स्मृति- लखनऊ ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को याद किया


उत्तराखण्ड महापरिषद लखनऊ ने
अमर सेनानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्मृति दिवस के अवसर पर उनके पराक्रम पर परिचर्चा का आयोजन किया

अविकल उत्तराखंड


लखनऊ । उत्तराखण्ड महापरिषद ने पेशावर कांड के सेनानी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को याद किया। शनिवार की सांय कूर्मांचल भवन के उत्तराखण्ड महापरिषद भवन में अमर सेनानी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली व पेशावर काण्ड पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम में भवान सिंह रावत-सलाहाकार उत्तराखण्ड महापरिषद की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि डॉ0 चन्द्र मोहन सिंह नौटियाल, पूर्व विभागाध्यक्ष, पुराविज्ञान संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में दीप प्रज्ज्वलित कर वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के पराक्रम पर परिचर्चा का शुभारम्भ किया। संयोजक दीवान सिंह अधिकारी अध्यक्ष हरीश चन्द्र पंत, महासचिव भरत सिंह बिष्ट, द्वारा मुख्य अतिथि एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया एवं वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा पर मार्ल्यापण कर उन्हे याद किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि एवं लेखक पूरन सिंह जीना द्वारा किया गया।


सर्वप्रथम महासचिव भरत सिंह बिष्ट ने मुख्य अतिथि डॉ0 चन्द्र मोहन सिंह नौटियाल, पूर्व निदेशक, पुराविज्ञान संस्थान एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भवन सिंह रावत-सलाहाकार उत्तराखण्ड महापरिषद एवं वक्ताओ एवं श्रोताओं का वन्दन अभिनन्दन एवं स्वागत किया गया।


वक्ताओं ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के जाबाज सिपाही बीर चंद्र सिंह गढ़वाली की साहस कथाएं तो अनेक हैं पर, अफसोस कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में पेशावर विद्रोह को नजरअंदाज कर दिया गया। 23 अप्रैल 1930 को पेशावर विद्रोह के नायक अमर सेनानी गढ़वाल राइफल्स की ए कंपनी के क्वार्टर मास्टर हवलदार चन्द्र सिंह ने पूर्व नियोजित योजना के तहत कैप्टन रिकेट के आदेश को ठुकराते हुए आंदोलनरत जनता पर अपनी गढ़वाली बटालियन को निहत्थे पठानों/स्वतंत्रता सेनानियों पर गोली चलाने से रोक दिया था। आदेश न मानने पर अंग्रेजों ने चंद्र सिंह व उनके साथियों पर मुकदमा चलाया. उन्हें सजा हुई व उनकी संपत्ति भी जब्त कर ली गई. अलग-अलग जेलों में रहने के बाद 26 सितंबर 1941 को वे जेल से रिहा हुए।


इस अवसर पर पूरन सिंह जीना ने वीर चन्द सिंह गढवाली को याद करते हुये कहा- र्ंओ वीर था साहसी था बड़ा बलवान, पूरा देश करता है उस पर गर्व और अभिमान”, कविता का पाठ किया गया एवं धन सिंह मेहता-मानवता के महा पुजारी, नमन करो स्वीकार हमारा। वीर! ब्ताओ कब लोगे जी, इस धरती में जन्म दुबारा।। पूछ रही फूलों की घाटी, पूछ रहा है धवल हिमालय, पूछ रही है हर की पैड़ी, श्रीबदरी, केदार षिवालय। पूश्र रही है गैरसैण की, पावन, पक्की, प्रीत पुरानी, ‘दूधातोली’ के जंगल की शुद्ध सुवासित हवा सुहानी, पूछ रही है कल-कल करती, गंगा जमुना की जलधारा, वीर! ब्ताओं कब लोगो जी, इस धरती में जन्म दुबारा।

इस अवसर पर महेश चन्द्र रौतेला, पुष्पा वैष्णव, मोहन बिष्ट, बृज मोहन नेगी, कैलाश लाल सिंह बिष्ट सहित सम्मानित सदस्य उपस्थित रहें।

Pls clik

गैंगेस्टर यशपाल तोमर पर उत्तराखण्ड एसटीएफ ने शिकंजा कसा

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *