महायोजना आध्यात्मिक-धार्मिक- पर्यटन केंद्र की और बिल्डर को बेच दी जमीन

करोड़ों का जमीन घोटाला ! दिल्ली के कारोबारी ने पर्यटन श्रेणी की जमीन हरिद्वार के बिल्डर को बेची

रानीपोखरी के पास वृहद आध्यात्मिक-धार्मिक-पर्यटन केंद्र के लिए खरीदी जमीन पर नहीं किया कोई निर्माण

2011 में कृषि भूमि के भू उपयोग परिवर्तन के 60 लाख जमा किये थे दिल्ली की कम्पनी ने

जांच में फंस सकते हैं कई अधिकारी व कर्मचारी

अविकल थपलियाल

ऋषिकेश/देहरादून। एक बड़ी महायोजना में जमीन घोटाले की आहट। तेरह साल पहले दिल्ली की सनात्री कारपोरेशन ने आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कई बीघा जमीन खरीदी। लेकिन एक ईंट भी नहीं रखी। और फिर लैंड यूज के बाद पर्यटन श्रेणी की जमीन हरिद्वार के बिल्डर को बेच भारी मुनाफा कमाया।


हरिद्वार के बिल्डर ने बिना लैंड यूज कराए इस जमीन पर प्लाट बनाकर लोगों को बेच दिए। खरीदारों ने रजिस्ट्री भी करवा दी। लेकिन पर्यटन श्रेणी की जमीन पर हुई रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज में दिक्कत पेश आ रही है।

इस मामले में जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर ही उक्त भूमि में पर्यटन गतिविधियां नहीं होने पर भूमि को फिर से अकृषि/ कृषि भूमि मानते हुए बिल्डर को रियायत दे दी। अपने आदेश में प्रशासन ने बंगलौर के ट्रिब्यूनल के फैसले को आधार बनाया। जबकि पर्यटन श्रेणी की भूमि का नये सिरे से भू उपयोग परिवर्तन के लिए शासन की मंजूरी नहीं ली गयी।

सनात्री कारपोरेशन की महायोजना से जुड़ी जमीन घोटाले की खबर कुछ यूं है- दिल्ली की एक फर्म ने ऋषिकेश के पास रानीपोखरी में कई बीघा जमीन खरीदी। इस जमीन पर धार्मिक व आध्यात्मिक योग के केंद्र की स्थापना की जानी थी। लिहाजा लगभग 15 हेक्टेयर कृषि भूमि का लैंड यूज़ बदला गया। और खरीदी गई जमीन की प्रकृति को कृषि श्रेणी से पर्यटन श्रेणी में कर दिया गया।

दिल्ली निवासी खोसला दम्पत्ति की सनात्री कारपोरेशन ने दिसम्बर 2011को दून घाटी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के खाते में भू उपयोग परिवर्तन की धनराशि लगभग 60 लाख रुपए भी जमा करवा दिए।
गौरतलब है कि प्राधिकरण ने कम्पनी को 16 दिसम्बर को भू उपयोग परिवर्तन की धनराशि शर्तों के साथ जमा करने को पत्र लिखा। और सनात्री कारपोरेशन ने अगले ही दिन 17 दिसम्बर को लगभग 60 लाख जमा करवा दिए (देखें पत्र)।

