विश्व हिंदी सम्मेलन- कबीर..सूर.. मीरा से स्मार्टफोन के हिंदी साउंड बेस्ड कीबोर्ड तक

हिंदी: पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक

बिना भाषा के समाज का अस्तित्व नहीं होता। भाषा का गठन और प्रसार एक लंबी प्रक्रिया है

-ललित मोहन रयाल, आईएएस, उत्तराखंड शासन

प्राकृत, अपभ्रंश ब्रज, अवधी भोजपुरी से लेकर खड़ी बोली तक हिंदी ने एक लंबी यात्रा तय की। फोर्ट विलियम कॉलेज के आचार्यों ने खड़ी बोली को आरंभिक स्वरूप में ढाला तो आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के कड़े अनुशासन ने मानक कसौटी पर कसा। छायावाद आंदोलन के दौरान हिंदी में श्रेष्ठ उच्चस्तरीय साहित्य का सृजन हुआ। सुपरिचित शब्दावली, शब्द-संपदा की दृष्टि से भी हिंदी विश्व की उन्नत भाषाओं के समतुल्य हो गई।

चीनी यात्री फाह्यान ने जब पाटलिपुत्र के भवन देखे तो सोचा कि ये मनुष्यों के नहीं देवों के बनाए हुए हैं। कितनी उन्नत कला, संस्कृति रही होगी। पाटलिपुत्र, काशी, मथुरा उज्जैन, आबू प्राचीन नगर हैं। मगध से मालवा और आबू तक समूचे प्रदेश में हिंदी (तत्कालीन बोलियों) का व्यवहार होता था। इस विशाल हिंदी प्रदेश से कबीर, सूर, मीरा, तुलसी, विद्यापति आए

इससे पूर्व तुर्को ने यूनान पर अधिकार तो किया लेकिन वे कभी यूनानी सभ्यता के अंग नहीं बन पाए। यूनान की अपेक्षा हिंद का आर्थिक -सांस्कृतिक, भाषाई विकास बढ़ा-चढ़ा था। यहां की समाहार क्षमता के चलते वे अपनी भाषा और अस्मिता खोकर यहां की संस्कृति में विलीन हो गए।

अमीर खुसरो ने नुह सिपिहर में लिखा-

अन्य भाषाओं के समान हिंदुस्तान में प्राचीन काल से हिंदवी बोली जाती थी।

हिंदुस्तान के भिन्न-भिन्न भागों में जो भाषाएं बोली जाती हैं, उनमें खुसरो ने सिंधी, कश्मीरी, ब्रज, अवधी का जिक्र किया।

बाबरनामा में बाबर ने लिखा-
काबुल में ग्यारह-बारह भाषाएं बोली जाती हैं। अरबी,फारसी, तुर्की और हिंदी। हिंदुस्तान का तो काबुल बाजार ही है।

भक्ति काल के दौर में हिंदी में विशाल साहित्य की रचना हुई। यहां तक कि जायसी, रसखान, रहीम, कुतुबन, मंझन ने भी हिंदी में कविताएं लिखीं।

हिंदी की समृद्धि किसी भी जीवंत भाषा का जीता- जागता उदाहरण है। जातियों की क्षमता और सजीवता यदि कहीं प्रत्यक्ष देखने को मिल सकती है तो उनके साहित्य रुपी आईने में ही मिल सकती है।

सूचना क्रांति के प्रसार युग में कंप्यूटर और इंटरनेट ने मानव जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करना शुरू किया। सूचना और ज्ञान तक पहुंच के अनगिनत रास्ते खुले। इस क्षेत्र में भी जहां एक ओर अंग्रेजी का वर्चस्व था, वहीं अन्य भाषाओं के सामने चुनौतियां बनी हुई थी। ये चुनौतियां न सिर्फ बदलाव लाने को लेकर थीं वरन् तकनीक के मापदंडों पर खरे उतरने को लेकर भी बनी हुई थीं। भाषिक संरचना, वर्तनी, मात्रा- विन्यास, मानक कीबोर्ड की समस्याएं यथावत् बनी हुई थीं।

फिजी के राष्ट्रपति व भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर

बड़े परिश्रम और शोध के उपरांत हिंदी वर्ड प्रोसेसर अक्षर(1983) की शुरुआत तो हुई लेकिन ऑनलाइन सामग्री की उपलब्धता अभी भी दूर की बात बनी हुई थी। देवनागरी व आठ अन्य भारतीय लिपियों में यूनिकोड टाइपिंग की शुरुआत हुई।(1991)

सूचना क्रांति के युग में ब्लॉगिंग की शुरुआत (1994) निर्णायक साबित हुई। नेट पर सामग्री अपलोड करना आमजन के लिए संभव हुआ। जिमी वेल्स और लैरी सिंगर ने अंग्रेजी विकिपीडिया शुरुआत की। किसी एक प्लेटफार्म पर क्रमबद्ध सामग्री मिलने की शुरुआत हुई। हिंदी विकीपीडिया शुरू हुआ। (2004)

छिटपुट संख्या में हिंदी में ब्लॉग लिखे गए। उस समय हिंदी को इंटरनेट पर स्थापित करने का जैसा उत्साह संसार भर में दिखाई दिया, हालांकि वह सीमित था लेकिन था अभूतपूर्व। ब्लॉगवाणी जैसे ब्लॉग एग्रीगेटर्स ने इस बात का जिम्मा संभाला कि दुनिया भर में हिंदी में एक भी वाक्य अपलोड किया गया हो तो सार्वजनिक स्पेस पर हर किसी के लिए उपलब्ध हो। दिल्ली निवासी मैथिलीशरण गुप्त और उनके पुत्र सिरिल गुप्त ने इस में अग्रणी भूमिका निभाई।

आरंभिक ब्लॉग्स कस्बा, मोहल्ला, कबाड़खाना, शब्दों का सफर ने इतनी वैविध्य पूर्ण सामग्री उपलब्ध कराई कि साल भर के अंदर इन ब्लॉग्स की संख्या हजार को पार कर चुकी थी।

दो दशक बाद हिंदी ऑनलाइन लेखन से प्रभावित लोगों की संख्या 60 करोड़ से ऊपर हो गई। स्मार्टफोन में समावेशित ध्वनि आधारित हिंदी कीबोर्ड ने इस चमत्कार को अकल्पनीय तेजी से बढ़ाया। हिंदी के बदलते परिदृश्य में बड़ी अर्थव्यवस्था और बड़े बाजार की भूमिका को नजरअंदाज करना सही नहीं होगा। हिंदी आज इंटरनेट पर एक बेहतरीन माध्यम के तौर पर स्थापित हो चुकी है।

-ललित मोहन रयाल, आईएएस
उत्तराखंड शासन देहरादून

Pls clik-12वां विश्व हिंदी सम्मेलन

विश्व हिंदी सम्मेलन के बहाने प्रवासी भारतीयों पर बनी हिंदी फिल्मों की चर्चा

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *