मेनका ने कहा,तीन हजार करोड़ का घोटाला और भेड़-ऊन बोर्ड को मिले सिर्फ 25 करोड़.सीएम ने बैठायी जांच

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा जनपद उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ के अन्तर्गत भेड़ एवं बकरियों के पशुआहार क्रय में वित्तीय अनियमितताएं सम्बन्धित शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा कृषि उत्पादन आयुक्त, श्रीमती मनीषा पंवार की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया गया है। जांच समिति में अपर सचिव वित्त भूपेश तिवारी सदस्य होंगे।
मुख्य सचिव ने जांच समिति से प्राप्त शिकायत पर 15 दिनों के भीतर अपनी जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।

सीईओ का जवाब-वर्ल्ड बैंक से 3 हजार करोड़ का कोई लोन नही लिया

तीन हजार करोड़ की कोई योजना नहीं चल रही

25 करोड़ में खर्च हुए मात्र 8 करोड़

सीईओ डॉ अविनाश आनन्द ने पशुपालन सचिव मीनाक्षी सुंदरम को भेजा पांच पेज का स्पष्टीकरण


अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून।
उत्त्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड को मिले कुल जमा 25 करोड़ और खर्च किये मात्र 8 करोड़। और घोटाले का आरोप लग गया वो भी भारी भरकम तीन हजार करोड़ का। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के 11 जनवरी को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजे पत्र के बाद आये भूकंप के बाद बोर्ड के सीईओ ने पशुपालन सचिव मीनाक्षी सुंदरम को पांच पेज का स्पष्टीकरण भेजा है। इस पत्र में मेनका गांधी के सभी आरोपों को नकारा गया है। साफ कहा गया है कि वर्ल्ड बैंक से 3 हजार करोड़ का कोई लोन नही लिया। और न ही 3 हजार करोड़ की कोई योजना ही चल रही है।

Menka gandhi  ,sheep and wool board

पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज भी नत्थी किये गए है। मेनका गांधी ने विश्व बैंक से 3 हजार करोड़ के लोन के दुरुपयोग का खुला आरोप लगाते हुए अपने पत्र में पशुपालन सचिव मीनाक्षी सुंदरम और सीईओ को सीधे निशाने पर लेटे हुए बेहद कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया था। सीईओ के पत्र के बाद यह पूरा मामला सच और झूठ के फन्दे में फंस गया है। सच मेनका गांधी बोल रही है या बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनन्द। मामले की परत दर परत खोलता सीईओ के पत्र की सिलसिलेवार बानगी देखिये-

Menka gandhi  ,sheep and wool board

वर्ल्ड बैंक से कोई लोन नही

इधर, 12 जनवरी को
पशुपालन सचिव मीनाक्षी सुंदरम को भेजे पांच पेज के बिंदुवार स्पष्टीकरण में सीईओ डॉ अविनाश आनन्द ने कहा कि भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड (sheep and wool development board ) में तीन हजार करोड़ की कोई योजना नहीं चल रही है और न ही वर्ल्ड बैंक से किसी योजना के बाबत ऋण ही लिया गया है।

Menka gandhi  ,sheep and wool board

पत्र में फरवरी 2019 को पीएम मोदी की सहकारी सेक्टर में लांच की गई योजना का जिक्र करते हुए कहा गया कि इसके तहत राज्य को 100 करोड़ रुपए मिले। यह धनराशि सहकारिता, दुग्ध विकास , मत्स्य व भेड़ बकरी विकास में खर्च की जानी है। भेड़ बकरी विकास बोर्ड को प्रथम क़िस्त के तौर पर 25 करोड़ रुपये मिले । इसमें से 8 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। पत्र में सभी आरोपों का बिंदुवार जवाब दिया गया।

Menka gandhi  ,sheep and wool board

आरोप- 13 लाख की लक्ज़री कार खरीद

इस आरोप के बाबत अपना पक्ष रखते हुए डॉ अविनाश आनन्द ने कहा कि शासन के नियमों के तहत ही वाहन की खरीद की गई है।

नोएडा में असंगत आवास क्रय

इस आरोप पर बताया गया कि नोयडा में उनका कोई मकान नही है। गाजियाबाद में उनके पुत्र ने अक्टूबर 2019 में तीन रूम का एक फ्लैट लोन लेकर खरीदा है। यह भी लिखा कि उनका पुत्र 6 साल से एनसीआर में प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य कर रहे है।