कार्यालय दूनघाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण 30/2, मोहिनी रोड, देहरादून।
दिनांकः 16 दिसम्बर, 2011
पत्रांक 1889/भू030/2007-08 श्रीमती आरती खौसला, श्रीमती आदर्श चन्दोक, कु० स्मृति खोसला एवं श्री आदित्य खोसला (मै० सनार्ती कारपोरेशन), एस-46, ओखला फेज-II, नई दिल्ली-110020
ग्राम बड़‌कोटमाफी, पगरना परवाटून जिला देहरादून के खसरा नम्बर-1749 से 1753, 17637, 1853, 1854, 1860, 1861, 1862, 1865 से 1871, 1875 एवं 1878 से 1895 कुल रकबा 14.2290 हैक्टे० संयुक्त भूखण्ड भूमि का वर्तमान भू-उपयोग कृषि से पर्यटन (आध्यात्मिक धार्मिक) भू-उपयोग में परिवर्तन किये जाने के सम्बन्ध में आपके अनुरोध पर शासन के निर्देशाक्रम में भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क निर्धारण विषयक शासनादेश संख्या 1205/V-आ0-2005-11 (एल०यू०सी०)/2005 दिनांक 12-4-2005 एवं शासनादेश सं0-1573/V/आ0-2006-11 (एलयूसी)/2003 दिनांक 19-9-2006 के अनुसार वर्तमान भू-उपयोग कृषि से पर्यटन (अध्यात्मिक/धार्मिक) हेतु भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क भूखण्ड रू0 59,76,180.00 (रू० उनसठ लाख छिहत्तर हजार एक सौ अस्सी मात्र) निम्नलिखित प्रतिबन्धों के साथ देय होंगे :-
अ-
मुख्य देहरादून-ऋषिकेश मार्ग से प्रश्नगत भूखण्ड तक जाने वाले झीलवाला मार्ग की 9.00मी0 चौड़ाई में
ब- उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। भूक्षेत्र में पड़ने वाले नाला खाला एवं बरसाती नालों का संरक्षण करना होगा तथा दोनों ओर 5.00मी0
हरित पटिट्का का विकास करना होगा।
स- दूनघाटी महायोजना-2001 में संशोधन के सम्बन्ध में की जा रही कार्यवाही भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दूनघाटी क्षेत्र के सम्बन्ध में निर्गत अधिसूचना दिनांक 1-2-1989 एवं दिनांक 14-9-2006 से आच्छादित एवं प्रभावित होगी।
द- य- आवेदकों को अपने स्वामित्व भू-भाग में वन क्षेत्र की ओर चारों ओर सघन वृक्षारोपित पटिट्‌का विकसित करनी होगी। प्रस्तुत शपय पत्रानुसार खसरा नम्बर-1847 भूमि मात्र रास्ते के प्रयोजन के लिए प्रयुक्त किया जायेगा।
अतः आपको सूचित किया जाता है कि उपरोक्त से सहमति की दशा में भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क रू0 59,76,180.00 (रू० उनसठ लाख छिहत्तर हजार एक सौ अस्सी मात्र) पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अन्दर प्राधिकरण कोष में जमा कराना सुनिश्चित करें ताकि तद्‌नुसार प्रकरण में अधिनियमानुसार अग्रेत्तर कार्यवाही की जा सके।
सचिव
दूनघाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण देहरादून।
SUB: Deposit of Conversion Charges for Land use change from Agriculture to Tourism REF: Your letter No. 1889/bhu-ou/2007-08 dated 16.12.2011
Dear Sir,
Please refer to your letter at reference above.
We acknowledge with thanks the receipt of your above mentioned letter conveying the State Govt. acceptance to convert land use of our 14.229 hectares of land from agricultural
to Tourism, on payment of the said charges 2. The conditions stated in your above mentioned letter are accepted as follows, given below in seriatim order
(a) We have already submitted the Tehsildar’s/ Patwari’s report dated 28.11.2011 for the road from Dhandi Chowk to the Jheel Wala side to our land is 9 meter wide including canal and at some places more than 9 meters. If any other effort with in our scope is required from us we would happy to do the needful at all times.
A
(b) We accept the requirements for Nalas, Khalas etc.
(c) We accept the condition of central govt. at point 3.
(d) We accept to provide line of trees alongside the forest boundary as stated in your letter
(e) We confirm that Khasra no. 1847 shall be used for passage only
We are depositing the subject land use conversion charges vide Pay order no.7886 drawn on Bank of India, Dehradun Branch for Rs. 59,76,180 favoring “Secretary Doon Valley, Special Area Development Authority, Dehradun” Please acknowledge receipt and issue the notification as soon as possible
Thanking you Yours faithfully
Auth. Signatory (Sanjeev Khosla)
Enclosures a/a Pay order no. 7886 dated 17.12.2011 for Rs 59,76,180

