अवैध खनन पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के बयान का खनन सचिव ने कड़ा विरोध किया
देखें वीडियो, अवैध खनन की बात गलत, निराधार व भ्रामक
अविकल थपलियाल
नई दिल्ली/देहरादून। …बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी… भाजपा के पूर्व सीएम व हरिद्वार से सांसद ने लोकसभा में अवैध खनन का मसला क्या उठाया कि पूरे प्रदेश में तूफान आ गया।
अपनी ही सरकार के सिस्टम को कठघरे में खड़ा करते ही सत्ता के गलियारे में हलचल मच गई। सांसद त्रिवेंद्र रावत ने खनन माफिया और प्रशासन की मिलीभगत का मुद्दा उठा कर धामी सरकार को ही निशाने पर ले लिया।
गुरुवार को दिल्ली से उठी आवाज शाम ढलते ढलते प्रदेश के गाड़ गदेरों तक पहुंच गई। पूर्व सीएम रावत के लोकसभा में अवैध खनन से जुड़ा वीडियो भाजपा की प्रदेश सरकार को निशाने पर ले रहा था।
नतीजतन,पूर्व सीएम के अपनी ही सरकार पर किये गए आक्रमण की धार को भोथरा करने के लिए खनन सचिव बी के संत ने देर रात वीडियो बयान जारी किया। और भाजपा सांसद को गलत करार दिया।
इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा की अंदरूनी जंग से भी जोडकर देखा जारहा है। खनन से जुड़ी यह जंग अंदरूनी गुल तो खिलाएगी ही। साथ ही विपक्ष को भी हमलावर होने का मौका देगी।
देखें, खनन सचिव ने क्या कहा
https://youtu.be/mZRJAh4Ar3Y?si=EUBzg5qQXqt5CnK8
उत्तराखंड के खनन सचिव बृजेश कुमार संत ने कहा, “मेरा मानना है कि यह कहना कि राज्य में अवैध खनन बढ़ रहा है, यह पूरी तरह से निराधार, गलत और भ्रामक है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वित्त वर्ष 2023-24 में खनन राजस्व में तेजी से वृद्धि हुई है. उत्तराखंड प्रदेश के गठन के बाद से 2002 से 2025 तक राज्य में खनन से इतना राजस्व कभी उत्पन्न नहीं हुआ…यह पहली बार है कि हमने वित्त (विभाग) द्वारा दिए गए लक्ष्य को पूरा किया है और यहां तक कि 200 करोड़ रुपए से अधिक का अधिशेष राजस्व लेकर आए हैं. इसे खनन विभाग की बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है. इससे साबित होता है कि अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण लगा है. हमने जो कार्यप्रणाली अपनाई है, वह यह है कि हमने नियमों को सरल बनाया और दंडात्मक कार्रवाई बढ़ा दी है। हम नई तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं…”
देखें, खनन सचिव बृजेश संत की ओर से मीडिया को जारी बयान
अवगत कराना है कि ई-निविदा सह ई-नीलामी के माध्यम से उपखनिज बालू, बजरी, बोल्डर्स का राज्य गठन के उपरान्त प्रथम बार कुल 159 खनन पट्टों का एवं 02 सिलिका सैण्ड खनन पट्टों का आवंटन हो चुका है। उत्तराखण्ड खनन विभाग ने राजस्व वृद्वि मे नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विभाग वित्तीय वर्ष 2024-25 मे अद्यतन तक लगभग 1025 करोड़ का राजस्व अर्जित कर चुका है। ऐसा अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण पर प्रभावी नियंत्रण एवं गतिमान कार्यवाही के चलते सम्भव हुआ है। ई-निविदा सह ई-नीलामी के माध्यम से खनन पट्टों का आवंटन सुनिश्चित किया गया है।

वित्त विभाग के द्वारा खनन विभाग हेतु इस वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए रू0 875 करोड़ का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके सापेक्ष खनन विभाग के द्वारा अद्यतन तक लगभग 1025 करोड़ का राजस्व अर्जन कर लिया गया है तथा वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 1100 करोड़ से अधिक राजस्व का अर्जन किया जाना सम्भावित है, जो कि उत्तराखण्ड राज्य के उपरान्त प्रथम बार खनन विभाग के द्वारा राजस्व प्राप्ति एक बड़ी उपलब्धि है।