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पशु आहार क्रय में अनियमितता

अपने पत्र में सीईओ ने लिखा है कि भेड़ बकरी पशु आहार क्रय नियमों के तहत किया गया। ई-निविदा में आँचल संस्था के भाग नहीँ लेने के कारण अन्य संस्थाओं से क्रय दर की तुलना ठीक नही। आहार खरीद में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से साफ इंकार किया गया है।आरोप यह भी था कि बोर्ड ने पंजाब की संस्था को भेड़ पशु आहार खरीद का टेंडर दिया।

Menka gandhi  ,sheep and wool board

भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में पशु चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति नहीं

पत्र में कहा गया है कि भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में किसी भी पशु चिकित्साधिकारी को प्रतिनियुक्ति पर नही लिया गया है। अलबत्ता एक योजना के संचालन के लिए शासन के नियमों का पालन करते हुए चार पशु चिकित्साधिकारियों को भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड का अतिरिक्त चार्ज दिया था। इनमें से मौजूदा समय में एक ही चिकित्सक बोर्ड में हैं।

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सीईओ डॉ अविनाश आनन्द, भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड

सलाहकार की नियुक्ति नहीं

पत्र में मेनका गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा गया कि बोर्ड/फेडरेशन में कोई भी सलाहकार नही है। यह भी स्पष्ट किया गया कि बोर्ड में 16 पद के साथ एक मुख्य कार्यक्रम क्रियान्वयन अधिकारी का पद स्वीकृत है। जिसका चयन शासन की समिति से 2.5 लाख वेतन पर तय किया गया है।

बूढ़ी ऑस्ट्रेलियन भेड़ों की खरीद नहीं


पत्र में बताया गया कि भारत सरकार की भेड़ नस्ल सुधार योजना के तहत जम्मू कश्मीर,हिमाचल व उत्त्तराखण्ड में आस्ट्रेलियन मेरिनो भेड़ खरीदी गई। इन भेड़ों को कैबिनेट की हरी झंडी के बाद ही खरीदा गया।

Menka gandhi  ,sheep and wool board

इन भेड़ों को ऑस्ट्रेलियन व भारतीय पशु चिकित्सकों की टीम की जांच के बाद दिसम्बर 2019 में टिहरी के  कापडीधार भेड़ प्रजनन केंद्र पहुंचाया गया। जहां इन भेड़ों ने एक साल में ही उत्त्तराखण्ड के मौसम में अपने को पूरी तरह एडजस्ट कर लिया। इनसे 500 मेमने हो चुके हैं। जबकि मार्च 2021 तक 800 मेमने होने की उम्मीद है। यही नही मेरिनो भेड़ व स्थानीय 350 भेड़ों का कृत्रिम गर्भाधान भी किया गया। इन आंकड़ों से यह बताने की कोशिश की गई कि ऑस्ट्रेलिया से बूढ़ी भेड़ नही खरीदी गई। जबकि मेनका गांधी ने कहा था कि बूढ़ी भेड़ प्रजनन के लायक नहीँ है।

Menka gandhi  ,sheep and wool board
पशुपालन सचिव IAS मीनाक्षी सुंदरम

गौरतलब है कि 11 जनवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सीएम त्रिवेंद्र को पत्र लिखकर भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में तीन हजार करोड़ के घपले के बात कहते हुए सीबीआई,ईडी व सीबीसीआईडी जांच की मांग की थी। मेनका गांधी ने इस वित्तीय घपले की तुलना बोफोर्स व कोल घोटाले से की थी। इस मुद्दे पर पूर्व में पीपल फार एनिमल संस्था की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने भी भेड़ बकरी पशु आहार खरीद में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे।

अब भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनन्द के इस पत्र के बाद पूर्व मंत्री व वरिष्ठ सांसद मेनका गांधी को तथ्यों के साथ अपने आरोपों को सिद्ध करने की जिम्मेदारी बढ़ गयी है।

उधर, पशुपालन मंत्री रेखा आर्य भी मामले की जांच कराए जाने की बात कह रही है जबकि पशुपालन सचिव मीनाक्षी सुंदरम का साफ कहना है कि कोई गड़बड़ नही हुई है।

यह भी पढ़ें, क्या थे पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के आरोप

ब्रेकिंग-मेनका गांधी ने सीएम को पत्र लिख 3 हजार करोड़ लोन घपले से रूबरू कराया, कहा बोफोर्स व कोल घोटाले जैसा

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