दिल्ली की फर्म को अब खरीदी गई भूमि के हिस्से में बेहतरीन धार्मिक ,आध्यत्मिक व पर्यटन केंद्र की स्थापना करनी थी। इस बहुआयामी केंद्र में पर्यटकों के लिए एम्युजमेंट पार्क, वाटर पार्क, नेचुरल एंव बोटनिकल पार्क, शैल उद्यान, कल्चरल सेंटर, स्पा, ध्यान योग केंद्र और स्वीमिंग पूल की स्थापना की जानी थी।
चूंकि लैंड यूज लगभग 15 हेक्टेयर कृषि भूमि का पर्यटन श्रेणी में किया गया। लेकिन धार्मिक ,आध्यत्मिक व पर्यटन केंद्र की गतिविधियां लगभग 200 बीघा जमीन में स्थापित करने की बात कही गयी।

2011 में विशेष प्रयोजन के लिए खरीदी गई जमीन पर शर्तों के मुताबिक कोई धार्मिक-आध्यात्मिक-पर्यटन केंद्र की स्थापना नहीं की गई। और दिल्ली की सनात्री कारपोरेशन के खोसला परिवार ने तहसील ऋषिकेश की बड़कोट माफी (परवादून) की जमीन ज्वालापुर निवासी मैनपाल चौधरी व परिजनों को नियमविरुद्ध बेच दी (देखें दस्तावेज)।

