अविकल उत्तराखण्ड
नैनीताल। अंकिता मर्डर मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे उसके माता पिता व आंदोलित लोगों को नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले से गहरा झटका लगा है।
बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अंकिता भंडारी हत्याकांड में सी.बी.आई. जांच की मांग संबंधी याचिका में अपना निर्णय सुनाते हुए मांग को खारिज कर दिया है। एकलपीठ ने कहा कि इस मामले में एस.आई.टी. टीम संतोषजनक कार्य कर रही है।
वरिष्ठ न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने अंकिता भंडारी हत्याकाण्ड में सी.बी.आई. जांच सम्बन्धी याचिका में आदेश को सुरक्षित रखा था। गौरतलब है कि 4 नवंबर को अंकिता के माता पिता स्वंउ सीबीआई जांच की मांग को।लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के सामने गए थे।
याचिका के अनुसार परिजन SIT जांच से संतुष्ट नहीं थे। याचिका में कहा गया था कि पुलिस व् एस.आई.टी. इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रही है।
अंकिता हत्याकांड को लेकर कई संगठन व राजनीतिक दल सीबीआई जांच की मांग कर रहे है। इससे जुड़े कई मामलों का अभी तकखुलासा नहीं हुआ है।
वंन्तरा रिसॉर्ट में लम्बे समय से जारी देह व्यापार में कौन कौन लोग शामिल रहे, अभी यह खुलासा होना भी बाकी है। अंकिता के अलावा कुछ कर्मचारियों का भी रिसॉर्ट में गलत कार्य होने की बात सामने आई थी।
याचिका में उठाये थे ये सवाल
एस.आई.टी. द्वारा अंकिता के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नही की। जिस दिन उसका शव बरामद हुआ था उसकी दिन शाम को उनके परिजनों के बिना अंकिता का कमरा तोड़ दिया।
पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में मेडिकल कराया गया। जो माननीय सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के विरुद्ध है। मेडिकल कराते समय एक महिला का होना आवश्यक था जो इस केस मे पुलिस द्वारा नही किया ।
SIT वीआईपी की तलाश नहीं कर पाई। जबकि अंकिता ने मित्र पुष्प को लिखी चैट में वीआईपी को एक्स्ट्रा सर्विस देने की बात कही थी।
जिस दिन उसकी हत्या हुई थी उस दिन छः बजे पुलकित उसके कमरे में मौजूद था वह रो रही था। याचिका में यह भी कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ है जिसे पुलिस नही मान रही है।
पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है। इसलिए इस केस की जाँच सीबीआई से कराई जाए। याचिकाकर्ता आशुतोश नेगी की याचिका में अंकिता के पिता और माता ने इम्प्लीडमेंट याचिका दाखिल की थी जिसको न्यायालय ने आज खारिज कर दिया है।
महाधिवक्ता एस. एन. बाबुलकर ने मीडिया को बताया कि न्यायालय ने सरकार के क्रिमिनल साइड के अधिवक्ता को मामले में जोड़ने को कहा है।।
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