प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल SLP वापसी की अर्जी को किया निरस्त करने का फैसला। देखें पत्र
निर्दल विधायक के मसले पर भाजपा की अंदरूनी कशमकश हुई तेज..कांग्रेस ने साधा निशाना.
भाजपा एकजुट और पूर्व सीएम के साथ खड़ी: भट्ट
अविकल उत्तराखंड
देहरादून/नयी दिल्ली। देहरादून से दिल्ली तक भाजपा के गलियारे में जारी एसएलपी विवाद में धामी सरकार ने अपनी अर्जी वापस लेने का फैसला लिया है। इस फैसले से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को विशेष राहत मिली है।
19 नवंबर को यह हुआ फैसला
इस वाबत गृह विभाग ने शनिवार 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की वकील वंशजा शुक्ला को भेजे गए पत्र मे कहा है कि 26 सितम्बर 2022 को SLP वापसी के बाबत सुप्रीम कोर्ट में दी गयी अर्जी को राज्य सरकार ने जनहित में निरस्त करने का फैसला किया है। लिहाजा इस सम्बन्द्ग में आवश्यक कार्यवाही करें। गृह विभाग में उप सचिव अखिलेश मिश्रा की।ओर से यह पत्र जारी किया गया।
आज हुए इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दो साल पहले दाखिल की गयी SLP बरकरार रहेगी।
इधर,पार्टी उत्तराखण्ड भाजपा संगठन अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से कोई एसएलपी वापस नही ली गयी है। हालांकि, यह भी कहा कि मामला मुख्यमंत्री और सरकार से संबंधित होने के कारण इस पर अधिकृत जानकारी सरकार ही दे सकती है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में दायर की गई SLP वापस लेने सम्बन्धी धामी सरकार की 26 सितम्बर 2022 की अर्जी पर 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एमआर शाह और एम एम सुंदरेश की पीठ को करनी थी। अब राज्य सरकार के फैसले के बाद SLP का वजूद बरकरार रहेगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार की अर्जी वापसी के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर चुके थे। जबकि भावना पांडे ने SLP वापसी और इस मामले से जुड़े निर्दल विधायक उमेश कुमार के खिलाफ काफी हंगामा किया। भावना के आत्मदाह के ऐलान के बाद शुक्रवार को दून पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर छोड़ चुकी है। यह मामला मीडिया की खूब सुर्खियां बना।
भावना पांडे का कहना है कि धामी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से SLP वापस लेकर उमेश कुमार की मदद नहीं करनी चाहिए।कुल मिलाकर SLP (special leave petition) विवाद पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के शनिवार को आया ताजा बयान मुद्दे पर पानी डालने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इस पूरे प्रकरण से यह भी साफ हो गया है कि एक निर्दल विधायक से जुड़े कानूनी मामले में भाजपा नेताओं के बीच दरार पनपने लगी थी। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र गुट भी झटके में दिखा। अभी कुछ दिन पूर्व ही इसी निर्दल विधायक की शिकायत पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के सलाहकर के एस पंवार की पत्नी की कम्पनी की जॉच से भी राजनीतिक माहौल गर्मा गया था।
SLP व के एस पंवार प्रकरण पर कांग्रेस भी जमकर हाथ सेंक रही है। और इसे भाजपा की अंदरूनी राजनीति से जोड़कर देख रही है। जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि किसी भी जानकारी के पुख्ता होने से पहले कांग्रेस तिल का ताड़ बनाने और दुष्प्रचार से बाज आये।
भट्ट ने कहा कि पार्टी पूरी तरह से एकजुट और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत पार्टी के सम्मानित और वरिष्ठ नेता है ।
बहरहाल, उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार की ओर से 26 सितम्बर 2022 को दाखिल की गई SLP वापसी के ताजे फैसले के बाद विवाद थमने के आसार बनते नजर आ रहे हैं।
फ्लैशबैक-SLP
गौरतलब है कि प्रदेश के तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के भ्र्ष्टाचार के खिलाफ 27 अक्टूबर 2020 में नैनीताल हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ त्रिवेंद्र सरकार ने नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। चूंकि, नैनीताल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उमेश कुमार व अन्य पर राजद्रोह का मुकदमा खत्म करने के भी आदेश दिए थे। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी में कहा गया था कि उमेश कुमार व अन्य पर राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए।
इसके दो साल बाद अब सरकार ने बीते 18 अक्टूबर को एक सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाते हुए कहा कि 27 अक्टूबर 2020 के नैनीताल हाईकोर्ट के खिलाफ दाखिल SLP को वापस ले लिया जाय।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थी तीन SLP
यहां यह भी बता दें कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन एसएलपी दायर की गई हैं। एक एसएलपी वापस लेने के बाद भी दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। इन एसएलपी में भी सरकार पार्टी है।
हाईकोर्ट के सीबीआई जांच संबंधी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की एसएलपी और राजद्रोह की एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में हरेंद्र सिंह रावत की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
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