यह कि वर्णित विक्रीत भूमि मुख्यं ऋषिकेश-देहरादून मार्ग से लगभग 500 मी० से अधिक की दूरी पर स्थित है।
यह कि वर्णित भूमि कृर्षि भूमि है। जिस पर पेड बाग निर्माण आदि नहीं है।
यह कि विक्रेता एवं क्रेती अनुसुचित जाति व जनजाति से सम्बन्धित नहीं है।
यह कि विक्रेता एवं क्रेता भारतीय नागरिक है तथा विक्रेता एवं क्रेता तथा उभयपक्ष पाकिस्तान, बंगलांदेश, श्रीलंका, अफगानिस्थान, चीन, ईरान, नेपाल तथा भूटान के नागरिक नही है।
यह कि वर्णित भूमि किसी धार्मिक संस्था या ट्रस्ट की नही है। इस भूमि के सम्बन्ध में किसी भ न्यायालय में कोई वाद लम्बित योजित अथवा ‘विचाराधीन नही है।
यह कि वर्णित विक्रीत भूमि कृषि प्रयोजन हेतु क्रय की जा रही है।
यह कि विक्रीत भूमि औधोगिक क्षेत्र से बाहर है।
यह कि विक्रीत भूमि के सम्बन्ध में पक्षकारो के मध्य पूर्व में कोई अनुबन्ध पत्र सम्पादित पंजीकृत नहीं हुआ है।
श्रीमती आरती खोसला पत्नी श्री संजीव खोसला निवासी-डब्लू-9, आर०एच०एस ग्राउण्ड एण्ड बेसमन्ट ग्रेटर कैलाश पार्ट-2, नई दिल्ली-110048 द्वारा मुख्तारेअ संजीव खोसला पुत्र श्री के०डी०खोसला निवासी-डब्लू-9, आर०एच०एस० ग्राउण एण्ड बेसमन्ट ग्रेटर कैलाश पार्ट-2, नई दिल्ली-110048 | विक्रेता
एवं
श्री सक्षम चौधरी पुत्र श्री मेमपाल सिंह चौधरी निवासी-आर्यनगर ज्वालापुर तहर्स व जिला हरिद्वार। …..क्रेता
यह कि वर्णित विक्रीत भूमि पर जो भी सुखाधिकार जैसे मौके पर कायम आवागमन के रास्ते, हवा, पानी, रोशनी, नाली आदि सभी उपयोग व उपभोग के अधिकार जो भी विक्रेता को प्राप्त है अथवा प्राप्त होना सम्भव हो आज से सभी अधिकार क्रेता को समान रूप से प्राप्त होगे।
यह कि वर्णित भूमि में यदि आज से पूर्व जो भी कर्जा देनदारी सरकारी, गैरसरकारी आदि किसी भी प्रकार का पाया जावे तो उन सबकी अदा करने की पूर्ण जिम्मेदारी विक्रेता की होगी तथा आज के बाद लगाये गये सभी कर व देनदारी का भार क्रेता का होगा।
यह कि वर्णित भूमि अथवा उसका कोई भी भाग विक्रेता के स्वामित्व कमी अथवा दोष के कारण क्रेता के कब्जे से निकल जावे और क्रेता को इस प्रकार कोई हानि सहन करनी पडे तो क्रेता को अधिकार होगा कि इस प्रकार की हुई हानि विक्रेता से मय हर्जे सहित वसूल पा लेवे।
यह कि इस विक्रय पत्र के पाबन्द दोनों पक्षों के उत्तराधिकारी हितप्रतिनिधि आदि का समावेश भी समान रूप से समझा व माना जावेगा।
यह कि वर्णित भूमि सीलिंग भूमि नही है।
यह कि न्यायालय कलेक्टर स्टाम्प / अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) देहरादून के आदेशानुसार वर्णित भूमि कृषि भूमि है।
यह कि वर्णित भूमि विक्रेता विक्रेता की स्वर्जित व्यक्तिगत भूमि है और उक्त विकय से माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश जो कि बंटवारे के बिना विक्रय पर प्रतिबन्ध है, का उल्लंघन नही किया जा रहा है।
यह कि विक्रेता ने वर्णित भूमि श्री पूरण सिंह, भरत सिंह, प्रेम सिंह, किशन सिंह, कबूल सिंह, लाल सिंह, चरण सिंह पुत्रगण बुद्धि सिंह से कय की है। जिसका विधिवत पंजीकरण कार्यालय सबरजिस्ट्रार ऋषिकेश के बही नं0-01 जिल्द नं0-473 पृष्ठ सं0-89 से 106 में दस्तावेज नं0-2064 पर दिनांक 06.06.2006 को विधिवत दर्ज है।
विवरण विक्रीत भूमि
भूमि खाता सं0-00772 फसली वर्ष-1429-1434 खसरा नं0-1866 मि० रकबा 0.2310 है0 खसरा नं0-1867 मि० रकबा 0.1680 है०, खसरा नं0-1868 मि० रकबा 0.2600 है०, खसरा नं0-1869 रकबा 0.2100 है० व खाता सं0-01347 फसली वर्ष-1429 से 1434 के अनुसार खसरा नं0-1875ग रकबा 0.1500 है०, खसरा नं0-1891 ख रकबा 0.5470 है०, खसरा नं0-1895 रकबा 0.4400 है० दोनो खातों से कुल विकित रकबा -2.006 है० भूमि स्थित मौजा-बडकोटमाफी (डाण्डी) तहसील ऋषिकेश जिला देहरादून। जिसकी दिशाऐ मौका कब्जानुसार व सरकारी नक्शे की फोटो प्रति के अनुसार

जबकि अनुबंध के मुताबिक सनात्री कारपोरेशन को पर्यटन श्रेणी की जमीन बेचने का अधिकार नहीं था। और विशेष परिस्थितियों में जमीन बेचने से पहले शासन की अनुमति लेनी आवश्यक थी। लेकिन दिल्ली की सनात्री कारपोरेशन ने ऐसा नहीं किया।

हरिद्वार के भू कारोबारी ने यह जमीन अन्य लोगों को बेचनी शुरू कर दी। तत्कालीन एसडीएम के के मिश्रा ने बेची गयी जमीन की रजिस्ट्री पर आपत्ति दर्ज कराते हुए रजिस्ट्रार ऋषिकेश से मामले में पूछताछ की थी। और मैनपाल चौधरी को नोटिस भी जारी किया था।

लेकिन इसी बीच के के मिश्रा का तबादला हो गया। नये एडीएम रामजी शरण शर्मा के आते ही रजिस्ट्री पर लगी आपत्ति हटा ली गयी।  एडीएम राम जी शरण शर्मा की कोर्ट ने जारी नोटिस को निरस्त ही नहीं किया। बल्कि स्टाम्प ड्यूटी में भी राहत दे दी ।

(देखें ADM कोर्ट का जून 2023 का आदेश)

