2016 में हई 150 व 2020 में 6, 2021 में 72 तदर्थ नियुक्ति निरस्त कर दी गयी। 22 उपनल से भर्ती भी रद्द। शासन को निरस्त करने का प्रस्ताव भेजा।
सीएम धामी ने स्पीकर के फैसले की सराहना की
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने बहुचर्चित विधानसभा बैकडोर भर्ती प्रकरण की जांच रिपोर्ट का आज खुलासा किया। विधानसभा सचिवालय में खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन में विस अध्यक्ष ने जाँच कमेटी की सिफारिशों को साझा करते हुए कई फैसलों के क्रियान्वयन की बात कही। फैसले के मुताबिक कुल 250 नियुक्ति रद्द की गई हैं।
उन्होंने कहा कि तदर्थ नियुक्तियां 2016 में 150 व 2020 में 6 2021 में 72 नियुक्ति निरस्त कर दी गयी। 22 उपनल से भर्ती भी रद्द। शासन को निरस्त करने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
स्पीकर ऋतु खंडूरी ने विधानसभा सचिवालय में 32 पदों पर भर्ती करवा रही आरएमएस टेक्नोसोल्यूशंस कंपनी के खराब रिकॉर्ड को देखते हुए सभी भर्ती रद्द की। और सचिव मुकेश सिंघल निलम्बित करते हुए जांच की बात कही। विधानसभा स्पीकर ने कहा कि सेवा नियमावली में आवश्यक सुधार किए जाएंगे
समिति की सिफारिश के कुल अंश 29 पेज में है। जबकि कुल 214 पेज की रिपोर्ट है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि नियुक्ति में गड़बड़ी थी और नियमों का पालन नही हुआ। साथ ही चयन समिति का गठन नहीं किया गया। कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया। रोजगार में समानता का अधिकार का उल्लंघन किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि 6 फरवरी 2003 को शासन ने समूह ग व ख में तदर्थ /संविदा आदि पदों पर नियुक्तियाँ नहीं करने के आदेश दिए थे। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं सचिव विधानसभा ने इस आदेश को दरकिनार कर नियमों का उल्लंघन किया।
चूंकि, 2012 से पहले विधानसभा में नियुक्त लोग रेगुलर/ कन्फर्म हो गए। लिहाजा, जांच समिति ने इन रेगुलर कर्मियों के बारे में कोई सिफारिश नहीं की।
एक्सपर्ट कमेटी ने एक गड़बड़ी यह पकड़ी कि कम्पनी के बिल सम्मिट करते ही विधानसभा सचिव ने तत्काल 59 लाख का भुगतान कर दिया। यही नहीं एजेंसी के चयन में नियमों का पालन नहीं किया गया।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व अन्य भर्तियों में लखनऊ की यही कम्पनी शामिल रही। इस आरोपी कंपनी के मालिक व कई लोग जेल में हैं।
गौरतलब है कि राज्य गठन के बाद 22 सालों में विधानसभा में 480 लोगों को बैकडोर से नौकरी दी गयी। इस मुद्दे पर शोर मचने के बाद स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने तीन सितम्बर को रिटायर्ड आईएएस डीके कोटिया, एसएस रावत व अवनेंद्र नयाल की एक जांच कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को एक महीने में जांच रिपोर्ट सौंपनी थी।
22 अगस्त को Uksssc भर्ती घोटाले में मुकदमा दर्ज होने के साथ ही विधानसभा में भर्ती घोटाले को लेकर भी खबरें आम होने लगीं। पूर्व विधानसभाध्यक्ष गोविन्द कुंजवाल व प्रेमचन्द अग्रवाल के शासन में नेता, अधिकारियों के परिजनों को नौकरी देने के मामले उछले। कई सूची वॉयरल हुई। भाजपा संगठन व संघ से जुड़े नेताओं में नाम भी मीडिया की सुर्खियां बने। 2012 से पूर्व भी ऊंची पहुंच वालों के रिश्तेदारों को भी विधानसभा सचिवालय में एडजस्ट किया गया।
भाई भतीजावाद का आलम यह रहा कि कर्मचारियों की संख्या यूपी से भी अधिक हो गयी। मौजूदा समय में विधानसभा सचिवालय में कुल कर्मियों की संख्या 560 से अधिक बतायी जा रही है। इस भर्ती घोटाले में भाजपा, कांग्रेस के अलावा कई बड़े लोगों के रिश्तेदार नौकरी पर जमे हुए हैं।
विधानसभा में राज्य गठन के बाद की गयी 480 नियुक्तियां
प्रकाश पंत – 98
यशपाल आर्य -105
हरबंस कपूर – 55
गोविन्द सिंह कुंजवाल- 150
प्रेमचन्द अग्रवाल – 72
Pls clik- यह भी पढ़ें
विस भर्ती घोटाला- स्पीकर आज करेंगी जांच समिति की रिपोर्ट का खुलासा
Politics- सीएम धामी के दिल्ली से लौटते ही राजनीतिक हलचल हुई तेज
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245