उत्त्तराखण्ड की शीतल ने यूरोप की सबसे चोटी माउंट एल्ब्रुस पर लहराया तिरंगा

15 अगस्त को एक साथ खुशियों की दो सौगात मिली। एक ओर उत्त्तराखण्ड के पवनदीप राजन ने इंडियन आइडल का खिताब अपबे नाम किया। वहीं दूसरी ओर, कुमाऊँ मंडल विकास निगम कर्मी शीतल ने रूस -जॉर्जिया बॉर्डर पर स्थित ५,६४२ मीटर ऊंची माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराया। यह जानकारी नैनीताल के डीएम धीराज गर्ब्याल ने साझा की।

अविकल उत्त्तराखण्ड


नैनीताल। कुमाऊँ मंडल विकास निगम, नैनीताल के एडवेंचर विंग में कार्यरत शीतल ने स्वतंत्रा दिवस के अमृत महोत्सव(75TH दिवस) के अवसर पर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया। ये चोटी रूस -जॉर्जिया बॉर्डर पर स्थित है और इसकी ऊंचाई ५,६४२ मीटर है।


नैनीताल नके डीएम धीराज गर्ब्याल ने बताया किबक्लाइम्बिंग बियॉन्ड द समिट्स (सीबीटीएस) द्वारा आयोजित चार सदस्यो की टीम को २५ वर्षीय विख्यात युवा महिला पर्वतारोही शीतल कर रही थी। शीतल ने एवेरेस्ट , कंचनजंगा और अन्नपूर्णा जैसे दुर्गम पर्वतो को फतह किया है और उसके नाम दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला होने का रिकॉर्ड है जिन्होंने कंचनजंगा और अन्नपूर्णा फतह किया है।

शीतल ने बताया 15 अगस्त को समिट करने के उद्देश्य से टीम ने प्लान किया था पर अंतिम क्षण में कोविड महामारी के कारण फ्लाइट रद्द होने के कारण टीम तीन दिन देरी से मास्को पहुंची और १३ अगस्त को ३६०० मीटर में अपना बेस कैंप बनाया और अगले दिन ही १४ अगस्त की रात को सम्मिट के लिए निकल गए और १५ अगस्त को दिन के १ बजे एल्ब्रुस की चोटी पर तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया। ४८ घंटे के अंदर बेस कैंप से समिट करना बहुत ही मुश्किल होता है और बहुत ही कम लोग ऐसा कर पाते है। पर एल्ब्रुस जाने से पहले टीम ने उत्तराखंड के हिमालय में पर्याप्त ट्रेनिंग की थी और इसी का नतीजा था की टीम रिकॉर्ड समय पर सम्मिट कर पायी।


एल्ब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है जो कॉकस क्षेत्र की कॉकस पर्वत शृंखला में स्थित है। इसके दो शिखर हैं – पश्चिमी शिखर ५,६४२ मीटर (१८,५१० फ़ुट) ऊंचा है और पूर्वी शिखर उस से ज़रा कम ५,६२१ मीटर (१८,४४२ फ़ुट) ऊंचा है।


एवेरेस्ट विजेता और सीबीटीएस के संस्थापक योगेश गर्बियाल ने बताया की शीतल बहुत ही गरीब परिवार से आती है और उसके पिता पिथौरागढ़ में लोकल टैक्सी चलाकर परिवार का पालन पोषण करते है। शीतल की पर्वतारोहण की छमता और उनके प्रतिभा को देखकर विभिन्न संस्थाओं ने आगे आकर सहयोग किया और इसी साल शीतल को द हंस फाउंडेशन ने दुनिया की सबसे खतरनाक माने जाने वाली चोटी अन्नपूर्णा के लिए स्पोंसर किया था।

शीतल का लक्ष्य है कि वो दुनिया के 14 सबसे ऊंची पर्वत जो 8000 m से ऊँचे है और दुनिया के सातों महाद्वीपों के ऊँचे चोटियों पर देश का झंडा फहराए.

टीम में राजस्थान के जुड़वाँ भाई तपन देव सिंह और तरुण देव सिंह थे और वो एल्ब्रुस फतह करने वाले भारत के पहले जुड़वाँ भाई बने। टीम के चौथे सदस्य केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जिगमित थरचिन थे जिन्होंने ने इसी साल माउंट एवेरेस्ट को फतह किया था और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले युवा बने जिन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी को फतह किया।


राजस्थान के जुड़वाँ भाई तपन और तरुण पिछले साल से क्लाइम्बिंग बियॉन्ड द समिट्स संस्था (सीबीटीएस) से जुड़े हुआ है और शीतल से पर्वतारोहण के गुर सीख रहे है. दोनों भाइयो का सपना है वो एक दिन दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवेरेस्ट पर भारत का झंडा फहराए और साथ ही भारत और अपने प्रदेश का नाम रौशन करे। दोनों उत्तराखंड के कुमाऊँ हिमालय में स्थित दारमा और व्यास घाटी में अपना प्रक्षिशण जारी रखेंगे और २०२३ में माउंट एवेरेस्ट अभियान की शुरुआत करेंगे।

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