रकथा-0.1 हैक्टेयर व खसरा संख्या-1886 रकबा 0.7210 हैक्टेयर कुल रकया-1.258 हैक्टेयर है, को विकस किया गया है।
3-
वाद दर्ज किया गया । प्रतिवादी द्वारा लिखित आपत्ति प्रस्तुत की जिसमें उल्लेख किया गया है कि कय की गई भूमि कृषि भूमि है तथा आज भी कृषि कार्य हो रहा है व कागजात माल में कृषि भूमि दर्ज है। प्रश्नगत भूमि देहरादून ऋषिकेश मार्ग से 1 किलोमीटर की दूरी पर ग्रामीण मार्ग पर स्थित हैं। प्रश्नगत भूमि का आज तक भी पर्यटन हेतु उपयोग नहीं किया गया है, वास्तविकता यह है कि उक्त भूमि में आज भी कृषि कार्य हो रहा है तथा पर्यटन का कार्य न होने के कारण विलेख पंजीकरण करने पूर्व विक्रेता ने अपनी समस्त भूमि पर प्राधिकरण द्वारा दी गई अनुमति को निरस्त करने का लिखित आग्रह किया था। बैंगलूरू के एक ट्रिब्यूनल ने भी अपने आदेश में कहा है
कि यदि किसी कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तित होने के दो वर्ष बाद तक उसके सम्बन्धित कार्य शुरू नहीं होता है तो उक्त भूमि का कृषि भूमि ही माना जायेगा। विपक्षी द्वारा भूमि के बाजारी मूल्य को ठीक प्रकार से उल्लिखित और लिखित को सम्यक रूप से स्टाम्पित किया है, इसलिए उक्त वाद निरस्त होने योग्य है तथा नोटिस धारा 47 ए स्टाम्फ के अन्तर्गत निर्गत नोटिस पूर्णतः अवैधानिक होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
4- मेरे द्वारा पत्रावली का अवलोकन एवं अनुशीलन किया गया। वर्तमान में भूमि का उपयोग किस प्रकार हो रहा है को जानने के लिये इस कार्यालय के पत्रांक 20/ स्टाम्प सहायक-2022 दिनांक जनवरी 19, 2023 द्वारा स्थलीय निरीक्षण कर भूमि की प्रस्थिति के बारे में स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट मंगाई गयी। उपजिलाधिकारी ऋषिकेश द्वारा अपनी जॉच आख्या संख्या-950 / एस०पी०ए० – विविध पत्रा०-2022, दिनांक 15 मार्च, 2023 के द्वारा अवमत कराया कि खसरा नं० 1884 रकबा 0.22है०, खसरा संख्या-1885 रकबा 0.032है०, खसरा नम्बर-1885ख रकबा 0. 185है0, खसरा संख्या-1875ख रकबा 0.1000है० खसरा संख्या- 1886 रकबा 0.7210है० कुल रकबा 1.250 भूमि पर धारा 143 के तहत् कोई घोषणा नहीं की गयी है। पुनः रिपोर्ट मंगाये जाने पर उप जिलाधिकारी ऋषिकेश ने अपने पत्रांक 1064/एस.पी.ए.-विविध पत्रा.-2022 दिनांक 13 जून 2023 के द्वारा अवगत कराया कि ग्राम बड़‌कोटमाफी परगना परवाटून तहसील ऋषिकेश जनपद देहरादून फसली वर्ष 1429-1434 के खाता सं. 1208 व खाता सं. 757 के अवलोकन से स्पष्ट है कि उक्त खतौनियों में धारा 143 का कोई भी इंद्राजा नहीं पाया गया। जिस कारण भूमि अकृषक नहीं कही जा सकती है। मौके पर संपूर्ण भूमि खाली है तथा कृषि कार्य नहीं हो रहा है। उपरोक्त खतौनियों के अनुसार खातेदारों की श्रेणी 1-क भूमि जो संक्रमणीय अध्किार वाले भूमिघरों के अधिकार में हो। जिसके अनुसार उक्त भूमि कृषि योग्य भूमि है, अगर उक्त खातेदार मौके पर कृषि कार्य करना चाहे तो कृषि कार्य कर सकते है। खाता खतौनी संलग्न है। दूसरी ओर पत्रावली में संलग्न शिकायती पत्र के साथ दस्तावेजों से यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी ने जिस विक्रेता से विषयगत संपत्ति कय की है उन्होंने भू-उपयोग परिवर्तन के लिए प्रार्थना पत्र दिया था

