करोड़ों का जमीन घोटाला ! दिल्ली के कारोबारी ने पर्यटन श्रेणी की जमीन हरिद्वार के बिल्डर को बेची
रानीपोखरी के पास वृहद आध्यात्मिक-धार्मिक-पर्यटन केंद्र के लिए खरीदी जमीन पर नहीं किया कोई निर्माण
2011 में कृषि भूमि के भू उपयोग परिवर्तन के 60 लाख जमा किये थे दिल्ली की कम्पनी ने
जांच में फंस सकते हैं कई अधिकारी व कर्मचारी
अविकल थपलियाल
ऋषिकेश/देहरादून। एक बड़ी महायोजना में जमीन घोटाले की आहट। तेरह साल पहले दिल्ली की सनात्री कारपोरेशन ने आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कई बीघा जमीन खरीदी। लेकिन एक ईंट भी नहीं रखी। और फिर लैंड यूज के बाद पर्यटन श्रेणी की जमीन हरिद्वार के बिल्डर को बेच भारी मुनाफा कमाया।
हरिद्वार के बिल्डर ने बिना लैंड यूज कराए इस जमीन पर प्लाट बनाकर लोगों को बेच दिए। खरीदारों ने रजिस्ट्री भी करवा दी। लेकिन पर्यटन श्रेणी की जमीन पर हुई रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज में दिक्कत पेश आ रही है।
इस मामले में जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर ही उक्त भूमि में पर्यटन गतिविधियां नहीं होने पर भूमि को फिर से अकृषि/ कृषि भूमि मानते हुए बिल्डर को रियायत दे दी। अपने आदेश में प्रशासन ने बंगलौर के ट्रिब्यूनल के फैसले को आधार बनाया। जबकि पर्यटन श्रेणी की भूमि का नये सिरे से भू उपयोग परिवर्तन के लिए शासन की मंजूरी नहीं ली गयी।
सनात्री कारपोरेशन की महायोजना से जुड़ी जमीन घोटाले की खबर कुछ यूं है- दिल्ली की एक फर्म ने ऋषिकेश के पास रानीपोखरी में कई बीघा जमीन खरीदी। इस जमीन पर धार्मिक व आध्यात्मिक योग के केंद्र की स्थापना की जानी थी। लिहाजा लगभग 15 हेक्टेयर कृषि भूमि का लैंड यूज़ बदला गया। और खरीदी गई जमीन की प्रकृति को कृषि श्रेणी से पर्यटन श्रेणी में कर दिया गया।
दिल्ली निवासी खोसला दम्पत्ति की सनात्री कारपोरेशन ने दिसम्बर 2011को दून घाटी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के खाते में भू उपयोग परिवर्तन की धनराशि लगभग 60 लाख रुपए भी जमा करवा दिए। गौरतलब है कि प्राधिकरण ने कम्पनी को 16 दिसम्बर को भू उपयोग परिवर्तन की धनराशि शर्तों के साथ जमा करने को पत्र लिखा। और सनात्री कारपोरेशन ने अगले ही दिन 17 दिसम्बर को लगभग 60 लाख जमा करवा दिए (देखें पत्र)।
दिल्ली की फर्म को अब खरीदी गई भूमि के हिस्से में बेहतरीन धार्मिक ,आध्यत्मिक व पर्यटन केंद्र की स्थापना करनी थी। इस बहुआयामी केंद्र में पर्यटकों के लिए एम्युजमेंट पार्क, वाटर पार्क, नेचुरल एंव बोटनिकल पार्क, शैल उद्यान, कल्चरल सेंटर, स्पा, ध्यान योग केंद्र और स्वीमिंग पूल की स्थापना की जानी थी। चूंकि लैंड यूज लगभग 15 हेक्टेयर कृषि भूमि का पर्यटन श्रेणी में किया गया। लेकिन धार्मिक ,आध्यत्मिक व पर्यटन केंद्र की गतिविधियां लगभग 200 बीघा जमीन में स्थापित करने की बात कही गयी।
2011 में विशेष प्रयोजन के लिए खरीदी गई जमीन पर शर्तों के मुताबिक कोई धार्मिक-आध्यात्मिक-पर्यटन केंद्र की स्थापना नहीं की गई। और दिल्ली की सनात्री कारपोरेशन के खोसला परिवार ने तहसील ऋषिकेश की बड़कोट माफी (परवादून) की जमीन ज्वालापुर निवासी मैनपाल चौधरी व परिजनों को नियमविरुद्ध बेच दी (देखें दस्तावेज)।
