जानिए , शारजाह के क्रिकेट मैच में दाऊद की सिगरेट का कश खींचते हुए फोटो क्लिक करने वाले फोटोग्राफर भवान सिंह कौन हैं…
विवेक शुक्ला/NBT
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम फिर खबरों में है। कहा जा रहा है कि उसे कराची में जहर दिया गया है। दाऊद का जब जिक्र आता है तो उसकी लगभग साढ़े तीन दशक पुरानी एक फोटो सामने आ जाती है। दाऊद उसमें शारजहां में भारत-पाकिस्तान के बीच खेले जा रहे मैच को अपने गुर्गों के साथ देख रहा है। सिगरेट के कश लगाते हुए उस फोटो को खींचा था दिल्ली के मशहूर फोटो जर्नलिस्ट भवान सिंह ने। भवान सिंह उस मैच को कवर कर रहे थे इंडिया टुडे के लिए। उन्होंने जैसे ही देखा कि दाऊद वीआईपी बॉक्स में बैठकर मैच देख रहा है तो उन्होंने उसकी एक के बाद फोटो लेनी शुरू कर दीं।
दाऊद के चेलों ने भवान सिंह को फोटो लेते हुए देखा तो वे उनकी तरफ लपके। कहने लगे, ‘फोटो दे दो।’ इससे पहले कि भवान सिंह कुछ रिएक्ट करते दाऊद ने अपने चेलों को हाथ हिलाकर इशारों में कहा- ‘जाने दो।’ मूल रूप से गढ़वाल के रहने वाले भवान सिंह बताते थे कि वे दाऊद की फोटो लेने के बाद ग्राउंड से निकल गए थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी दाऊद की फोटो की इतनी मकबूलियत हासिल होगी। दाऊद उन मैचों को देखने के साथ-साथ मोटा सट्टा लगाता था। तब तक अपराध की दुनिया में वह अपने को स्थापित कर चुका था।
भवान सिंह 1965 में दिल्ली आ गए थे। पौढ़ी गढ़वाल में कामकाज की कोई गुंजाइश ना के बराबर थी इसलिए उनके पास दिल्ली आने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। उन्हें फोटोग्राफी की थोड़ी समझ होने के चलते गोल मार्केट के पाल फोटो स्टुडियो में नौकरी मिल गई। वे तब राऊज एवेन्यू में बने सरकारी घरों में रहते थे। वहां अब बीजेपी का हेड क्वार्टर आबाद है।
उन्होंने पाल स्टुडियों में खूब काम सीखा और किया। वहां से पहली मीडिया की नौकरी की अब बंद हो गए मदरलैंड अखबार में। उसके बाद वे राजधानी के लगभग सभी शिखर मीडिया संस्थानों में रहे। कइयों में फोटो एडिटर भी रहे। उनकी खींची दर्जनों फोटो कालजयी हो गईं। जरा याद करें चिपको आंदोलन और पेड़ों से लिपटी देवभूमि की उन जुझारू महिलाओं की तस्वीरों। उन तस्वीरों को लेने का श्रेय भवान सिंह को ही जाता है। कहना ना होगा कि उन तस्वीरों को देखकर उस महान आंदोलन की यादें ताजा होने लगती हैं। उन्होंने उत्तराखंड के ना जाने कितने युवाओं को दिल्ली में नौकरी दिलवाई।
भवान सिंह के पास फोटो जर्नलिस्ट की बहुत पैनी दृष्टि थी। उनकी खींची फोटो देखकर लगता है कि वे खास पलों को अपने कैमरे में कैद करने में माहिर थे। वे घुमक्कड़ थे। वे कोई खास काम नहीं होता था तो दिल्ली की सड़कों को पैदल ही नाप रहे होते थे। कनॉट प्लेस में भी घूमते हुए मिल जाते थे। भवान सिंह की ड़ॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की खींची फोटो भी बहुत पसंद की गई थी। उस तस्वीर में डॉ. कलाम अपने कमरे में चटाई पर बैठे हैं और पीछे सितार रखा हुआ है। भवान सिंह ने अपने करियर के शुरूआती सालों में क्रिकेट टेस्ट मैचों को भी खूब कवर किया। उन्होंने 1990 में सोवियत संघ के विघटन के बाद मास्को के माहौल को भी कवर किया था। भवान सिंह के पुत्र वीरेन्द्र सिंह हिंदुस्तान टाइम्स में भी रहे। वे भी श्रेष्ठ फोटो जर्नलिस्ट हैं।
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