इस प्रकार उक्त से स्पष्ट है कि यह कथन कि राज्य में अवैध खनन / अवैध परिवहन/अवैध भण्डारण को बढ़ावा मिल रहा है, पूर्णतयः निराधार है। अवगत कराना है कि स्टोन क्रेशर्स / स्क्रीनिंग प्लांटों द्वारा तैयार माल रेता, बजरी, ग्रिट, डस्ट, आदि की निकासी अधिकांशतः रात्रि के समय ही मय रॉयल्टी प्रपत्रों के माध्यम से वाहनों से की जाती है। यह कथन कि बिना रॉयल्टी प्रपत्रों के उपखनिज की निकासी की जाती है, पूर्णतयः निराधार है व असत्य है। राज्य गठन के उपरान्त राजस्व की रिकॉर्ड वृद्धि इस बात की पुष्टि करती है कि खनन विभाग ने पारदर्शिता व प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम किये हैं ताकि अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सके। चूंकि उत्तराखण्ड एक पर्यटन और तीर्थाटन से जुड़ा राज्य है लिहाजा बड़ी संख्या में पर्यटक व तीर्थयात्री राज्य मे आते हैं जिसके चलते यातायात प्रबन्धन में दिक्कत न हो, दूर्घटना न हो, शहरों मे भी भारी वाहनों की दिन मे आवागमन की अनुमति न होने के मद्देनजर ही रात्रि में ही स्टोन क्रेशर्स/स्क्रीनिंग प्लांटों द्वारा तैयार माल का मय अभिलेखों सहित परिवहन किया जाता है।
विगत 05 वर्षो मे राज्य अन्तर्गत अवैध खनन / अवैध परिवहन / अवैध भण्डारण से सम्बन्धित प्रकरणों पर नियमानुसार कार्यवाही करते हुए निम्नानुसार वसूली की गयी है :-

उत्तराखण्ड शासन, औद्योगिक विकास अनुभाग-1 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 469, दिनांक 22 मार्च 2023 के द्वारा राज्य के प्रत्येक जनपद मे अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण एवं रोकथाम हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता मे जिला अवैध खनन निरोधक दल (District Anti Illegal Mining Force) का गठन किया गया है, जिसमें राजस्व विभाग, वन विभाग, पुलिस विभाग, खनन विभाग के अतिरिक्त पर्यावरणीय विशेषज्ञ तथा स्थानीय ग्राम प्रधान को सदस्य के रूप मे नामित किया गया है।
राज्य मे अवैध खनन / परिवहन / भण्डारण पर प्रभावी अंकुश लगाये जाने हेतु निदेशालय स्तर पर प्रवर्तन दल (Enforcement Cell) का गठन किया गया है, जिसके द्वारा अवैध खनन / अवैध परिवहन / अवैध भण्डारण पर औचक छापेमारी की कार्यवाही की जाती है।
निदेशालय के द्वारा अवैध खनन से सम्बन्धित जनसाधारण से प्राप्त शिकायतों के त्वरित निस्तारण हेतु विभागीय ई-रवन्ना पोर्टल dgmappl.uk.gov.in मे ऑनलाईन Complaint Redressal Portal तैयार कर लागू किया गया है।
जनसाधारण की शिकायतों हेतु राज्य स्तर पर वर्ष 2019 से C.M. Helpline 1905 एवं Centralised Public Grievance Redress and Monitoring System (CPGRAMS) विकसित (Develop) कर लागू किया गया है, जिसमे अवैध खनन से सम्बन्धित जनसाधारण की शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाता है तथा जिसकी मॉनिटरिंग सचिव महोदय खनन के द्वारा प्रत्येक सप्ताह तथा माननीय मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा प्रत्येक माह की जाती है।
उक्त के अतिरिक्त अवैध खनन की प्रभावी रोकथाम हेतु राज्य की समीपवर्ती क्षेत्रों मे 45 माईन चैक पोस्टों, जो कि ऑटोमेटिक सर्विलांस सिस्टम से लैस होंगे, की स्थापना की जा रही है जिसमें नाईट विजन कैमरा, आर०एफ०आई०डी० रिडर आदि की व्यवस्था की जा रही है।
जनपद स्तर पर खनन विभाग, राजस्व विभाग के द्वारा अवैध खनन / परिवहन / भण्डारण की रोकथाम हेतु समय-समय पर औचक निरीक्षण कर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। साथ ही यह भी अवगत कराना है कि राज्य अन्तर्गत अवैध खनन / अवैध परिवहन / अवैध भण्डारण की शिकायत प्राप्त होने पर सम्बन्धित पर नियमानुसार कार्यवाही सम्पादित की जाती है।
खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम-1957 की धारा-23 सी द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके उत्तराखण्ड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण का निवारण) नियमावली 2021 यथासंशोधित-2024 प्रख्यापित की गयी है। उक्त नियमावली के नियम-14 में अवैध खनन / अवैध परिवहन / अवैध भण्डारण किये / पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही किये जाने प्रावधान निहित हैं।
बृजेश संत
सचिव, खनन।
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