दुखद- सोमेश्वर में जंगल की आग से तीन लीसा श्रमिकों की मौत            

प्रदेश के कई हिस्सों में धधक रही आग से भारी नुकसान

वनाग्नि से लाथी का बंजैंण मंदिर जलकर राख

जंगलों की आग से पिंडर क्षेत्र में छाई धुंध

सीएम आज करेंगे समीक्षा

अविकल उत्तराखण्ड

अल्मोड़ा। जंगलों की आग जनपद में विकराल रूप लेती जा रही है। सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र में वनाग्नि की चपेट में आने से तीन नेपाली श्रमिकों की मौत हो गई और एक की हालत गंभीर है। सभी लोग नेपाली मूल के हैं और लीसा निकालने का कार्य करते हैं।
स्यूनराकोट क्षेत्र में जंगल की आग गांव की सीमा तक पहुंच गई। आग बुझाने के दौरान वनाग्नि की चपेट में आकर एक श्रमिक की मौके पर मौत हो गई जबकि एक पुरुष व एक महिला की उपचार के दौरान मौत हो गई और एक महिला श्रमिक की हालत गंभीर है।

बीते गुरुवार को लीसा निकलने का कार्य कर रहे चार नेपाली श्रमिक वनाग्नि की चपेट में आ गए। वनाग्नि में झुलसने से नेपाली मूल के एक व्यक्ति की मौके पर मौत हो गई, वहीं एक महिला व एक पुरुष की उपचार के दौरान मौत हो गई और एक महिला गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है। गुरुवार को स्यूनराकोट क्षेत्र में जंगल की आग ने भयंकर रूप धारण कर लिया। जंगल में लीसा निकालने का कार्य कर रहे चार नेपाली श्रमिक आग में झुलस गए। 

आग से जलकर एक व्यक्ति दीपक पुजारा (35) पुत्र मानबहादुर पुजारा की मौके पर ही मृत्यु हो गई और 02 महिला पूजा (28) पत्नी ज्ञान बहादुर, शीला (30) पत्नी दीपक पुजारा और ज्ञान बहादुर को गंभीर स्थिति में जिला मुख्यालय स्थित बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां एम्बुलेंस के समय पर नहीं पहुंचने के चलते पीडि़तों को निजी वाहन से जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कॉलेज से संबंध बेस अस्पताल पहुंचाया गया। बेस अस्पताल में ज्ञान बहादुर की उपचार के दौरान मौत हो गई। बेस अस्पताल के सीएमएस डॉ अशोक ने बताया कि अस्पताल में आग से झुलसे हुए तीन लोगों को लाया गया था। घायलों में शामिल लोग करीब 90 प्रतिशत से अधिक जल चुके थे।

प्राथमिक उपचार के बाद इन्हें हल्द्वानी रेफर किया गया। शीला और पूजा को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया। गंभीर रूप से झुलसी दोनों महिलाओं को एसटीएच हल्द्वानी ले जाया गया जहां शुक्रवार को शीला पत्नी दीपक बहादुर की भी उपचार के दौरान मौत हो गई व एक अन्य महिला पूजा की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। डीएफओ दीपक कुमार ने बताया कि उनकी जिलाधिकारी से इस मामले को लेकर वार्ता हुई है। मृतकों को चार-चार लाख का मुआवजा दिया जाएगा। घायलों के उपचार का पूरा खर्च वन विभाग वहन करेगा। दावानल की चपेट में आए सभी लोग बजंग नेपाल व वर्तमान में ग्राम बे थाना सोमेश्वर के निवासी हैं। इस मामले में वन विभाग ने वन अपराध के मामले में केस दर्ज किया है जबकि पुलिस ने भी अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है।      

