिर में है। यह आंकड़े मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं।
अलबत्ता राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर में कमी आई है अप्रैल में कोरोना महामारी के समय अप्रैल में यह दर 23.52 थी । जबकि सितंबर महीने में यह दर 6.67 प्रतिशत रह गई है। इससे पूर्व जनवरी में बेरोजगारी दर 7.22 ,फरवरी में 7.76 व मार्च के महीने में 8.75 प्रतिशत थी।
इसके अलावा रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 3.9 प्रतिशत, राजस्थान में 15.3 दिल्ली में 1 2.2, बिहार में 11.9 पंजाब में 9 . 6, बंगाल में 9 .3, महाराष्ट्र में 4. 5 झारखंड में 8 . 2 उड़ीसा में 2.1 फीसद है। हरियाणा में 19.7 प्रतिशत बेरोजगारी दर है यूपी में 4.2 आंकी गयी।
हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी की ताजा रिपोर्ट के नतीजे उत्त्तराखण्ड के लिए गंभीर चिंता का विषय है। राज्य में बेरोजगारी दर देश में सबसे ज्यादा 22.3 प्रतिशत आंकी गयी है। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 2 फीसदी व झारखंड में 8.2 प्रतिशत आंकी गयी।
रिपोर्ट में सभी राज्यों की बेरोजगारी दर का उल्लेख किया गया है। लेकिन बेरोजगारी दर में पहले नंबर पर आना युवाओं के भविष्य को लेकर भारी चिंता जताता है। उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी दर 4.2 प्रतिशत रही।
कुछ साल पहले तक राज्य में बेरोजगारी दर लगभग 14 प्रतिशत के आस पास थी।
मौजूदा भाजपा सरकार लगातार लाखों लोगों को रोजगार देने का दावा कर रही है। विज्ञापनों होर्डिंग के जरिये बताया जा था है कि त्रिवेंद्र सरकार ने 7.5 लाख लोगों को रोजगार दिया।
राज्य में लगभग 57 हजार सरकारी पद रिक्त है। जबकि सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या लगभग 9 लाख तक पहुँच चुकी है। दो साल पहले त्रिवेंद्र सरकार की इन्वेस्टर्स मीट में सवा लाख करोड़ से ज्यादा निवेश का दावा करते हुए 3 से 4 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था। लेकिन बेरोजगारी का सर्वाधिक 22.3 प्रतिशत सभी सरकारी दावों की पोल खोल रहा है। हालांकि, भाजपा अपने बचाव में कोरोना महामारी की आड़ लेगी। लेकिन छत्तीसगढ़ व झारखंड के बेरोजगारी प्रतिशत के आगे सभी तर्क ठंडे पड़ने की भी उम्मीद है।
बहरहाल, बेरोजगारी दर के नए आंकड़े से उत्त्तराखण्ड में हलचल मच गई है। बेरोजगारों,आम जनता व राजनीतिक दलों के लिए यह उबलने वाला मुद्दा बन गया है और भाजपा के लिए गहरे संकट का सबब।
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