संस्कृत को बढ़ावा देने वाले संस्थान के मुख्य भवन पर ‘English’ का कब्जा !

घर में ही उपेक्षा- अंग्रेजी में चमचमा रहा केंद्रीय संस्कृत विवि का बोर्ड

श्री रघुनाथ कीर्ति कैम्पस ,देवप्रयाग की मुख्य बिल्डिंग में अंग्रेजी में लिखा है central sanskrit university

अन्य प्रदेशों में मुख्य तौर पर संस्कृत व हिंदी में लिखा है विवि का नाम

राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन तो नहीं

अविकल थपलियाल

देवप्रयाग। अगर आप ऋषिकेश से देवप्रयाग या पौड़ी की दिशा में जा रहे हों या फिर श्रीनगर से ऋषिकेश की ओर आ रहे हों तो देवप्रयाग के संगम के निकट पहाड़ी पर बने केंद्रीय संस्कृत विवि की बिल्डिंग बरबस खींचेगी।

श्री रघुनाथ कीर्ति कैम्पस ,देवप्रयाग की बिल्डिंग में दूर से ही रात और दिन में सिर्फ अंग्रेजी में central sanskrit university लिखा साफ नजर आ रहा है।

यह राजभाषा अधिनियम के उल्लंघन का मामला भी बनता दिख रहा है। सरकारी बोर्ड में सिर्फ एक ही भाषा में लिखा जाना भी कितना उचित है।

देवप्रयाग के प्रसिद्ध संगम के निकट पहाड़ी पर बने इस central sanskrit university का बोर्ड तो रात में विशेष तौर पर चमचमाता नजर आ रहा है।सिर्फ अंग्रेजी में ही बोर्ड पर नामोल्लेख कई सवाल भी खड़े कर रहा है। संस्कृत को बढ़ावा देने सम्बन्धी तमाम कोशिशों के बाद भी मुख्य बिल्डिंग पर पर संस्कृत व हिंदी के दर्शन नहीं होना भी किसी पहेली से कम नहीं है।

जबकि अन्य प्रदेशों में मुख्य बोर्ड पर संस्कृत व हिंदी में केंद्रीय संस्कृत विवि लिखा नजर आ रहा है (नीचे देखें फोटोज)। किसी नियम के तहत अगर केंद्रीय विवि को अंग्रेजी में लिखा जाना अनिवार्य भी हो । तो भी सबसे ऊपर संस्कृत में ही संस्थान का उल्लेख जरूरी है। उसके बाद बोर्ड में हिंदी, अंग्रेजी व अन्य क्षेत्रीय भाषा बोली में संस्थान की पहचान से जुड़े नाम का उल्लेख अवश्य होना चाहिए।

संस्कृत को बढ़ावा देने वाले कालेज व विवि में मुख्य तौर पर संस्कृत का ही उपयोग होना चाहिए। लेकिन देवप्रयाग स्थित रघुनाथ कीर्ति कैंपस के मुख्य बोर्ड पर अंग्रेजी में central sanskrit university लिखा जाना समझ से परे है।

देश के अन्य स्थानों में प्रमुख तौर पर संस्कृत व हिंदी में विवि के नाम का उल्लेख किया गया है।

इधर, 2016 में स्थापित देवप्रयाग के संस्कृत संस्थान के कैंपस में हिंदी में लिखा बोर्ड भी नजर आता है लेकिन मुख्य बोर्ड में संस्कृत व हिंदी में विवि के नाम का उल्लेख न होना किसी आश्चर्य व मानवीय भूल से कम नहीं माना जा रहा।

दूर से नजर आ रहे मुख्य बिल्डिंग के एक हिस्से में संस्कृत व हिंदी में लिखे बड़े बड़े अक्षरों से सजा एक और बोर्ड टंग जाय तो संस्कृत के उत्थान में यह एक सुकूनभरा कदम समझा जाएगा।

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