अंकिता भंडारी हत्याकांड के सबूत मिटाने वालों पर मुकदमा चले-कांग्रेस

जेसीबी चालक की गवाही-भाजपा विधायक रेनू बिष्ट के कहने पर रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाया

कांग्रेस ने कानून व्यवस्था पर भाजपा को घेरा

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। उत्तराखण्ड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में जेसीबी चालक दीपक कुमार की गवाही के बाद मामला नये सिरे से गर्मा गया है।

कोटद्वार कोर्ट में जारी गवाही में दीपक कुमार ने  कहा कि भाजपा विधायक रेनू बिष्ट व तत्कालीन एसडीएम के कहने पर उसने वंन्तरा रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाया। रिसॉर्ट पर दो बार बुलडोजर चलाया गया।

यहां यह भी बता दें कि तत्कालीन पौड़ी डीएम विजय जोगदंड ने कहा था कि उन्होंने बुलडोजर चलाने का कोई आदेश नहीं दिया था। इसके बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया था और यमकेश्वर से भाजपा विधायक रेनू बिष्ट निशाने पर आ गयी थीं।

गौरतलब है कि रातों रात चले बुलडोजर के बाद कई सबूत मिटने की बात भी उठी थी। 18 सितम्बर 2022 को अंकिता की हत्या कर दी गयी थी।

अंकिता भंडारी उत्तराखंड के पौड़ी जिले के गंगा-भोगपुर में वनंतरा रिज़ॉर्ट में एक रिसेप्शनिस्ट थीं, जिनकी कथित तौर पर पुलकित आर्य ने हत्या कर दी थी।  भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे और वनंतरा रिज़ॉर्ट के मालिक, समेत सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता का 18 सितम्बर को हुए मर्डर में हाथ है। अंकिता की लाश चीला नहर से बरामद की गई थी।

     इस बीच, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि अंकिता अंकिता भण्डारी की जिस रिजोर्ट में हत्या की गई थी उस रिजोर्ट को बिना छानबीन के बुलडोजर से ध्वस्त करते हुए आग लगा दी गई थी।

उन्होंने जोर देकर कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में सबूतो और साक्ष्यों को मिटाने के अपराध  में मुख्यमंत्री, वर्तमान पुलिस महानिदेशक तत्कालीन एसडीएम, विधायक रेनू बिष्ट पर धारा 201 एवं 102 बी के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यही नहीं पौड़ी पुलिस द्वारा कहा गया था कि बुलडोजर चलाने से अंकिता के  केस पर कोई फर्क नही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सबूत मिटाने के लिए रिजॉर्ट में दो बार आग लगवा दी गई ताकि सभी सबूत नष्ट हो सकें।

उन्होेंने कहा की यह संगीन अपराध है, आंखिर सरकार किसको बचाना चाहती है। यह गंभीर मामला है इसकी व्यापक जांच होनी चाहिए और जांच प्रभावित न हो पाए इसलिए  प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने पद से त्याग पत्र देना चाहिए।

      करन माहरा ने कहा कि अंकिता हत्या काण्ड में एक नया मोड़ आया है कि बुलडोजर चलाने वाले ड्राइवर ने कोर्ट में साफ कहा कि विधायक रेनु बिष्ट और तत्कालीन एसडीएम के आदेश के बाद डोजर चलाया गया था। स्वयं मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर के माध्यम से स्वीकार किया है कि डोजर चलाने का आदेश हमने दिया है।

वर्तमान पुलिस महानिदेशक द्वारा भी एक न्यूज एजेंसी को दिए बयान में मुख्यमंत्री के आदेश पर बुलडोजर चलाने की बात स्वीकार की गई हालांकि बाद में कानूनी सलाह पर  दोनो के ट्विटर हैंडल से ये पोस्ट हटा दी गई, पर उत्तराखंड कांग्रेस ने दोनों ही पोस्टों के स्क्रीनशॉट संभाल कर रख लिए थे।

उन्होंने कहा कि कब तक महिलाओं और दलितों के साथ अत्याचार होता रहेगा। इतना ही नहीं करन महारा ने कहा कि ऋषिकेश में विनीता भंडारी की 13 दिन बाद मिली जली हुई लाश ,उत्तरकाशी के रिसोर्ट में फांसी के फंदे से लटका अमृता रावत का शव , हल्द्वानी के मूकबधिर और दृष्टिबाधित संस्थान में 113 नाबालिग बच्चों के साथ यौन शोषण, हल्द्वानी के ही कारागार में मिले 55 एचआईवी पॉजिटिव लोगों को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया।

महारा ने प्रेस वार्ता के माध्यम से मांग करी की अंकिता भंडारी हत्याकांड की व्यापक जांच होनी चाहिए उपरोक्त चारों व्यक्तियों पर  जिन्होंने साक्ष्य सबूत मिटाने का गंभीर अपराध किया है उन पर धारा 201 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए और मुख्यमंत्री को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए।

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस को संबांेधित करते  हुए एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट और अंकिता भण्डारी हत्याकांड में साक्ष्य और सबूत मिटाने के गंभीर आरोप लगाते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने की मांग की है। प्रेस को संबोधित करते हुए हुए महारा ने कहा कि एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड ने सभी हिमालय राज्यों को महिला अपराध के क्षेत्र में पीछे छोड़ दिया है।


      महारा ने कहा की राज्य को शर्मसार करने वाले आंकड़े सामने आए हैं।रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में लगभग प्रति वर्ष 905 महिलाओं से दुष्कर्म व 778 का अपहरण हुआ है। अगर देश की बात करें तो देशभर में अपहरण के मामले व महिला अपराध में उत्तराखण्ड छठे पायदान पर है और एनसीआरबी के ताजा रिपोर्ट के के अनुसार 9 पहाडी राज्यों में उत्तराखण्ड दुष्कर्म के मामलों में पहले स्थान पर है।

उन्होंने उत्तरकाशी मेें चार अनुसूचित जाति की नाबालिग बच्चियों के साथ हुए बलात्कार का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी घोषणा के बावजूद आज तक उन महिलाओं को  मुआवजा तक नहीं मिला।

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