जबकि अनुबंध के मुताबिक सनात्री कारपोरेशन को पर्यटन श्रेणी की जमीन बेचने का अधिकार नहीं था। और विशेष परिस्थितियों में जमीन बेचने से पहले शासन की अनुमति लेनी आवश्यक थी। लेकिन दिल्ली की सनात्री कारपोरेशन ने ऐसा नहीं किया।
हरिद्वार के भू कारोबारी ने यह जमीन अन्य लोगों को बेचनी शुरू कर दी। तत्कालीन एसडीएम के के मिश्रा ने बेची गयी जमीन की रजिस्ट्री पर आपत्ति दर्ज कराते हुए रजिस्ट्रार ऋषिकेश से मामले में पूछताछ की थी। और मैनपाल चौधरी को नोटिस भी जारी किया था।
लेकिन इसी बीच के के मिश्रा का तबादला हो गया। नये एडीएम रामजी शरण शर्मा के आते ही रजिस्ट्री पर लगी आपत्ति हटा ली गयी। एडीएम राम जी शरण शर्मा की कोर्ट ने जारी नोटिस को निरस्त ही नहीं किया। बल्कि स्टाम्प ड्यूटी में भी राहत दे दी ।
(देखें ADM कोर्ट का जून 2023 का आदेश)
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जून 2023 में रामजी शरण शर्मा ने बंगलौर के एक ट्रिब्यूनल के भूमि उपयोग परिवर्तन सम्बन्धी आदेश की आड़ लेते हुए पर्यटन श्रेणी में तब्दील भूमि को फिर से कृषि श्रेणी में मानते हुए बिल्डर को जमीन की खरीद फरोख्त में काफी छूट दी । आदेश में कहा गया कि यदि किसी कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तित होने के दो वर्ष बाद तक उसके सम्बन्धित कार्य शुरू नहीं होता है तो उक्त भूमि का कृषि भूमि ही माना जायेगा। आदेश में एमडीडीए के रानीपोखरी सेक्टर प्लान की प्रति का उल्लेख करते हुए कृषि के अतिरिक्त अन्य प्रयोजन के अन्य स्टाम्प शुल्क नहीं लगाने की भी बात कही गयी।
(देखें आदेश)
गौरतलब है कि मई 2024 के लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान अपर जिलाधिकारी राम जी शरण शर्मा को अचानक निलम्बित कर दिया गया था। निलंबन के पीछे चुनावी तैयारी में ढिलाई को प्रमुख आधार बताया गया था। बाद में आरोप निराधार पाते हुए निलंबन वापस ले लिया गया । और बाध्य प्रतीक्षा में चल रहे पीसीएस अधिकारी रामन जी शरण शर्मा को अगस्त में आयुर्वेद विवि का रजिस्ट्रार बना दिया गया।
खबर यह है कि सम्बंधित भू कारोबारी लोगों को नियम विरुद्ध बेची गयी जमीन के दाखिल खारिज को लेकर फिर गोटें बिछाने में जुटे हैं।
बहरहाल, देहरादून से सटे इलाके में दिल्ली के कारोबारी के आध्यात्मिक व पर्यटन गतिविधियों के लिए जमीन खरीदने और फिर तय प्रोजेक्ट पर काम न कर बिल्डर को जमीन बेच देने के इस घोटाले में सरकारी मशीनरी भी लपेटे में आ रही है। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या जिला प्रशासन कई हेक्टेयर जमीन का भू उपयोग परिवर्तन करने का अधिकारी है? जबकि प्रदेश में भू उपयोग परिवर्तन के लिए शासन की मंजूरी जरूरी होती है।
इस जमीन घोटाले से यह भी साफ हो गया है कि प्रदेश में तय प्रोजेक्ट से इतर जमीन का दुरुपयोग खुलेआम हो रहा है। जबकि तय अवधि इन जमीन का शर्तों का उपयोग नहीं होने पर रानीपोखरी के निकट की यह जमीन सरकार में निहित हो जानी चाहिए थी।
अगर धामी सरकार इस जमीन घोटाले की जांच करवा दे तो कई विभागीय कर्मियों के भी फंसने की पूरी संभावना है।
रकबा 14.2290 हैक्टे० संयुक्त भूखण्ड भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन के लगभग साठ लाख जमा किये