क्यों न जिम कार्बेट पेड़ कटान की जांच सीबीआई को दे दें-हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर किये सवाल

जिम कार्बेट में छह हजार पेड़ कटान मामले की अगली सुनवाई 1 सितम्बर को

अविकल उत्तराखण्ड

नैनीताल। हाईकोर्ट ने विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क में छह हजार पेड़ कटान और अवैध निर्माण के बहुचर्चित मामले में सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्यों न मामले की सी.बी.आई.जांच कराई जाए ?

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता और शीर्ष अधिकारियों के संदिग्ध रोल को देखते हुए, क्यों न सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(सी.बी.आई.)को भेजा जाए। अगली सुनवाई एक सितम्बर के लिए तय की गई है।

गौरतलब है कि 2017 से 2022 के बीच जिम कार्बेट में टाइगर सफारी आदि निर्माण कार्यों को लेकर पेड़ों का कटान किया गया था। और चहारदीवारी व भवन निर्माण भी किये गए थे। उस समय हरक सिंह रावत वन मंत्री थे।

देहरादून निवासी अनु पंत की जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने सरकार से कई सवाल किये हैं। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा कि कॉर्बेट में हुए छह हजार पेड़ों के कटान के सम्बन्ध में कई रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष रखी गई। बीती छह जनवरी को न्यायालय ने मुख्य सचिव से भी कहा था कि वो कॉर्बेट में छह हजार पेड़ के कटान के प्रकरण पर सभी रिपोर्ट उनके सामने पेश करें और ये बताएं कि किन लोगों की लापरवाही और संलिप्तता से ये अवैध कार्य हुए हैं ? मुख्य सचिव ने जिन लोगो के नाम लिए, उनमें कुछ अधिकारियों के नाम नहीं थे और तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह का नाम भी नहीं था।

गौरतलब है कि तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत का नाम सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट में प्रमुखता से लिया गया था। यह रिपोर्ट भी न्यायालय में पेश की जा चुकी है। पूर्व वन मंत्री का नाम राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन.जी.टी.) में पेश रिपोर्ट में भी है।

इन सभी रिपोर्टों को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने विस्तार से न्यायालय को दिखाया। इसपर न्यायालय ने सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता से पूछा कि तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और उच्च शीर्ष वन अधिकारी जिनके नाम विभिन रिपोर्ट में सामने आये है, उनपर कार्यवाही क्यों नहीं हुई है ? इसपर मुख्य अस्थाई अधिवक्ता ने कहा की मुख्य सचिव अपने स्तर से न्यायालय को सही तथ्य बता रहे हैं।

गौरतलब है कि भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इन दिनों, हरक सिंह रावत हरिद्वार से लोकसभा चुनाव की तैयारी में बिजी हैं।

इससे पूर्व, 2016/17 में हुए पूर्व सीएम हरीश रावत और विधायक मदन बिष्ट के स्टिंग मामले में भी सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं।

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