डीएम ने सिंचाई विभाग से पूछा, कब और कैसे स्थापित हो गयी मजारें
मजार से जुड़े मौलवी व अन्य सम्बंधित लोगों से बातचीत के बाद पुलिस-प्रशासन ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की
पुलिस-प्रशासन से बातचीत के बाद मौलवी ने स्वंय दोनों मजारों के दान पात्र को हटाया
नहर पटरी पर बनी मजारें आपदा की दृष्टि से संवेदनशील मानी गयी
अविकल उत्तराखण्ड
हरिद्वार। प्रदेश में जीर्ण शीर्ण व अवैध मजारों को हटाने का सिलसिला जारी है। एक ओर वन विभाग की भूमि पर बने अवैध भवन, मजारें व मंदिरों का चिह्नीकरण जारी है। वहीं दूसरी ओर, अवैध निर्माण ढहाए जाने का क्रम भी जारी है।
इसी के तहत हरिद्वार के डीएम विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशों के बाद एसडीएम पूरण सिंह राणा के नेतृत्व में एक टीम ने सोमवार को बहादराबाद में नहर पटरी पर बनी दो मजारों को ध्वस्त कर दिया। नहर पटरी पर बने भवन के बाहर व अन्दर दो मजार स्थापित कर दी थी।
पूर्व में इस जगह पर सिंचाई विभाग का पनचक्की भवन था। पुलिस प्रशासन की टीम ने निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान पाया कि जिस जगह मजार स्थापित की गयी है। वह भवन आपदा की दृष्टि से काफी जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। ऐसे में कभी भी वहां पर कोई घटना घटित हो सकती है।
निरीक्षण के दौरान पता चला कि अवैध मजार बना कर सरकारी संपति पर भी क़ब्ज़ा किया गया है । नतीजतन, मजार से जुड़े हुये मौलवी आदि लोगों से टीम बातचीत की। और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया। मजार से जुड़े मौलवी आदि ने वर्तमान परिस्थितयों को देखते हुये दोनों मजारों एवं इनमें स्थापित दान पात्रों को स्वयं ही वहां से हटा दिया। प्रशासन की टीम ने उनका हार्दिक आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस बीच, जिलाधिकारी ने इस प्रकरण पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है कि सिंचाई विभाग की सम्पत्ति पर कैसे ये मजार स्थापित हो गयी।
इस अवसर पर सीओ सुश्री निहारिका सेमवाल, सिंचाई विभाग के अधिकारी, मौलवी सहित सम्बन्धित पदाधिकारी/अधिकारीगण उपस्थित थे।
इधर, नोडल अधिकारी आईएफएस पराग धकाते गढ़वाल और कुमाऊं में वन विभाग की जमीन और हुए अवैध निर्माण, मंदिर, मजारें व अन्य भवनों का चिह्नीकरण कर रही है। 1980 से पूर्व हुए निर्माण पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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