तीन साल के मासूम सागर की मौत ने 22 साल के उत्तराखण्ड को झकझोरा.
…और दो भाइयों की जोड़ी टूट गयी
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। बेशक आयुष्मान योजना के तहत मरीजों के इलाज पर प्रदेश सरकार 10 अरब खर्च कर चुकी हो। बेशक राज्य में 48.82 लाख लोग आयुष्मान कार्ड जेब में रख फ्री इलाज के हकदार हो गए हों…बेशक स्वास्थ्य विभाग में आये दिन बड़े बड़े दावों के सिलसिला जारी हो .. लेकिन उत्तराखण्ड में ततैया के डंक से मरने वालों की खबर ने इन दावों की कलई खोल दी।
बीते कुछ महीने में ततैया के डंक से 4-5 मौतें हो चुकी है। और एक बार फिर एक मासूम की ततैया के काटने से मौत हो गयी। घटना गुरुवार की है। बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील के पौसारी गांव के प्रियांशु (5) व सागर (3) घर के बाहर खेल रहे थे। इसी बीच,ततैयों ने दोनों भाइयों पर हमला कर दिया। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान छोटे भाई सागर की मौत हो गयी। इस घटना के बाद गांव में मातम छा गया। दो भाइयों की जोड़ी टूट गयी। इस दर्दनाक खबर ने अगस्त माह में हुई मासूम रोहित की मौत के जख्मों को ताजा कर दिया।
गौरतलब है कि राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखण्ड की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विभाग हमेशा से ही जनता के निशाने पर रहा है। तमाम दावों के बावजूद विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के अलावा कई अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जनता जूझती रही है। नीति आयोग भी अपनी रिपोर्ट में प्रदेश की खराब स्वास्थ्य सुविधाओं का उल्लेख किया है।
Health department lost due to wasp sting in Uttarakhand, another innocent died
ग्रामीण इलाकों में गुलदार के जारी हमलों के साथ साथ ततैया के हमले और समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाने की वजह से हो रही मौतों ने 22 साल के उत्तराखण्ड की स्वास्थ्य सुविधाओं पर कई सवालिया निशान लगा दिए हैं। बड़े बड़े दावों, शिलान्यास व लोकार्पण की खबरों के बीच तीन साल के मासूम सागर की ताजा मौत ने 22 बरस के युवा उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया…

7 अगस्त 2022 – लोहाघाट में दस साल के मासूम रोहित की ततैया के काटने से मौत हुई.
4 नवंबर 2022 – टिहरी में घास लेने गई महिला की ततैयों के काटने से मौत हुई। नरेंद्रनगर विधानसभा के काटलनौडू गांव की निवासी एक महिला की ततैया के काटने से मौत हुई थी.
दिसंबर 2021 में नीति आयोग की रिपोर्ट में कमियों का उल्लेख
नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक में उत्तराखंड की देश भर में ओवरआल रैंकिंग 15 आंकी गई। बीते वर्ष उत्तराखंड ओवरआल परफार्मेंस में 14वें स्थान पर आया था। उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी की ओर भी साफ कहा गया। आयोग की रिपोर्ट में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उत्तराखंड का प्रदर्शन खराब आंका गया।
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