उत्तराखण्ड विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से.
सुदूर पहाड़ों तक जाएगी दून से उठने वाली तपन.
अंकिता भंडारी, केदार भंडारी, वीआईपी की तलाश, कानून व्यवस्था व बेरोजगारी समेत कई मुद्दों पर विपक्ष रहेगा हमलावर
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा का आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के लिए विपक्ष के तरकश में कईं पैने तीर इकठ्ठा हो चुके हैं।
सदन में अनुभवी नेता विपक्ष यशपाल आर्य व प्रीतम सिंह आक्रमण के प्रमुख कमांडर के तौर पर दिखेंगे तो सत्ता बेंच में विपक्षी हमलों की बौछार को कुंद करने की जिम्मेदारी संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के कन्धों पर रहेगी।
गौरतलब है कि विधानसभा भर्ती घोटाले में निशाने पर आये संसदीय कार्यमंत्री अग्रवाल के लिए यह शीतकालीन सत्र किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों के मसले पर चली जांच प्रक्रिया और फिर स्पीकर ऋतु खंडूडी व नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले के बाद चर्चित मुद्दे को लेकर संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल एकबारगी कठघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
सदन के अंदर विपक्ष अपने प्रमुख हथियार विधानसभा भर्ती घोटाले को उठाकर सरकार के साथ साथ संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल को निशाने पर रखेगा। स्वंय को विपक्षी घेरे से बाहर निकालना भी मंत्री अग्रवाल के लिए काफी मुश्किल भरा होगा।
प्रकाश पंत व मदन कौशिक विपक्ष का करते थे कड़ा मुकाबला
चूंकि, इससे पूर्व मुख्य तौर पर भाजपा की ओर से स्वर्गीय प्रकाश पंत व मदन कौशिक संसदीय कार्यमंत्री की भूमिका में सफल देखे गए। प्रकाश पंत कड़ा होम वर्क कर सदन में आते थे। अपने संसदीय ज्ञान व वाकपटुता से विपक्ष को संतुष्ट करने के अलावा उनकी धार को भी भोथरा कर देते थे। प्रकाश पंत ने कई बार कई गंभीर मुद्दों पर सरकार का सफल बचाव भी किया।
पंत के निधन के बाद यह जिम्मेदारी मदन कौशिक ने भी बखूबी निभाई। सदन के अंदर विपक्षी हमले को झेलने व उनके पैने तीर को दूसरी तरफ मोड़ देने में कौशिक को महारत हासिल रही। पंत की तरह कौशिक भी मुद्रों को लेकर विशेष तौर पर अपडेट रहते थे। और अपनी हाजिरजवाबी से विपक्ष को बेचैन भी कर देते थे।
लिहाजा, मौजूदा संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के इस शीतकालीन सत्र में विशेष रणनीति के तहत सदन में उतरने से ही धामी सरकार राहत महसूस कर पाएगी। पूर्व स्पीकर अग्रवाल इस बार बदली हुई भूमिका में है। बतौर स्पीकर अग्रवाल ने सदन का बेहतर संचालन किया।
धामी कैबिनेट के कई मंत्री पिछली बार भी सदन में कई बार घिर कर सरकार की किरकिरी करवा चुके हैं। मंत्रियों के लचर होमवर्क और खराब परफार्मेन्स से सरकार का सदन में घिरना तय माना जा रहा है।
आज से शुरू हो रहे उत्तराखण्ड विधानसभा सत्र में विपक्ष विभागीय सवालों पर तो मंत्रियों को घेरेगा ही। भाजप, कांग्रेस व बसपा विधानमंडल दल की बैठक में रणनीति तैयार कर चुका है।
सदन में उठेंगे ज्वलन्त मुद्दे
इस बार कुछ ज्वलन्त व चर्चित मुद्दे भी भाजपा सरकार को असहज करेंगे। अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े वीआईपी शख्स की पहचान एभी तक नहीं हो पाई। अंकिता की मौत के कारणों में इस वीआईपी को एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। अंकिता के माता-पिता स्वंय धरनेंपर बैठ रहे हैं व हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की गुहार लगा चुके हैं। वे SIT की भूमिका पर भी गहरे सवाल उठा चुके हैं। जनता अलग से वीआईपी के नाम का खुलासा नहीं होने से हैरान है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड के अलावा उत्तरकाशी के केदार भण्डारी की मौत पर भी विपक्ष हमला बोलने की तैयारी में है।
विपक्ष के तरकश में uksssc भर्ती घोटाले, कानून व्यवस्था, भ्र्ष्टाचार, आंदोलित बेरोजगार, गैरसैंण समेत कई तीर दिख रहे हैं। कानून व्यवस्था पर तो किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ सत्र से एक दिन पहले ही सीएम आवास के बाहर धरना देकर तेवर दिखा चुके हैं।
स्पीकर पर भी रहेंगी नजरें
स्पीकर ऋतु खंडूडी के सदन संचालन पर एक बार फिर नजर रहेगी। इसके अलावा विधानसभा भर्ती घोटाले की तरह अन्य खास मसलों पर भी स्पीकर खंडूडी के स्टैंड से भी बहुत कुछ साफ होगा । बीते सत्र में स्पीकर ऋतु खंडूडी ने बखूबी अपनी नयी भूमिका से निर्वाह किया था।
सदन के अलावा विपक्षी दल, आंदोलनकारी व बेरोजगार संगठन सड़क पर हुंकार भरेंगे। आने वाले कुछ दिन अब देहरादून के विशेष गर्म रहेंगे। दून से उठने वाली यह तपन सुदूर चोटियों तक महसूस की जा सकेगी…
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