CAG की रिपोर्ट में नगर निकाय व पंचायतों में पायी गयी गड़बड़ी

स्थानीय निकाय व पंचायतों के कार्यों के बाबत विधानसभा में पेश कैग की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों से जुड़ी नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट से साफ पता चल रहा है कि पंचायतों व नगर निकाय के कार्यों में काफी लापरवाही बरती गई।

निकाय व पंचायतों में राजस्व वसूली में भारी कमी, अपूर्ण निर्माण कार्य में ठेकेदारों को टैक्स में रियायत के मामले पकड़े गए।   ब्याज को उचित खाते में नहीं रखा गया। ठेकेदारों की रॉयल्टी से कटौती नहीं की गयी। लाखों रुपये के उपकर की वसूली भी कई सवाल खड़े कर गयी।

निकायों में गृह कर वसूली में लापरवाही, कूड़ा प्रबन्धन, पेंशन, स्टाम्प शुल्क नहीं लिया जाना, वाहन खरीद, ठेकेदारों को छूट देने के मामले सामने आए।

नगरपालिका परिषद नैनीताल ने बिना कोई व्यय किए 40 लाख के उपयोगिता प्रमाण-पत्र भारत सरकार को प्रस्तुत किए। घर घर जाकर कूड़ा उठाने  वाले वाहनों का उपयोग ही नहीं किया गया

पंचायती राज संस्थाओं के बाबत रिपोर्ट

मौजूदा समय में में 13 जिला पंचायतें, 95 क्षेत्र पंचायत एवं 7,793 ग्राम पंचायतें हैं। पंचायती राज संस्थाओं का

समग्र नियंत्रण निदेशक, पंचायती राज संस्था के माध्यम से प्रमुख सचिव/सचिव, पंचायती राज, उत्तराखण्ड शासन में निहित होता है। लेखापरीक्षा के अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं में विषयों के हस्तान्तरण, आंतरिक लेखापरीक्षा, कम्प्यूटीकरण, रोकड़ बही तैयार करने, अग्रिम रजिस्टर का रख-रखाव और बजट की तैयारी के संबंध में कई कमियाँ पायी गई।

पंचायतों की ऑडिट रिपोर्ट में यह कमियां पायी गयी

11 जिला पंचायतों में वर्तमान प्रावधानों के अनुसार विभव एवं सम्पत्ति कर तथा किराये / पट्टे से आय का निर्धारण एवं वसूली नहीं की जा रही थी। इसके अतिरिक्त, 11 जिला पंचायतों में करों एवं किराए की वसूली में ₹9.04 करोड़ तक की कमी देखी गई।

> पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के अंतर्गत, चंपावत एव चमोली जिलों में ₹ 8.74 करोड़ की लागत के 528 कार्य, ₹4.90 करोड़ व्यय होने के बाद भी अपूर्ण थे। चमोली जिले में चार पर्यटक अतिथि गृह, जो 2015-16 के दौरान ₹87.52 लाख की लागत से पूर्ण किए गए थे, अप्रयुक्त पड़े थे और कोई राजस्व उत्पन्न नहीं हो रहा था।

18 पंचायती राज संस्थाओं में निर्माण कार्यों के लिए ठेकेदारों के बिलों से ₹ 51.91 लाख की राशि का श्रम उप-कर नहीं काटा गया था।

छः योजनाओं के अंतर्गत, ₹24.62 करोड़ की लागत के 1,005 कार्य ₹17.16 करोड़ की उपलब्धता के बाद भी अपूर्ण थे।

> मार्च 2019 तक 31 पंचायती राज संस्थाओं में, विभिन्न योजना निधियों पर अर्जित ब्याज ₹ 6.40 करोड़ को अनियमित रूप से रखा गया था। ब्याज को सुसंगत प्राप्ति शीर्ष में जमा किया जाना था।

10 पंचायती राज संस्थाओं में से आठ ने ठेकेदारों के बिलों से ₹17.31 लाख की रॉयल्टी की कटौती नहीं की थी और शेष दो ने ₹6.30 लाख की रॉयल्टी की कटौती की लेकिन संबंधित लेखा शीर्ष में जमा नहीं की गई।

ग्राम पंचायतों में बैंक समाधान, आन्तरिक लेखापरीक्षा, समितियों एवं उप-समितियों की बैठकों तथा सी ए जी द्वारा प्रस्तावित प्रारूपों में खातों का रखरखाव न करना जैसी सतत अनियमितताएँ थी।

वर्ष 2017-19 के दौरान, ग्राम पंचायतों में बिल पंजिका, अग्रिम पंजिका, भण्डार पंजिका, अचल संपत्ति पंजिका, मस्टर रोल पंजिका, चैक निर्गत पंजिका और प्राप्ति पंजिका जैसी महत्वपूर्ण पंजिकाओं का रखरखाव नहीं किया जा रहा था। ₹ 48.17 करोड़ की रिवोलविंग निधि, जिसका उपयोग जिला पंचायत के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति और पेंशन लाभों के लिए किया जाना था, का अवरोधन था

uttarakhand– CAG report found irregularities in municipal bodies and panchayats

शहरी स्थानीय निकायों से जुड़ी ऑडिट रिपोर्ट की गड़बड़ी

उत्तराखण्ड में आठ नगर निगम, 41 नगरपालिका परिषद एवं 43 नगर पंचायते हैं। शहरी स्थानीय निकायों का सम्पूर्ण नियंत्रण निदेशक, शहरी विकास विभाग के माध्यम से प्रमुख सचिव (शहरी विकास) उत्तराखण्ड शासन में निहित होता है। लेखापरीक्षा में शहरी स्थानीय निकायों के क्रियान्वयन में वित्तीय संसाधनों का उपयोग करने संबंधी अपर्याप्त क्षमता, वित्तीय वर्ष के अंत में अव्यथित अवशेष, आदि जैसी कई कमियाँ पायी गई।