                  
804 आग की घटनाएं कई गिरफ्तार


उत्तराखंड में आग लगने की घटना का सिलसिला कुछ इस तरह का है कि बीते मंगलवार को 47 जगह आग लगने की घटना हुई थीं। बुधवार को भी 40 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। गुरुवार को 43 जगह आग लगी। इसमें सबसे अधिक घटनाएं 29 गढ़वाल में, जबकि 17 कुमाऊं में घटी हैं। 46 हेक्टेयर भूमि के वन जले हैं। इतना ही नहीं अब तक 315 मुकदमें भी दर्ज किया जा चुके हैं। 52 व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया गया है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक आग लगने की 804 घटनाएं अब तक प्रदेश भर में घटी हैं। अभी आसपास के दिनों में बारिश की कोई संभावना बनती दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में डर यही है कि आने वाले समय में वनों की आग और विकराल ना हो। 2 मई को भी प्रदेश में कई जगह आग लगने की घटनाएं सामने आईं। लगातार आग नैनीताल वन प्रभाग, तराई पूर्वी वन प्रभाग, रानीखेत वन प्रभाग, टिहरी बांध प्रथम वन प्रभाग, भूमि संरक्षण अल्मोड़ा वन प्रभाग, रामनगर वन प्रभाग, सिविल सोयम अल्मोड़ा वन प्रभाग, मसूरी वन प्रभाग, लैंसडाउन भूमि संरक्षण वन प्रभाग, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में लगातार आग लगने की घटनाएं घट रही हैं।

39 हेक्टेयर जंगल आग से जलकर स्वाह

रुद्रप्रयाग। जनपद के जंगलों में लगातार आग धधक रही है। आग लगने के कारण आसमान में धुंध छाई हुई है। जंगलों में लगी आग विकराल रूप लेती जा रही है। अभी तक रुद्रप्रयाग जनपद में 52 वनाग्नि की घटनाएं सामने आ चुकी हैं और करीब 39 हेक्टेयर वन भूमि जलकर राख हो गई हैं। वन विभाग की ओर से आग पर काबू पाने के प्रयास तो किए जा रहे हैं, लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा रहा है। रुद्रप्रयाग के जंगल लगातार आग की चपेट में आते जा रहे हैं। वनों में लगी आग के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं। वन विभाग भी आग पर काबू पाने में विफल हो रहा है। आग लगने से प्राकृतिक वन संपदा जलकर राख हो रही है। रुद्रप्रयाग जनपद के भीतर 39 हेक्टेयर वन भूमि जलकर स्वाहा हो गई है। पूरे जनपद में वनाग्नि की अलग-अलग स्थानों पर 52 घटनाएं हुई हैं। वन विभाग ने आग लगाने वाले तीन लोगों को भी मौके से गिरफ्तार किया है। जिले के हरियाली वैली में तीन दिनों से आग लगी हुई है। यहां चारों तरफ छाई धुंध के कारण आसपास के गांव भी नहीं दिखाई दे रहे हैं।

शरारती तत्वों की ओर से हरियाली वैली में आग लगाए जाने से मिश्रित वनों को भी नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरणविदों के मुताबिक हरियाली वैली में आग लगने से तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही है। बांज के मिश्रित जंगल भी आग की चपेट में हैं। इनके आसपास के पेयजल स्त्रोत सूख रहे हैं। विजिबिलिटी की समस्या क्षेत्र में बनी हुई है। रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह का कहना है कि मौसम शुष्क रहने के कारण अत्यधिक वनाग्नि की घटनाएं घटित हो रही हैं। वन विभाग लगातार आग बुझाने का प्रयास कर रहा है और आम जनता को भी वनों में आग न लगाने के लिये जागरूक किया जा रहा है।

जंगलों की आग से पिंडर क्षेत्र में छाई धुंध


थराली/देवाल। पिछले तीन दिनों से कुमाऊं के जंगल बुरी तरह सुलगने से पिंडर क्षेत्र के वातावरण में गहरी धुंध छाई हुई हैं। साथ ही कुमाऊं से उठी आग की लपटों ने गढ़वाल के वन क्षेत्र को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया हैं। इसके अलावा पिंडर के ही पश्चिमी पिंडर रेंज नारायणबगड़ के जंगलों में बड़े पैमाने पर दावानल भड़कने के कारण धुंध गहरी होने लगी हैं। वातावरण में छाई धुंध का  दुष्परिणाम लोगों को सरदर्द, आंखों में जलन जैसे समस्या के रूप में भुगतना पड़ रहा हैं।
विगत तीन दिनों से पिंडर घाटी के वातावरण गहरी धुंध की चपेट में हैं। आलम इस कदर बिगड़ें हुए हैं कि जहां एक ओर जंगलों में लगी आग के कारण उठ रहे धुएं के कारण 150 मीटर की दूरी पर भी कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा है। वही इस वातावरण में गहरी फैलें गहरी धुएं की वजह से लोगों के सरदर्द, आंखों में जलन, दमा के मरीजों को सांस लेने में भारी दिक्कतें आ रही हैं। धुंध लगातार ही गहरी होती जा रही हैं।

