सरकारी वकील पर तथ्यों में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए अभियुक्तों की मदद का लगाया आरोप.हटाने की मांग.देखें पत्र.
आठ महीने बाद भी वीआईपी की तलाश नहीं कर पाई पुलिस. नार्को टेस्ट पर भी तस्वीर धुंधली
अविकल उत्तराखण्ड
पौड़ी। उत्तराखण्ड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड के कई अनसुलझे सवालों के बीच पीड़िता के पिता के एक पत्र ने सरकारी वकील को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र भंडारी ने 1 जून को पौड़ी के डीएम को लिखे पत्र में सरकारी वकील जितेंद्र रावत को हटाने की मांग की है । पत्र में लिखा है कि सरकारी वकील जितेंद्र रावत कोटद्वार की कोर्ट में जारी सुनवाई में गवाहों के बयानों को तोड़ मरोड़ कर अभियुक्तों को फायदा पहुंचा रहा है। और अंकिता के साथ हुए दुर्व्यवहार को मात्र छेड़छाड़ में दर्ज करवाने की कोशिश कर रहा है।
पत्र में कहा गया है कि एक गवाह विवेक आर्य ने कोर्ट में गवाही दी है कि अभियुक्तों ने अंकिता को नजरबंद कर बलात्कार किया। जबकि सरकारी वकील कोर्ट में सही तथ्य पेश करने के बजाय छेड़छाड़ का उल्लेख कर रहा है।
अंकिता के पिता ने कहा कि जितेंद्र रावत की नियुक्ति के समय भी उन्होंने विरोध किया था।
वीआईपी का अता पता नहीं, अभियुक्तों के नार्को टेस्ट का इंतजार जारी
गौरतलब है कि बीते सितम्बर 2022 माह में अंकिता भण्डारी की हत्या के बाद अभियुक्त पुलकित आर्य समेत अन्य अभियुक्त पौड़ी जेल में बंद है। इस मामले में वीआईपी का भी उल्लेख हुआ था। पुलिस वीआईपी का भी पता नहीं लगा पायी है। अंकिता के दोस्त ने वन्तरा रिसॉर्ट में सुरक्षा गार्ड व बाउंसर से घिरे एक वीआईपी का उल्लेख किया था। अंकिता ने भी अभियुक्तों पर वीआईपी सर्विस देने का आरोप लगाया था।
अभियुक्तों का नार्को टेस्ट भी होना था। लेकिन वह भी कानूनी उलझनों में उलझ गया। इस बहुचर्चित हत्याकांड के बाद अंकिता के परिजन लगातार न्याय की मांग कर रहे है। इस बीच, सरकारी वकील को लेकर अंकिता भंडारी के पिता के नये पत्र ने कई सवालों को जन्म दे दिया है।
इससे पूर्व भी अंकिता के पिता ने एक सरकारी वकील पर उंगली उठाई थी। जिसे बाद में हटा दिया गया था।