गंगा में मेडल विसर्जित करने हरिद्वार आये पहलवान, नारेबाजी से मची अफरातफरी

पहलवानों के आंदोलन की लपटें उत्तराखण्ड में गंगा किनारे तक पहुंची

आंदोलित पहलवान गंगा में मेडल विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे

हर की पैड़ी में मेडल विसर्जित नहीं करने देंगे-गंगा सभा

मंत्री बृजभूषण के खिलाफ नारेबाजी, घाट पर मची अफरा तफरी

पहलवान विनेश फोगाट ने ट्वीट कर बतायी आपबीती

मंगलवार को हर की पैड़ी का नजारा बदला हुआ था। काफी मंथन व लोगों के आग्रह के बीच देर शाम पहलवानों ने गंगा मेडल विसर्जन का कार्यक्रम टालते हुए मंत्री बृजभूषण के खिलाफ 5 दिन का अल्टीमेटम दिया। अब केंद्र सरकार 5 दिन के अंदर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो पहलवान नयी रणनीति बनाएंगे।

अविकल उत्तराखण्ड

हरिद्वार। दिल्ली में जारी पहलवानों के आंदोलन की लपटें उत्तराखण्ड में गंगा किनारे तक भी पहुंच गई। दिल्ली के जंतर मंतर से हटा दिए गए पहलवान गंगा दशहरा पर्व के दिन अपने मेडल गंगा में विसर्जित करने हर की पैड़ी पहुंच गए।गंगा दशहरा स्नान पर्व पर हुते इस नाटकीय घटनाक्रम से हर की पैड़ी आंदोलन का अखाड़ा बन गयी।

गंगा के घाट में पहलवानों के समर्थन में हाथों इन बैनर लिए समर्थक नारेबाजी करते नजर आए। इस दौरान महिला पहलवान भावुक नजर आयीं।

समाचार लिखे जाने तक किसान नेता राकेश टिकैत व खाप पंचायत से जुड़े लोग भी जल्द हर की पैड़ी पहुंचने वाले है। समर्थक नारेबाजी करते हुए मेडल विसर्जित नहीं करने का अनुरोध कर रहे है। समर्थक कह रहे है कि पूरा देश उनके साथ है।

इधर, भारी मात्रा में पुलिस बल मौजूद है। जल पुलिस भी मुस्तैद बनी हुई है। साथ ही गंगा दशहरा आरव5 के चलते लाखों श्रद्धालु हर की पैड़ी पर मौजूद हैं।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर घाट पर अफरा तफरी व तनाव का माहौल है। गंगा दशहरा स्नान पर्व होने के चलते हर की पैड़ी के गंगा घाट श्रद्धालुओं से लबालब भरे हुए हैं।

अपने मेडल गंगा में विसर्जित करने के लिए दिल्ली से हरिद्वार पहुंचे पहलवानों के समर्थन में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में हर की पैड़ी पर एकत्रित हो गए।

पहलवानों के समर्थक ब्रजभूषण मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं।  नारेबाजी से घाटों पर अफरातफरी की स्थिति बन गई है।

हर की पैड़ी में विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक समेत कई पहलवान पहुंचे। विनेश फोगाट ने आज ही ट्वीट कर घटनाक्रम की जानकारी दी थी।

उधर श्री गंगा महासभा के कहना है कि हरकी पैड़ी पर पदक विसर्जन की अनुमति नहीं देंगे और तीर्थ को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देंगे

हरकी पैड़ी की प्रबंध कार्यकारिणी संस्था श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने  कहा  कि यह सनातन का पवित्र तीर्थ स्थल है, इसे राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वह पहलवानों को ऐसा करने से रोके।

उन्होंने कहा कि हरिद्वार में सभी जगह पर गंगा जी प्रवाहित हैं, पहलवान अपना यह कार्य किसी अन्य जगह भी संपन्न कर सकते हैं। पर, हरकी पैड़ी पर यह करने की उन्हें अनुमति नहीं होगी।

पहलवान विनेश फोगाट का ट्वीट

28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा. पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया. हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई. क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय माँगकर कोई अपराध कर दिया है. पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियाँ कस रहा है. टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को क़बूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है. यहाँ तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है. हम महिला पहलवान अंदर से इतना ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है. हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मे जीते थे.
अब लग रहा है कि क्यों जीते थे. क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे. हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे।कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना ख़त्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है।इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहाँ हैं, भारत के बेटियों की जगह कहाँ हैं. क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर क एजेंडा बनकर रह गई हैं.मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं. इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा. इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएँगे. इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी. हम उनके जीतने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी.
अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफ़ेदी वाले तंत्र के साथ.

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