धुंध के कारण आसमान में सूरज लाल गोले की तरह दिख रहा है। बताया जा रहा है कि कुमाऊं क्षेत्र के समगड़ी, हड़ाप आदि गांवों के लगें जंगल पिछले कुछ दिनों से सुलग रहें हैं, उसका धुआं उठ कर पिंडर घाटी में तेजी के साथ आ रहा है। इसके अलावा पश्चिम पिंडर रेंज नारायणबगड़ के जंगल भी दावानल की चपेट में हैं। इससे भी धुआं लगातार बढ़ता जा रहा हैं। वातावरण में छाई धुंध कब तक छंटेगी कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नही हैं। जानकारों का मानना हैं कि बारिश होने के बाद ही धुंध छट सकती हैं। जबकि फिलहाल मौसम को देखते हुए बारिश की कोई संभावना दिखाई नही पड़ रही हैं।

कुमाऊं क्षेत्र के जंगलों में लगी दावानल कुमाऊं क्षेत्र के जंगलों को जलाकर पूर्व पिंडर रेंज देवाल के ओडऱ, लिगंडी आदि के जंगलों को अपनी चपेट में लेने लगें हैं। वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी ग्रामीणों के सहयोग से इस दावानल पर नियंत्रण पाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। कुमाऊं का क्षेत्र खुला हुआ हैं। जबकि पिंडर का अधिकांश क्षेत्र घाटी नुमा हैं। कुमाऊं के जंगलों में लगी आग के कारण उठ रहा धुआं हवा के साथ पिंडर घाटी में आ रहा है जिससे यहां के वातावरण में गहरी धुंध छा गई है।           -हरीश थपलियाल, रेंजरथराली/देवाल रेंज

वनाग्नि से लाथी का बंजैंण मंदिर जलकर राख

बागेश्वर। तहसील के लाथी गांव में वनाग्नि से क्षेत्र का सबसे पुराना बंजैंण मंदिर जलकर राख हो गया है। इस घटना में मंदिर में रखे सारे बर्तन जलकर राख हो गए हैं। इसके अलावा करीब छह तोला सोना भी आग की भेंट चढ़ गया है। ग्रामीणों बताया कि इस अग्निकांड में दस लाख रुपये का नुकसान हुआ है। प्रशासन से इसकी भरपाई की मांग की है। क्षेत्र पंचायत सदस्य कुंजर सिंह कोरंगा ने बताया कि गुरुवार की रात करीब एक बजे जंगल की आग से लाथी का बंजैंण मंदिर में आग लग गई। रात होने के कारण लोगों को देर से पता चला, जब तक वह मंदिर में आग बुझाने के लिए पहुंचे तब तक मंदिर जलकर राख हो गया।

इस हादसे में मंदिर में रखे खाने बनाने के बर्तन, पूजा, आरती के वक्त उपयोग होने वाले भोकर, तुतरी आदि जल गए हैं। मंदिर के पास बना धर्मशला पूरी तरह जल गया है। छह तोला सोना भी आग की भेंट चढ़ गया है। उन्होंने बताया कि यह मंदिर क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है। भनार बंजैंण मंदिर में पजा करने से पहले यहां पूजा होती थी। उसके बाद ही लोग भनार जाते हैं। यह मंदिर हमारे पूर्वजों के जमाने का मंदिर है। मंदिर कमेटी के पुजारी नेत्र सिंह कोरंगा ने बताया कि यहां हर साल गर्मियों में लोग पूजा आदि करने आते हैं। इस कारण यहां लाखों के बर्तन व पूजा में काम आने वाले वर्तन रखे थे। आग ने सब नष्ट कर दिया है। लक्ष्मण सिंह कोरंगा, धर्म सिंह, आशा देवी, धर्मा देवी, सरस्वती देवी आदि ने प्रशासन से घटना की जांच करने तथा नुकसान की भरपाई की मांग की है।
लाथी घटना की सूचना मितले ही वह राजस्व पुलिस निरीक्षक के साथ मौका मुआयना करेंगे। जहां मंदिर है वह ग्रामीण की नाम भूमि है। उसके बाद वन पंचायत की भूमि आती है। उसके बाद वन विभाग का जंगल है। आग कहां से लगी है इसकी जांच की जाएगी। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।   – प्रदीप कांडपाल रेंजर धरमघर रेंज।