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जून 2023 में रामजी शरण शर्मा ने बंगलौर के एक ट्रिब्यूनल के भूमि उपयोग परिवर्तन सम्बन्धी आदेश की आड़ लेते हुए पर्यटन श्रेणी में तब्दील भूमि को फिर से कृषि श्रेणी में मानते हुए बिल्डर को जमीन की खरीद फरोख्त में काफी छूट  दी । आदेश में कहा गया कि यदि किसी कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तित होने के दो वर्ष बाद तक उसके सम्बन्धित कार्य शुरू नहीं होता है तो उक्त भूमि का कृषि भूमि ही माना जायेगा। आदेश में एमडीडीए के रानीपोखरी सेक्टर प्लान की प्रति का उल्लेख करते हुए कृषि के अतिरिक्त अन्य प्रयोजन के अन्य स्टाम्प शुल्क नहीं लगाने की भी बात कही गयी।

(देखें आदेश)

सके कम में भू-उपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव तैयार हो उसके परिवर्तन हेतु शुल्क की मांग प्राधिकरण द्वारा प्रतिवादी द्वारा जिस विक्रेता से भूमि क्रय की गयी थी उससे मांग की गयी थी। इसी तथ्य को स्पष्ट करने के लिए इस न्यायालय से पत्रांक 932/है.अधि. ए.डी.एम. / 2023 दिनांक 30.05.2023 से वादग्रस्त भूमि का भू-उपयोग की वास्तविक स्थिति जानने के लिये प्राधिकरण को पत्र प्रेषित किया गया। कार्यालय मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, ट्रान्सपोर्ट नगर, सहारनपुर रोड देहरादून ने पत्रांक 467/ नि.अनु./2023-24 दिनांक 31.05.2023 के द्वारा रानीपोखरी सेक्टर प्लान की प्रति संलग्न करते हुये अवगत कराया कि ग्राम बड़कोटमाफी कृषि के अंतर्गत दर्शाया गया है। उपरीक्त दोनों तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि भूमि का उपयोग कृषि है जिसके कारण प्रतिवादी पर कृषि के अतिरिक्त अन्य किसी प्रयोजन के आधार पर स्टाम्प शुल्क का अधिरोपण नहीं किया जा सकता है। अतः प्रतिवादी के विरुद्ध जारी नोटिस निरस्त किया जाता है। बाद आवश्यक कार्यवाही पत्रावली अभिलेखागार में संचित हो।
(रामजी शरण शर्मा) कलेक्टर स्टाम्प / अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०),
देहरादून।

गौरतलब है कि मई 2024 के लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान अपर जिलाधिकारी राम जी शरण शर्मा को अचानक निलम्बित कर दिया गया था। निलंबन के पीछे चुनावी तैयारी में ढिलाई को प्रमुख आधार बताया गया था। बाद में आरोप निराधार पाते हुए निलंबन वापस ले लिया गया । और बाध्य प्रतीक्षा में चल रहे पीसीएस अधिकारी रामन जी शरण  शर्मा को अगस्त में आयुर्वेद विवि का रजिस्ट्रार बना दिया गया।

खबर यह है कि सम्बंधित भू कारोबारी लोगों को नियम विरुद्ध बेची गयी जमीन के दाखिल खारिज को लेकर फिर गोटें बिछाने में जुटे हैं।

बहरहाल, देहरादून से सटे इलाके में दिल्ली के कारोबारी के आध्यात्मिक व पर्यटन गतिविधियों के लिए जमीन खरीदने और फिर तय प्रोजेक्ट पर काम न कर बिल्डर को जमीन बेच देने के इस घोटाले में सरकारी मशीनरी भी लपेटे में आ रही है। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या जिला प्रशासन कई हेक्टेयर जमीन का भू उपयोग परिवर्तन करने का अधिकारी है? जबकि प्रदेश में भू उपयोग परिवर्तन के लिए शासन की मंजूरी जरूरी होती है।

