नगर निगम हरिद्वार में जमीन घोटाले में चार अधिकारी निलंबित

जांच में जिले के बड़े अधिकारियों को नहीं छेड़ा

अहम सवाल- बड़े अफसरों पर कब गिरेगी गाज

दून में बैठा कौन अधिकारी दे रहा ‘संरक्षण’

अविकल थपलियाल

देहरादून। हमेशा की तरह इस बार भी बड़ी मछलियां गहराई में गोते लगाते बच निकली। सरकारी जांच में तत्काल छोटी मछलियों को फंदे मेँ फंसा लिया।

खबर , ताजा-ताजा यह है कि नगर निगम हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले मामले में जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने चार अफसरों को निलंबित कर दिया है।

इनमें सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण , कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और जेई दिनेश चंद्र कांडपाल शामिल हैं। ये चारों जमीन खरीद मामले के लिए बनाए गई समिति में शामिल थे।

इस प्रकरण में सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की संलिप्तता पायी गयी है। उनका सेवा विस्तार समाप्त करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश देने के साथ ही सुश्री निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी,
नगर निगम, हरिद्वार का स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

भ्र्ष्टाचार की यह हैरतअंगेज कहानी हरिद्वार से जुड़ी है। जमीन के खेल में बंदरबांट कर गए बड़े लोग अभी शिकंजे से दूर हैं। कब पकड़ में आएंगे, इसमें सन्देह है।

सन्देह इसलिए कि बहुचर्चित NH 74 घोटाले में बड़े लोगों को क्लीन चिट मिल गयी थी ,बाकी दोषी जेल में डाल दिये गए थे।

बहरहाल, चार अफसरों के निलंबन के बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि जिले के बड़े अधिकारी घोटाले के धुएं के बीच साइड से निकल लिए। इन पर किसी बड़े अधिकारी का वरदहस्त बताया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला

ऐसे हुई 15 से 54 करोड़ रुपए कीमत
भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट छह हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल कीमत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। पर, लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। खास बात ये है कि अक्टूबर में एसडीएम अजयवीर सिंह ने लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही निगम निगम हरिद्वार ने एग्रीमेंट कर दिया और नवंबर में रजिस्ट्री कर दी।
नगर निगम हरिद्वार ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा भूमि का क्रय किया था। ये भूमि 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी जबकि छह करोड़ रुपए स्टाप ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जमा हुए थे। 2024 में तब नगर प्रशासक आईएएस वरुण चौधरी थे। जमीन खरीद मामले में मेयर किरण जैसल ने सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच सीनियर आईएएस अफसर रणवीर सिंह को सौंपी थी। अब इस मामले में जमीन को बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश कर दिए गए हैं।

बड़ी मछलियां कब फंसेंगी

लैंड यूज में खेल: अक्टूबर 2024 में एसडीएम अजयवीर सिंह ने जमीन का लैंड यूज बदला। और चंद दिनों में ही नगर निगम ने खरीद का एग्रीमेंट कर लिया। नवंबर में रजिस्ट्री पूरी हो गई। यह तेजी संदेहास्पद है और प्रक्रियागत नियमों की अनदेखी को दर्शाती है।

  1. *₹पारदर्शिता का अभाव- जमीन खरीद के लिए कोई पारदर्शी बोली प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जो सरकारी खरीद नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही, नगर निगम ने इस खरीद के लिए शासन से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली।
  2. सशर्त अनुमति का दुरुपयोग: जमीन को गोदाम बनाने के लिए धारा 143 के तहत सशर्त अनुमति दी गई थी, जिसमें शर्त थी कि यदि भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन से अलग किया गया, तो अनुमति स्वतः निरस्त हो जाएगी। आरोप है कि इस जमीन का उपयोग कूड़ा डंपिंग के लिए किया गया, जो अनुमति का उल्लंघन हो सकता है।

मामले के तूल पकड़ने के बाद मेयर किरण जैसल ने इस सौदे पर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह को सौंपी। जांच के बाद चार अधिकारियों को निलंबित किया गया। और जमीन बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश दिए गए।

घोटाले में पूर्व नगर प्रशासक (एमएनए) वरुण चौधरी पर सर्किल रेट का दुरुपयोग कर सौदा करने का आरोप है। इसके अलावा, एक आईएएस अधिकारी की पत्नी द्वारा संचालित एनजीओ की संलिप्तता भी जांच के दायरे में है। जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह और नगर निगम आयुक्त भी जांच के घेरे में हैं, जिससे इस घोटाले में उच्चस्तरीय संलिप्तता की आशंका बढ़ गई है।

इस तरह के बड़े सौदों में तहसील और नगर निगम की संयुक्त जांच अनिवार्य होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यह प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। साथ ही, सर्किल रेट और लैंड यूज में बदलाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा।