क्वैराला घाटी के जंगल फिर आग से धधके

चम्पावत।  क्वैराला घाटी के जंगल गुरुवार रात एक बार फिर आग से धधक उठे। यहां सिप्टी, सैंदर्क, लधौली और गुरौली के जंगल में आग भड़क उठी। इससे बड़े पैमाने पर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। वन विभाग व ग्रामीणों ने मिलकर आग को बुझाया। क्वैराला घाटी के चार गांव के समीप के जंगल आग से धधक रहे हैं। स्थानीय निवासी कमल सिंह बिष्ट ने बताया कि इन जंगलों में बीते गुरुवार शाम से आग लगी हुई है। इससे पेड़, पौधे, वनस्पतियों, जीव जंतुओं को व्यापक नुकसान पहुंचा है। बताया कि आग लगने से इलाके में धुंध छाई हुई है। इस वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने के साथ ही आंखों में जलन हो रही है। धुंध लगने से दृश्यता में भी कमी आ गई है। इधर नगर क्षेत्र में भी शुक्रवार को वनाग्नि की वजह से धुंध छाई रही। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वनों में लगातार लग रही आग से घाटी वाले इलाकों के तापमान में भी बढ़ोतरी हो गई है।
जंगल की आग रोकने 15 किमी रोजाना गश्त कर रहे।

वनकर्मी, डीएफओ मुस्तैद


हरिद्वार। हरिद्वार वन प्रभाग में जंगल की आग रोकने के लिए वनकर्मी रोजाना 15 किमी की गश्त कर रहे हैं। इसके साथ ही सभी टीमों को अलर्ट किया गया है। जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को पर्यावरण मित्र बनाकर वनाग्नि रोकने को जागरूक किया गया है। डीएफओ वैभव कुमार सिंह ने शुक्रवार को बताया कि वह लगातार संपूर्ण क्षेत्र की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। फायर सीजन को देखते हुए हर दो घंटे में रिपोर्ट मांगी जा रही है। इसी के साथ ही वनाग्नि ग्रस्त क्षेत्रों में टीमों को लगातार 15 किलोमीटर की गश्त प्रतिदिन करने के लिए कहा गया है। इसके लिए सभी को अलर्ट मोड पर रखा गया है।

चारधाम यात्रा पर कोई असर नहीं

बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय कहते हैं कि लगातार बुकिंग हो रही है। मुझे नहीं लगता है की आग का कोई असर चारधाम यात्रा पर पड़ेगा। हां अगर कुछ लोग ये सोच रहे हैं तो में उनसे कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का रूट ही नहीं बल्कि कुमाऊं का पूरा क्षेत्र सुरक्षित है। आप आराम से आ सकते हैं। आग जिन जगह पर लगी है वो घने जंगल हैं और उसका असर किसी तरह से अपनी यात्रा पर नहीं पड़ेगा। अजेंद्र अजय ने कहा कि उत्तराखंड आने वाले भक्त या पर्यटक कुछ नंबर पर फ़ोन करके आग या अन्य समस्या से सम्बंधित जानकारी इन नंबर पर प्राप्त कर सकते हैं। 18001804141, 01352744558 पर कॉल करके कोई भी आग की सूचना दे सकता है। 9389337488 व 7668304788 पर व्हाट्सएप के माध्यम से भी जानकारी ले और दे सकता है। इसके साथ ही राज्य आपदा कंट्रोल रूम देहरादून को भी 9557444486 और हेल्पलाइन 112 पर भी आग की घटना के बारे में जानकारी दी और ली जा सकती है।

सीएम आज करेंगे समीक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को नई दिल्ली से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में वनाग्नि रोकने के लिये किये जा रहे प्रयासों की उच्चाधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे।

मुख्यमंत्री द्वारा मुख्य सचिव, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ), पुलिस महानिदेशक के साथ ही वनाग्नि से प्रभावित जनपदों के जिलाधिकारियों को पूर्व में भी वनाग्नि को रोकने के लिये प्रभावी कार्ययोजना के साथ कार्य करने के निर्देश दिये गये थे। मुख्यमंत्री शनिवार को सभी संबंधित अधिकारियों के साथ इस संबंध में अब तक की गई कार्यवाही की समीक्षा के साथ वनाग्नि से उत्पन्न स्थिति का भी जायजा लेंगे। (साभार)

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