एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में आई.ए.पी. व फोग्सी की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ के सभागार में एक दिवसयीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आई.ए.पी.) देहरादून शाखा व फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टीट्रिक्स एण्ड गाइनोकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इण्डिया (फोग्सी) देहरादून शाखा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय पेरीनेटोलॉजी कार्यशाला में देश भर से आए 70 शिशु रोग विशेषज्ञों एवम् स्त्री एवम् प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में प्रसव के दौरान शिशु मृत्यु दर के मामलों पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर करते हुए बचाव एवम् रोकथाम के उपाय सुझाए।
रविवार को ’केयरिंग बोथ एण्ड्स ऑफ दि कॉर्ड’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ आईएपी इण्डिया के उत्तराखण्ड प्रदेश के कार्यपालक बोर्ड सदस्य डॉ उत्कर्ष शर्मा ने किया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने शिशु के गर्भनाल के दोनांे सिरों की देखभाल से जुड़े मेडिकल व वैज्ञानिक पक्ष पर महत्वपूर्णं जानकारियां सांझा की।
वर्कशाप के नेशनल संयोजक, डॉ विष्णु मोहन, कालीकट केरल ने वर्कशाप के विषय का परिचय देते हुए समझाया कि भारत में प्रति वर्ष जन्म से एक महीने की आयु के बीच के 8 लाख शिशुओं की मृत्यु हो जाती है। शिशुओं की इन मौतों का मुख्य कारण प्रसव के समय की असावधानियां व मेडिकल गाइडलाइन से जुड़ी लापरवाहियां हैं। प्रसव के दौरान स्त्री एवम् प्रसुति रोग विशेषज्ञ एवम् शिशु रोग विशेषज्ञ के बीच बेहतर संवाद एवम् तालमेल से शिशुओं की मृत्यु दर को न्यूनतम किया जा सकता है।
वर्कशाप के नेशनल संयोजक डॉ एस.एस. बिष्ट, नई दिल्ली ने समझाया कि गर्भधारण से प्रसव के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां समझाईं। जच्चा बच्चा दोनांे का स्वास्थ्य किस प्रकार सुरक्षित रह सकता है।
फोग्सी, देहरादून की अध्यक्ष डॉ आरती लूथरा ने समझाया कि प्रसव के दौरान स्त्री एवम् प्रसूति रोग विशेषज्ञ एवम् शिशु रोग विशेषज्ञ के बीच में किन किन बिन्दुओं पर सामन्जस्य की कमी रह जाती है। उन्होनंे जोर देकर कहा कि इन बिन्दुआंे पर बेहतर संवाद जन्म के बाद जच्चा बच्चा का स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु रोग विभाग के प्रमुख डॉ उत्कर्ष शर्मा ने समझाया कि निर्धारित समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चों की डिलीवरी के समय क्या अतिरिक्त सावधानियां अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा शिशु मृत्यु दर का एक बड़ा कारण प्री-मैच्योर डिलीवरी भी है।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नवजात शिुशुओं की मृत्यु दर को स्त्री एवम् प्रसूति रोग विशेषज्ञों व शिशु रोग विशेषज्ञों के बीच बेहद संवाद से न्यूनतम करना रहा। कार्यशाला को सफल बनाने मंे डॉ राजीव श्रीवास्तव, अध्यक्ष, आईएपी उत्तराखण्ड, डॉ आलोक सेमवाल, अध्यक्ष, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, देहरादून, डॉ बी.पी. कालरा, डॉ सुमित वोहरा, अध्यक्ष, आईएपी देहरादून शाखा, डॉ तन्वी खन्ना, सचिव आईएपी देहरादून शाखा, डॉ आशीष सेठी, कोषाध्यक्ष आईएपी देहरादून शाखा, डॉ राधिका रतूड़ी, सचिव फोग्सी देहरादून शाखा, डॉ रीना आहूजा, डॉ सोनम सेठी, डाू अनु धीर, डॉ डेज़ी पाठक, डॉ वनिता एवम् डॉ योगिता का भी विशेष सहयोग रहा।
The figures of death of infants during delivery are worrisome
Experts suggest preventive measures
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