बद्रीनाथ धाम के पंडा समाज के आमरण अनशन पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा

पंडा पुरोहितों का आरोप-बिना नोटिस दिए भवन व दुकान तोड़ी

बद्रीनाथ में सामने आया भाजपा का छद्म हिंदूवादी चेहरा-कांग्रेस

विस्थापन नीति पर सरकार से मांगा जवाब

धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज का मोबाइल स्विच ऑफ

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। मास्टर प्लान के तहत बद्रीनाथ के पुनर्निर्माण में विस्थापन नीति समेत अन्य मांगों को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। त्रिवेंद्र काल के समय चारधाम देव स्थानम बोर्ड को लेकर पंडा पुरोहितों के आन्दोलन के बाद बद्रीनाथ में शुरू हुए अनशन को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला।

गौरतलब है कि पिछले डेढ़ महीने से बद्रीनाथ के तीर्थ पुरोहित समाज और व्यापार सभा मास्टर प्लान संघर्ष समिति के तहत कार्मिक अनशन कर रहे हैं। और अब 14 अगस्त से आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

बुधवार को कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा ने पहले देवस्थानम बोर्ड गठित कर भाजपा की सरकारों ने  तीर्थ पुरोहितों के साथ अन्याय अत्याचार व शोषण किया गया। पंडा पुरोहितों के वर्षों के संघर्ष के बाद भाजपा की सरकार को देवस्थानम बोर्ड को भारी जन दबाव के चलते निरस्त करना पड़ा।

बुधवार को प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी एवं मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस वार्ता कर कहा कि बद्रीनाथ धाम में व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों को बिना नोटिस दिए उनके मकान व दुकान तोड़ी जा रही हैं।

  कांग्रेस ने कहा कि यह कार्य बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत किया जा रहा है । यदि सरकार को भूमि अधिग्रहण की जरूरत थी तो उससे पहले दुकान व मकान के मालिकों  को विश्वास  में लिया जाता। और उन्हें पुनर्वासित किया जाता।

  साथ ही उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए था। जोशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी ने पंडा पुरोहितों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।  ऐसा न करके भाजपा की सरकार ने पंडा पुरोहितों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।
      दसौनी  ने कहा कि बद्रीनाथ धाम के नारायणपुरी में व्यापारियों की 75 दुकान व 50 के करीब पुरोहितों के मकानों को ढहा दिया गया है।


       संघर्ष समिति की प्रमुख मांग है की धामी सरकार अपनी विस्थापन नीति स्पष्ट करें ।  11 बिंदुओं  का एक मांग पत्र जारी करते हुए मास्टर प्लान संघर्ष समिति ने धामी सरकार से शीघ्र अति शीघ्र निर्णय लेने के लिए कहा है।

      संघर्ष समिति का कहना है कि नवंबर 2022 में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद सभी व्यापारी और पंडा पुरोहित जोशीमठ व वन्य स्थानों पर चले जाते हैं। और अप्रैल मई में फिर बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं ।शासन ने इसी का फायदा उठाते हुए फरवरी-  मार्च में उनके घर ,मकान ,दुकान ध्वस्त कर दिए।

इस मामले में संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज से संपर्क करने की कोशिश की गई । लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ आया। उनका पक्ष मिलते ही प्रकाशित किया जाएगा।

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