…तो आज हटाये जाएंगे रुड़की के मेयर, हाईकोर्ट के आदेश पर अमल का आज आखिरी दिन

मंत्री प्रेमचन्द की टेबल पर निर्णय के इंतजार में 27 मार्च से धूल फांक रही रुड़की मेयर की फ़ाइल

हाईकोर्ट के आदेश के बाद रुड़की नगर निगम के मेयर गौरव गोयल पर तय समय सीमा से पहले नहीं हो पाया फैसला. आज के आखिरी दिन पर टिकी निगाहें

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून/नैनीताल। …और मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल बीते डेढ़ महीने में फैसला नहीं कर पाए। रुड़की नगर निगम के मेयर गौरव गोयल को पद से हटाने की समय सीमा आज 15 मई को समाप्त हो रही है। बीते 13 अप्रैल को नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि 15 मई तक इस मामले में फैसला ले लें। कोर्ट 17 मई अगली सुनवाई की तारीख भी तय की है।

उल्लेखनीय है कि शहरी विकास विभाग के सचिव ने स्वंय उपस्थित होकर कोर्ट के सामने शासन की फ़ाइल का e मूवमेंट चार्ट भी रख दिया था। जिससे साफ पता चल रहा है कि फ़ाइल 27 मार्च से मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के पास फैसले के लिए लंबित है (देखें चार्ट)। सरकार के पास सिर्फ आज का दिन बचा है। अगर सरकार के स्तर पर कोई फैसला नहीं होता है तो ऐसी संभावना जताई जा रही है कि हाईकोर्ट मेयर को बर्खास्त करने में कोई देर नहीं लगाएगी।

देखें, शहरी विकास विभाग का e file movement chart

हाईकोर्ट के साफ साफ आदेश के बाद भी शहरी विकास विभाग समय रहते रुड़की के मेयर गौरव गोयल को कुर्सी से हटाने का फैसला नहीं कर  पाया। बीते दिनों विभागीय अधिकारी कई बार मंत्री को फ़ाइल पर फैसला लेने की याद दिला चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई पुष्ट आदेश नहीं आया।

जांच के बाद मेयर पर पद के दुरुपयोग का मामला पुष्ट भी हो चुका है। मेयर से जुड़ी फ़ाइल विभागीय मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल की टेबल पर 27 मार्च से लंबित पड़ी है। गौरव गोयल 2019 में रुड़की नगर निगम के मेयर का चुनाव निर्दलीय लड़कर जीते थे।

गौरतलब है कि 13 अप्रैल को न्यायाधीश विपिन सांघी व आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मेयर के खिलाफ कदाचार के गंभीर आरोप हैं। और वह आरोप जांच में पुष्ट भी हुए हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्तराखण्ड नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा 16 के तहत महापौर  को हटाने का अधिकार है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि महापौर को पद से हटा दिया जाना चाहिए। कार्यालय में उनकी निरंतरता सार्वजनिक हित में नहीं होगी और अलोकतांत्रिक भी होगा।

दो न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि रुड़की नगर निगम मेयर को दिए नोटिस का  जवाब प्राप्त हुए भी लगभग दो महीने हो चुके हैं और अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है। और कोर्ट को बताया गया  कि फाइल 27 मार्च से संबंधित मंत्री के पास लंबित है।

शहरी विकास मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के फैसले का इंतजार

इससे पूर्व शासन के निर्देश पर हुई जॉच के बाद सभी आरोप पुष्ट पाए जाने के बाद मेयर गौरव गोयल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिसका जवाब भी 21 फरवरी को शासन को मिल चुका है।

बीते 6 नवंबर 2022 को मेयर गौरव गोयल के आचरण के संबंध में जांच रिपोर्ट तैयार की गई थी। यह जांच रिपोर्ट 12 नवंबर 2022 को अपर मुख्य सचिव के कार्यालय पहुंची ।

इस प्रकरण में हाईकोर्ट शहरी विकास के सचिव को अवमानना नोटिस भी जारी कर चुकी है। इस मामले में अगर मंत्री 27 मार्च को फ़ाइल आने के बाद तत्काल फैसला कर लेते तो धामी सरकार की वाहवाही होती। अब अगर आखिरी दिन मीडिया में लिखे जाने के बाद फैसला लिया भी तो लोग यही कहेंगे..हुजूर बहुत देर कर दी आते आते..

देखें, नैनीताल हाईकोर्ट का 13 अप्रैल के आदेश

यह है मामला

मेयर गौरव गोयल ने भूमि की लीज बढ़ाने के एवज में 25 लाख रुपये की मांग की। यह बातचीत  रिकॉर्ड कर ली गयी। मेयर के वॉइस सैंपल की  फोरेंसिक लैब में जांच की गई। आवाज मेयर की ही पाई गई।

गौरतलब है कि रुड़की निवासी अमित अग्रवाल ने मेयर के पद के दुरुपयोग के मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। इसके अलावा भाजपा पार्षदों ने भी मेयर के खिलाफ मोर्चा खोला। 2019 में मेयर बने गौरव गोयल का कार्यकाल 2024 में समाप्त हो जाएगा।

इसके अलावा  मेयर ने अपने सर्वेंट को झूठे केस में फंसा दिया। इसके बाद उसकी पत्नी पर शारीरिक सम्बंध स्थापित करने का दबाव बनाया। और कहा कि इसके बाद ही केस वापस लूंगा। दोनों तरफ से मुकदमेबाजी हुई।

पुलिस ने इस मामले में भी मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया तथा बाद में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। निचली अदालत ने इस रिपोर्ट को निरस्त कर दोबारा जांच करने के आदेश दिए।

इस मामले में रुड़की के मेयर गौरव गोयल का कहना है कि दोनों ओर से मुकदमे दर्ज कराए गए थे। तथ्य पेश करते हुए कहा कि इसी साल फरवरी माह में रुड़की कोर्ट में दोनों मुकदमों का निस्तारण हो गया। इस मुद्दे पर अब कोई झगड़ा नहीं।

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