हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशर का पचास करोड़ जुर्माना माफ करने पर खनन सचिव को तलब किया

डीएम ने किया था 50 करोड़ जुर्माना माफ, कई साल से दबी है जांच

रोडवेज के लिए रिज़र्व 25 मार्गों पर निजी बसें भी चलेंगी

स्टोन क्रशर मालिकों पर नरम रुख अपनाने से कई अधिकारी संदेह के घेरे में

अविकल उत्तराखण्ड

नैनीताल । हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशर के अवैध खनन व भंडारण के 50 करोड़ जुर्माना माफ करने पर सख्त रुख अपनाया है। और खनन विभाग के सचिव को पूरी जांच रिपोर्ट के साथ तीन सितम्बर को होने वाली सुनवाई में उपस्थित होने के आदेश दिए हैं। तीन सितम्बर को जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी। जुर्माना माफ से जुड़ी जाँच भी कई साल से दबी पड़ी है। कई अधिकारी संदेह के घेरे में हैं।

मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की संयुक्त खंडपीठ ने कड़ा आदेश जारी किया है। 50 करोड़ जुर्माना माफ करने का यह चर्चित मामला 2016-17का है।

यह है मामला

भुवन पोखरिया ने इस मामले इन जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन व भंडारण का 50 करोड़ से अधिक जुर्माना माफ कर दिया था।

याचिका में एक बिंदु प्रमुखता से उठाया गया कि तत्कालीन डीएम ने उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया जिन पर जुर्माना करोड़ों में था।

लेकिन जिन स्टोन क्रशर का  जुर्माना कम था वह माफ नहीं किया। इसकी शिकायत तत्कालीन मुख्य सचिव व खनन सचिब से की गई थी। लेकिन शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। और यह भी कह दिया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है।

याचिकाकर्ता ने शासन से  लिखित में जवाब मांगा तो कोई लिखित जवाब नहीं दिया गया।

याचिकाकर्ता ने लगाई आरटीआई

याचिकाकर्ता ने पूछा कि जिलाधिकारी को किस नियम के तहत अवैध खनन व भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार है।औद्योगिक विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने कहा कि किसी भी डीएम को इस तरह का विशेषाधिकार हासिल नहीं है।

इसी को आधार बनाकर याचिकाकर्ता ने जनहित याचिकाकर्ता ने कहा कि जब लोक प्राधिकार में ऐसा कोई नियम नहीं है तो डीएम ने कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे करोड़ रुपये का जुर्माना माफ कर दिया।

मामला आगे बढ़ा और 2020 में तत्कालीन मुख्य सचिव को शिकायत की गयी। मुख्य सचिव ने औद्योगिक सचिव को जॉच के आदेश दिए।  औद्योगिक सचिव ने नैनीताल के तत्कालीन डीएम को जांच अधिकारी नियुक्त किया। डीएम ने इसकी जांच एसडीएम हल्द्वानी को सौंप दी।

लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी 50 करोड़ से अधिक का जुर्माना माफ करने सम्बन्धी जांच रिपोर्ट आज तक पेश नहीं कि गयी।

मंगलवार को हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए खनन सचिव को हाईकोर्ट में तलब कर लिया।

प्रस्तुत नहीं की गई। जनहित याचिका में न्यायाल से मांग की गई है कि इसपर कार्यवाही की जाय।

रोडवेज के लिए रिज़र्व 25 मार्गों पर निजी बसें भी चलेंगी

एक महत्वपूर्ण निर्णय में नैनीताल हाईकोर्ट ने रोडवेज की बसों के लिये आरक्षित 25 मार्गों  को निजी कंपनियों के लिये खोले जाने की अनुमति दे दी है।
मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मंगलवार को उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर यह फैसला दिया।

रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन कर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के लिये आरक्षित मार्गों पर निजी कंपनियों को परमिट दिया जा रहा है। सरकार की ओर से रोडवेज का पक्ष नहीं सुना गया है।

जबकि मंगलवार को हुई सुनवाई में सरकार ने कहा  कि रोडवेज का पक्ष सुना गया है। उसके बाद ही यह निर्णय लिया गया।

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने रोडवेज की बसों के लिये आरक्षित 25 मार्गों को निजी कंपनियों के लिये खोले जाने के सरकार के कदम को हरी झंडी दे दी है।

कुमाऊं मोटर आनर्स यूनियन (केमू) की ओर से भी हस्तक्षेप करते हुए गया कि रोडवेज के पास पर्याप्त बसें उपलब्ध नहीं हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश मार्गों पर निजी कंपनियों की बसें संचालित हो रही है।

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