देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने भी किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। किसानों के समर्थन में हरीश रावत ने सांकेतिक उपवास करते हुए विरोध दर्ज कराया। इस दौरान हरीश रावत ने न केवल किसान बिल के खिलाफ केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की बल्कि उत्तराखंड के किसानों के मामले पर राज्य सरकार पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
किसान बिल को लेकर जहां देशभर के किसान आंदोलन में जुटे हुए हैं, वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सांकेतिक उपवास के जरिए किसानों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। हरीश रावत ने केंद्र से फौरन तीनों किसान विरोधी बिलों को रद्द करने की मांग की है।
अपने आवास पर सांकेतिक उपवास करते हुए हरीश रावत ने केंद्र सरकार के किसान विरोधी रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण और हठधर्मिता वाला बताया।
हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। केंद्र सरकार को फौरन किसानों से बात करनी चाहिए। हरदा ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिन किसानों ने कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को संभाला, उन्हीं को आज केंद्र सरकार ठगने का काम कर रही है।
इस दौरान हरीश रावत ने उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार पर भी कई गंभीर आरोप लगाए। हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में धान की खरीद पर रोक लगा दी गई है। किसानों को धान बेचने के लिए एफसीआई केंद्रों पर भेजा जा रहा है, जहां उनके धान की खरीद नहीं की जा रही। राज्य सरकार ने गन्ने के भी रेट भी अबतक तय नहीं किए हैं, जिससे किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
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