गृह कर का संग्रहण, मांग के सापेक्ष 13 से 74 प्रतिशत के बीच था। 12 में से शहरी स्थानीय निकाय कुल कर मांग के सापेक्ष 50 प्रतिशत गृह कर भी वसूल नहीं कर सकीं। इसके अतिरिक्त, निदेशालय के निर्देशानुसार, कोई भी शहरी स्थानीय निकाय 2016-17 और 2017-18
के दौरान 90 प्रतिशत से अधिक गृह कर वसूल करने में सक्षम नहीं थी।

31 मार्च 2017 एवं 31 मार्च 2018 को क्रमशः सात एवं चार शहरी स्थानीय निकायों में दुकान किराया प्रभार की र138.39 लाख और ₹ 62.52 लाख की वसूली लम्बित थी।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा था क्योंकि वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 के दौरान 11 शहरी स्थानीय निकायों में कम्पोस्ट प्लांट, प्रोसेसिंग
कार्यकारी यूनिट एवं वैज्ञानिक लैंडफिल की अनुपलब्धता के कारण ठोस अपशिष्ट का पृथक्करण एवं प्रसंस्करण नहीं हुआ था।

चार शहरी स्थानीय निकायों के अभिलेखों से पता चला कि शहरी स्थानीय निकायों के सेवानिवृत्त सेवारत कर्मचारियों की पेंशन, सेवानिवृत्ति उपदान, भविष्य निधि, अवकाश नकदीकरण और वेतन/ बकाया के प्रति ₹52.88 करोड़ की देयताएं थीं।

नमूना जांच किए गए 15 शहरी स्थानीय निकाय में से किसी ने भी योजना प्रारंभ होने के 12 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी योजना के प्रावधानों के अनुसार नई अंशदायी पैशन योजना के प्रावधानों को लागू नहीं किया।

वर्ष 2016-18 की अवधि के दौरान, अचल संपत्तियों पर 33.31 लाख के स्टाम्प शुल्क की कम वसूली हुई।

नगरपालिका परिषद मंगलौर, नरेंद्र नगर, पौड़ी, ऋषिकेश, नगर पंचायत स्वर्गाश्रम जौक, नगरपालिका परिषद गोपेश्वर एवं नगर निगम कोटद्वार में निर्माण कार्यों के लिए ठेकेदारों के बिली से ₹ 13.52 लाख की रॉयल्टी की कटौती नहीं की गई।

नगरपालिका परिषद, नैनीताल में घर-घर जाकर कूड़ा संग्रहण और लैंडफिल तक कचरा परिवहन की सेवाएं देने के लिए र9.31 लाख की लागत से दो वाहन खरीदें दोनों वाहन क्रय की तिथि से अनुपयोगी पड़े थे क्योंकि पांच साल बीत जाने के बाद भी उनकर एक किलोमीटर तक भी उपयोग नहीं किया गया था।

नगरपालिका परिषद गोपेश्वर, मसूरी और नगर निगम कोटद्वार में ठेकेदारों के बिलों से उप-कर (एक प्रतिशत) की राशि 6.09 लाख की कटौती नहीं की गई थी।

नगरपालिका परिषद नैनीताल ने बिना कोई व्यय किए 40 लाख के उपयोगिता प्रमाण-पत्र भारत सरकार को प्रस्तुत किए।

CAG ने क्या कहा

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के ( कर्तव्य, शक्ति एवं सेवा शर्तें) अधिनियम, 1971 की धारा 20 (1) के अधीन पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों की लेखापरीक्षा में सहायता एवं तकनीकी मार्गदर्शन के रूप में 31 मार्च 2018 एवं 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष के लिए यह प्रतिवेदन उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत करने हेतु तैयार किया गया है। प्रतिवेदन में कर्तव्य, शक्तियाँ एवं सेवा शर्तें अधिनियम, 1971 की धारा 14 के अधीन संबन्धित प्रशासनिक विभागों सहित, पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों के लेखापरीक्षा परिणामों को भी सम्मिलित किया गया है।

वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 की अवधि की नमूना लेखापरीक्षा के दौरान संज्ञान में आए मामलों के साथ साथ वे सारे मामले जो पूर्व वर्षों में संज्ञान में आए परंतु जिन्हें पूर्व के प्रतिवेदनों में शामिल नही किया जा सका, इस प्रतिवेदन में, जहां आवश्यक थे, समाहित किए गए हैं। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा जारी किए गए लेखापरीक्षा मानकों के अनुरूप लेखापरीक्षा संपादित की गयी है।

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