इस जमीन घोटाले से यह भी साफ हो गया है कि  प्रदेश में तय प्रोजेक्ट से इतर जमीन का दुरुपयोग खुलेआम हो रहा है। जबकि तय अवधि इन जमीन का शर्तों का उपयोग नहीं होने पर रानीपोखरी के निकट की यह जमीन सरकार में निहित हो जानी चाहिए थी।

अगर धामी सरकार इस जमीन घोटाले की जांच करवा दे तो कई विभागीय कर्मियों के भी फंसने की पूरी संभावना है। 

रकबा 14.2290 हैक्टे० संयुक्त भूखण्ड भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन के लगभग साठ लाख जमा किये

उक्तानुसार ग्राम बड़कोटमाफी परगना परवादून श्रीमती आरती खोसला प्रो० सनार्ती कारपोरेशन, कु० स्मृति खोसला, श्री आदित्य खोसला का एवं श्रीमती आदर्श चंदोक के पक्ष में कुल भूखण्ड क्षेत्रफल 14.2290 हैक्टे० है।
4- शासन के निर्देशानुसार 1740 से 1760, 1847 एवं 1853 से 1891 हेतु भू-उपयोग परिवर्तन किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। इस सम्बन्ध में अवगत कराना है कि खातेदारों के प्राधिकृत हस्ताक्षरी श्री संजीव खोसला द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्रानुसार वर्तमान में खसरा नम्बर-1740 से 1746 एवं खसरा नम्बर-1754 से 1760 स्वामित्व भूक्षेत्र में कोई विकास नहीं करना चाहते हैं तथा न ही इनके द्वारा कोई भूमि अभिलेख प्रस्तुत किये गये हैं। सूच्य है कि खसरा नम्बर 1740 से 1746 एवं पर्यटन परियोजना हेतु प्रस्तावित खसरा नम्बर-1749 से 1753, 1763, 1847, 1853, 1854, 1860, 1861, 1862, 1865 से 1871, 1875 एवं 1878 से 1895 तक पड़ने वाले भूखण्ड के मध्य खसरा नम्बर-1747, 1748 एवं 1754 अन्य की भूमि है जिस कारण खसरा नम्बर 1740 से 1746 तक पड़ने वाले भूखण्ड का भू-उपयोग परिवर्तन किया जाना विचारणीय नहीं है। यह भूमि पृथक से है तथा कोई पहुंच उपलब्ध नहीं है।
अतः मात्र खसरा नम्बर-1749 से 1753, 1763ग, 1853, 1854, 1860, 1861, 1862, 1865 से 1871, 1875 एवं 1878 से 1895 कुल रकबा 14.2290 हैक्टे० संयुक्त भूखण्ड भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन विचारणीय है।
महायोजना में निम्न भू-उपयोग से उच्च भू-उपयोग परिवर्तन के लिए शुल्क निर्धारण सम्बन्धी शासनादेश सं0-1205/अ/आ0-2009-11 (एल०यू०सी०) /2005 दिनांक 12-4-2005 के बिन्दु सं0-3 में स्पष्ट वर्णित है कि भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क का निर्धारण उस क्षेत्र में भूमि मूल्य, जो सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित सर्किल रेट का प्रतिशत होगा को आवेदक द्वारा प्राधिकरण में जमा कराना होगा एवं बिन्दु सं0-5 में वर्णित है कि विभिन्न मनोरंजन एवं पर्यटन सम्बन्धी क्रियाकलापों के पारस्परिक अनुरूपता एवं अनुसांगिक प्रवृत्ति को दृष्टिगत रखते हुए हैल्थ-स्पों, ध्यान एवं योग केन्द्र, एम्यूजनमेंट पार्क, वाटर पार्क, नेचुरल एवं बॉटोनिकल पार्क, साइंस एवं एडवेन्चर उद्यान, शैल उद्यान, कल्चरल सैन्टर, स्वीमिंग

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