भाजपा सरकार ने सात साल में 1 लाख करोड़ का कर्ज लिया-कांग्रेस

गैरसैंण बजट सत्र के बाद दून।में मीडिया से मुखातिब हुए नेता2 प्रतिपक्ष आर्य व अन्य विधायक

नेता विपक्ष ने पूछा, क्या किसानों की आय दोगुनी हुई

बजट सत्र समय से पहले समाप्त कर सरकार ने जनता के सवालों से मुंह मोड़ा

अविकल उत्तराखण्ड

   देहरादून।   गैरसैंण बजट सत्र के बाद दून में पत्रकारों से रूबरू नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि  राज्य बनने के बाद 17 सालों में सभी सरकारों ने 2017 तक केवल 35 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था । और 2017 के बाद भाजपा सरकारों के 7 सालों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य का इस साल का बजट केवल 77 हजार 407 करोड़ का है और राज्य पर कर्ज उससे कही अधिक 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए के लगभग का है तो इससे राज्य की आर्थिक स्थिति को समझ सकते हैं।

       उन्होंने कहा कि ,हमने आंकड़ों के साथ सरकार से पूछा कि, इतना कर्ज क्यों लिया जा रहा है या 7 साल में लिए एक लाख रुपए के कर्ज से राज्य में क्या उत्पादकता हुई ? कितने नए रोजगारों का सृृजन हुआ ? कौन सी जनकल्याणकारी योजना चलाई ? तो सरकार ने इन प्रश्नों का कोई जबाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि  क्या किसानों की आय दोगुनी हुई है ? क्या किसानों को उनकी फसलों का सही कीमत मिल रहा है ? डीजल, पेट्रोल, कीटनाशक, खाद, बीज सब महंगा हो गया है। डीजल की मंहगे होते ही सब कुछ मंहगा हो जाता है ।

कांग्रेस विधानमंडल दल ने प्रश्न काल, कार्य स्थगन, बजट पर सामान्य चर्चा और अन्य स्वीकृृत नियमों के अन्र्तगत बेरोजगारों  के उत्पीड़न, नकल माफिया, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, जोशीमठ सहित प्रदेश के अन्य स्थानों की आपदा, प्रदेश भर के भूमिधरी आदि मामलों को उठाया और इन सभी मामलों में सरकार विपक्ष के प्रश्नों का सीधा जबाब देने से भागती रही।

उन्होंने कहा कि सत्र की अवधि कम होने के कारण उद्यान सहित कई अन्य विभागों के घोटालों और जनता से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवालों से संबधित प्रश्नों पर चर्चा नहीं हो पायी। 

        नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, इस बार राज्य की जनता को आशा थी कि, सत्र लंबा चलेगा लेकिन सरकार ने पूर्व में घोषित अवधि से दो दिन पहले सत्र ही सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर यह सिद्ध कर दिया कि राज्य की जनता के बड़े प्रश्नों को हल करने में उसकी कोई रुचि नहीं है।

       उन्होंने कहा कि, राज्य आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण के बिल को गैरसैंण में कैबिनेट से विधानसभा में रखने हेतु स्वीकृृति दिलवाने के बाद भी सरकार ने विधानसभा के पटल पर नहीं रखा न ही कांग्रेस की विधायक अनुपमा रावत के इस विषय पर प्राइवेट मेम्बर बिल को सदन में आने दिया।

         नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि, राज्य के कई ऐसे विषय हैं जो बिल लाकर कानून बनने की बाट जोह रहे हैं और इसके बावजूद भी सरकार विधानसभा का सत्र चलाने के लिए बिजनेस न होने के बात करने से यह सिद्ध हो जाता है कि, भाजपा को केन्द्र की संसद से लेकर राज्य की विधानसभाओं तक संसदीय प्रणाली के शासन को चलाने में कोई रुचि नहीं है।

        नेता प्रतिपक्ष ने 2023-24 के बजट को दिशाहीन बजट करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बजट आम आदमी के हितों के खिलाफ महंगाई बढ़ाने वाला बजट है। इसे ‘‘कर्ज लेकर घी पीने वाला’’ बजट कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

       नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, सरकार ने बजट में इस वित्तीय वर्ष मंे 19 हजार 460 करोड़ रुपए का ऋण लेने का अनुमान लगाया है। 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद यदि सात सालों में लिए सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को जोड़ा जाय तो यह 99 हजार 749 करोड़ रुपया होता है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, आंकडें गवाह हंै कि, 22 सालों में लिए गए कर्ज में से कुछ कर्ज वापसी और ब्याज अदायगी के बाद भी राज्य पर आज लगभग एक लाख 20 करोड़ से अधिक कर्जा निकलेगा।
    
       नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ,कोरी घोषणाओं व जुमलेबाजी के इस बजट में वित्तीय प्रबन्धन का नितांत अभाव है इसलिए उत्तराखण्ड राज्य पर कर्ज उसके सालाना बजट के आकार से कही अधिक हो गया है। कर्ज और देनदारी को कुल सकल घरेलू उत्पाद याने जीएसडीपी का 25 प्रतिशत तक रखने की राजकोषीय उत्तरदायित्व एंव बजट प्रबंधन अधिनियम (एफ0आर0बी0एम0) की सीमा को उत्तराखण्ड 2019-2020 में ही लांघ चुका है।

उन्होंने कहा कि , इस वित्तीय वर्ष के अंत तक सरकार की आटसटैंडिग लाइबलिटीज जीएसडीपी का 28.2 प्रतिशत हो जायेगी। जो खतरे के संकेत से 3.2 प्रतिशत अधिक है।

        नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि  इस साल के 77 हजार करोड़ के बजट में से सरकार अनुमानित रुप से 17388 करोड़ रुपऐ यानि लगभग 15 प्रतिशत केवल पुराना कर्ज और ब्याज देने में ही खर्च कर देगी तो फिर आपके राज्य में शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य आदि पर खर्च करने के लिए क्या बचेगा ? नेता प्रतिपक्ष ने चिंता व्यक्त की कि ,इस हालात में नए रोजगार सृृजृन की कल्पना करना ही बेकार है ।

      उन्होंने कहा कि ,कांग्रेस की चिंता थी कि ,उधारी और ब्याज चुकाने के बाद 2023-2024 में 66 हजार 179 करोड़ रुपए के खर्चों में से उत्तराखण्ड राज्य बाध्यकारी खर्चों याने वेतन , पंेशन और ब्याज अदायगी पर ही इस वित्तीय साल में 32 हजार 583 करोड़ रुपए खर्च कर देगा। इन व्ययों को राजस्व व्यय भी कहते हैं। जो कुल प्राप्तियों का 57 प्रतिशत है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , 66 हजार करोड़ के खर्चे में से 50 हजार करोड़ कर्ज वापसी, ब्याज अदायगी,वेतन, पेशंन आदि अनुत्पादक कार्यों में खर्च होने के बाद वह राज्य के लोगों के विकास की आकांक्षा , सामाजिक उत्तरदायित्वों और रोजगार सृृजन का कार्य कैसे करेगी ? 

        उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि ,धन की अनुपलब्धता के कारण बजट में महिलाओं , बेरोजगार युवाओं, अनु0 जाति, जनजाति के लिए कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। विभागवार बजटों में भी केवल आंकड़ों की जादूगरी की गई है। इसलिए बजट केवल पुरानी बोतल में नई शराब जैसा ही है।
      
      नेता प्रतिपक्ष का आरोप है कि, बजट में इन्वेस्टमेंट पॉलिसी या उद्योग धंधे लगाने के लिए कोई राहत पैकेज नहीं किया गया। राज्य में यदि नया निवेश नहीं आयेगा और नए उद्योग स्थापित नहीं होंगे तो निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी नहीं बड़ेंगे। इस कारण महंगाई और बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ेगा।

  प्रेस वार्ता में पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवम विधायक श्री प्रीतम सिंह,विधायक फुरकान अहमद ,श्रीमती ममता राकेश,श्रीमती अनुपमा रावत ,वीरेंद्र जाति, रवि बहादुर,प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि उपस्थित थे।

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