2016-17 में भरसार औद्यानिकी विवि में असिस्टेंट प्राेफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की नियुक्तियां हुई थीं
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखण्ड बेरोजगार संघ ने सात साल पूर्व भरसार औद्यानिकी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्राेफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की नियुक्तियों में घपले का आरोप लगाया है।
बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि सभी भर्तियां संदेह के घेरे में हैं।
गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में पंवार ने कहा कि भरसार विश्वविद्यालय में 15 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन वीसी द्वारा असिस्टेंट प्राेफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रेाफेसर की
नियुक्ति का विज्ञापन जारी किया। इसके 2 दिन बाद 17 अक्टूबर 2016 को वीसी ने बिना अकादमिक परिषद के
अनुमोदन के विज्ञापन में अलाइड सब्जेक्ट को शामिल किया गया।
नतीजतन, एक अभ्यर्थी द्वारा एक ही विषय
की अलग-अलग शाखाओं के लिए तीन चार आवेदन किए। जिसके लिए वह योग्यता नहीं रखता था। यह यूजीसी व
आईसीएआर के याेग्यता संबंधी मानकों के विपरीत भी है।
नियुक्तियों के लिए जाे स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई थी। उसके सदस्य, विषय विशेषज्ञ नहीं थे।
सामान्यतः नियुक्तियों हेतु एपीआई व साक्षात्कार में विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित अनुपात 80ः20 का रहता है जिसके स्थान
पर 2016 के विज्ञापन में वीसी द्वारा अकादमिक परिषद की सहमति के बिना 60ः40 का कर दिया गया। जिसके परिणाम
स्वरुप साक्षात्कार में मनमाने ढंग से अंक दिए गए।
पंवार ने कहा कि 2019 के नवीन विज्ञापन में यह अनुपात 80ः20 का है।
स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा साक्षात्कार हेतु कई विषयाें में एक विषय के सापेक्ष एक ही अभ्यर्थी को लिया गया जाे नियमावली के
विरुद्ध था । जबकि इंटरव्यू में तीन गुना अभ्यर्थियीं को बुलाया जाना चाहिए था।
नियुक्तियों हेतु विश्वविद्यालय की प्रबंध परिषद ही सर्वाेपरि है। 2016 में प्रबंध परिषद के अनुमोदन के बिना कार्यवाहक वीसी
द्वारा मनमाने ढंग से नियुक्तियां की गई। जबकि कार्यकारी वीसी को नियमित नियुक्तियाें का कोई अधिकार नहीं है।
उत्तराखंड बेराेजगार संघ लंबे समय से राज्य के महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्राेफेसर) भर्ती हेतु लागू
एर्पीआइ व्यवस्था का विरोध कर रहा है और नियमावली परिवर्तन हेतु कई प्रयास किए ताकि लिखित परीक्षाओं के माध्यम से ही
चयन प्रक्रिया संपादित हो।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष ने कहा कि हाल ही में शासन द्वारा राज्य में लंबे समय के बाद यूसेट की परीक्षा करवाने हेतु अधिसूचना जारी की गई। पंवार ने सवाल किया कि जब नेट सेट
पास अभ्यर्थी प्रतियाेगिता के दौड़ से ही बाहर हो चुके हैं तो यूसेट का एग्जाम करवा कर क्यों परीक्षाओं के लिए भीड़ तैयार की
जा रही है। जब तक असिस्टेंट प्राेफेसर भर्ती में नियमावली नहीं बदलती तब तक यूसेट जैसी परीक्षाओं का कोई औचित्य नहीं है।
पंवार ने कहा कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ गलत तरीके से हुई इन नियुक्तियों की जांच की मांग करता है, यदि जल्दी ही इन नियुक्तियों की जांच नहीं हुई तो छात्रों और छात्र संगठनों के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। साथ ही वर्तमान में लोक सेवा आयोग द्वारा गतिमान असिस्टेंट प्राेफेसर भर्ती से एपीआई स्कोर को हटाया जाएं जिससे उत्तराखंड प्रदेश के युवाओं को अधिक लाभ मिल सकें
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