यह घोटाला न केवल वित्तीय अनियमितताओं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है।

यह मामला केवल एक घोटाला नहीं, बल्कि सिस्टम की उन खामियों का प्रतीक है, जो बार-बार सामने आती हैं।

देखें आदेश

कार्यालय-आदेश
नगर निगम, हरिद्वार द्वारा सराय स्थित भूमि को कय किये जाने विषयक प्रकरण में नगर आयुक्त, नगर निगम, हरिद्वार द्वारा उपलब्ध करायी गयी आख्या दिनांक 29.04.2025 में प्रथमदृष्टया गंभीर अनियमितता दृष्टिगोचर हुई है। प्रकरण की विस्तृत जॉच हेतु श्री रणवीर सिंह चौहान, सचिव, गन्ना चीनी, उत्तराखण्ड शासन को जॉच अधिकारी नामित किया गया है। उक्त भूमि को कय किये जाने हेतु गठित समिति के एक सदस्य के रूप में श्री आनन्द सिंह मिश्रवाण, सहायक अभियन्ता (प्रभारी अधिशासी अभियन्ता), नगर निगम, हरिद्वार द्वारा अपने दायित्वों का सम्यक् रूप से निर्वहन नहीं किया गया है। प्रकरण में प्रथमदृष्टया पायी गयी गंभीर अनियमितता के दृष्टिगत श्री आनन्द सिंह मिश्रवाण, सहायक अभियन्ता (प्रभारी अधिशासी अभियन्ता), नगर निगम, हरिद्वार को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है।
2-निलम्बन की अवधि में श्री आनन्द सिंह मिश्रवाण, सहायक अभियन्ता (प्रभारी अधिशासी अभियन्ता), नगर निगम, हरिद्वार को वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-2, भाग 2 से 4 के मूल नियम 53 के प्राविधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्द्ध वेतन पर देय अवकाश वेतन की राशि के बराबर होगी तथा उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि पर मंहगाई भत्ता, यदि ऐसे अवकाश वेतन पर देय है, भी अनुमन्य होगा किन्तु ऐसे अधिकारी को जीवन निर्वाह के साथ कोई मंहगाई भत्ता देय नहीं होगा, जिन्हें निलम्बन से पूर्व प्राप्त वेतन के साथ मंहगाई भत्ता अथवा मंहगाई भत्ते का उपांतिक समायोजन प्राप्त नहीं था, निलम्बन के दिनांक को प्राप्त वेतन के आधार पर अन्य प्रतिकर भत्ते भी निलम्बन की अवधि में इस शर्त पर देय होंगे, जब इसका समाधान हो जायेगा कि उनके द्वारा उस मद में व्यय वास्तव में किया जा रहा है, जिसके लिए प्रतिकर भत्ते अनुमन्य हैं।
3-उपर्युक्त प्रस्तर-2 में उल्लिखित मदों का भुगतान तभी किया जायेगा जबकि श्री आनन्द सिंह मिश्रवाण इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें कि वह किसी अन्य सेवायोजन, व्यापार, वृति व्यवसाय में नहीं लगे है।
4-निलम्बन की अवधि में श्री आनन्द सिंह मिश्रवाण को नगर निगम, कोटद्वार कार्यालय से सम्बद्ध किया जाता है। उक्त अवधि में श्री मिश्रवाण को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते का भुगतान नगर निगम, कोटद्वार से किया जायेगा।
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(गौरव कुमार)

नगर निगम, हरिद्वार द्वारा सराय स्थित भूमि को कय किये जाने विषयक प्रकरण में प्रथमदृष्टया गंभीर अनियमितता पाये जाने के दृष्टिगत प्रकरण की विस्तृत जॉच हेतु श्री रणवीर सिंह चौहान, सचिव, गन्ना चीनी, उत्तराखण्ड शासन को जॉच अधिकारी नामित करते हुए उक्त अनियमितता में प्रथमदृष्टया उत्तरदायी पाये गये प्रभारी सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम, हरिद्वार श्री रवीन्द्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियन्ता, नगर निगम, हरिद्वार श्री आनन्द सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक, नगर निगम, हरिद्वार श्री लक्ष्मीकांत भट्ट एवं अवर अभियन्ता, नगर निगम, हरिद्वार श्री दिनेश चन्द्र काण्डपाल, को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है।

इसके साथ ही प्रकरण में वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम, हरिद्वार सुश्री निकिता बिष्ट के विरूद्ध ‘कारण बताओ’ नोटिस निर्गत किया गया है तथा सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक श्री वेदपाल का सेवा विस्तार समाप्त करते हुए उनके विरूद्ध सिविल सर्विसेज रेगुलेशन के अनुच्छेद 351 (ए) के प्राविधानों के अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाही करने हेतु नगर आयुक्त, नगर निगम, हरिद्वार को निर्देशित किया है।

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