15 साल से फरारी काट रहा यूपी का मोस्ट वांटेड कौशल चौबे दून में हुआ था गिरफ्तार

विकास दुबे से कम नही था कौशल चौबे

-चार लोगों की दिनदहाड़े हत्या
-इंजीनियर की हत्या
-सिपाही की हत्या
-29 मुकदमे दर्ज। यूपी का गैंगस्टर।

अविकल थपलियाल

कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तर्ज पर बलिया के कुख्यात कौशल चौबे ने भी सिपाही, इंजीनियर समेत कई लोगों की हत्या की थी। 1990 दे 2004 तक बलिया में कुख्यात कौशल चौबे ने कहर बरपा दिया था।2004 के बाद कौशल यूपी से भाग कर उत्तराखंड और हिमाचल में छुप गया था।

कुख्यात विकाश दुबे

उत्तराखंड घुस सकता है विकास दुबे

कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार विकास दुबे को बिजनौर में देखे जाने के बाद उत्तराखंड में भी हलचल मच गई है। चूंकि, कई सालों से उत्तराखंड में यूपी व बिहार के कई बदमाश पनाह लेते रहे हैं। कई साल पहले देहरादून में छिपे बदमाश सूरजपाल पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इधर, विकास दुबे भी फरार चल रहा है। और बिजनौर में उसकी आमद भी हो चुकी है। लिहाजा, पुलिस सूत्रों का भी मानना है कि दुर्दांत विकास दुबे सुरक्षित ठिकाने की तलाश में कौशल चौबे की तरह उत्तराखंड की सरहद में घुस सकता है।

DIG रिद्धिम अग्रवाल

उत्तर प्रदेश के कुख्यात 2 लाख का इनामी बदमाश कौशल चौबे पूरे 15 साल तक उत्तर प्रदेश की पुलिस व एसटीएफ को चकमा देने में सफल रहा था। आखिर में उत्तराखंड की एसटीएफ ने पुलिस कांस्टेबल व बलिया में चार लोगों की दिनदहाड़े हत्या कर फरार हुए दुर्दांत अपराधी को 15 साल बाद 2019 में देहरादून में गिरफ्तार किया।

कौशल चौबे ने 2004 में बलिया ( मांझी) लोकनिर्माण विभाग के टेंडर में हुए विवाद में चार लोगों की हत्या कर दी थी। हिस्सेदारी को लेकर अपने ही पार्टनर पप्पू सिंह गिरोह के चार लोगों को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया था। यह वारदात लोनिवि के कार्यालय में ही हुई। इस फायरिंग में कौशल का भतीजा शेरा चौबे भी घायल हो गया था। शेरा को अस्पताल ले जाने वाले कुख्यात कौशल का बेटा अंशुमान भी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।

खूनी जंग का यह सिलसिला यही नही थमा। पप्पू सिंह गिरोह ने जवाबी कार्रवाई में कौशल चौबे के भाई शैलेन्द्र को गोलियों से भून दिया। बदले में कौशल गैंग ने पप्पू सिंह गिरोह के दो बदमाश मार दिए।

यूँ बना कौशल चौबे बदमाश-1990

इससे पूर्व 1990 में कौशल चौबे बलिया ट्रेजरी में अकाउंटेंट के पद पर काम करता था। ग्राम प्रधान की जंग में विरोधी गुट ने कौशल के पिता को गोली मार दी। गोली मारने वाले पप्पू चौबे को कौशल ने गोली मार दी और सरेंडर कर दिया।

कुख्यात कौशल चौबे

2002 में प्रोजेक्ट मैनेजर की हत्या

हत्या, गैंगस्टर व बलवा के आरोपी बदमाश कौशल चौबे ठेके हथियाने में हथियारों का खुल कर उपयोग करने लगा। 2002 में सेतु निगम के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर सुशील चंद्र राय को दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया। इस हत्याकांड के बाद बलिया व आस पास के इलाके में कौशल चौबे की तूती बोलने लगी।

सिपाही की हत्या
2004 में कौशल चौबे ने रेलवे स्टेशन में ही एक इंजीनियर की हत्या कर दी थी। इस हमले में जीआरपी के एक व पुलिस के दो सिपाहियों पर हमला हुआ। इस खूनी लड़ाई में एक सिपाही शहीद हो गया था। कुख्यात चौबे फरार हो गया।

इस घटना के बाद 29 मुकदमो व 2 लाख का इनामी बदमाश कौशल चौबे उत्तर प्रदेश की सीमा से बाहर निकल उत्तराखंड व हिमाचल में रहकर अपने कारनामो को अंजाम देता रहा। यहीं बैठकर वह अपने गुर्गों के जरिये ठेके व रंगदारी वसूलने लगा।

आमना-सामना हुआ शिमला में

जब कौशल चौबे शिमला में छुपा हुआ था। उस समय उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम से उसका आमना-सामना भी हो गया था। लेकिन अत्याधुनिक हथियारों से लैस शातिर कौशल चौबे साफ बच निकला।

ऋषिकेश भी आयी पुलिस
इसी दौरान उत्तराखंड के हरिद्वार में पूजा पाठ सामग्री का कार्य शुरू करने के अलावा बलिया के ठेकों पर भी दबदबा बनाये रहा। एक बार ऋषिकेश के आस पास रह रहे कौशल चौबे के यहां विवाह समारोह में भी उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने भी दबिश दी थी। पुलिस को उम्मीद थी कि कौशल चौबे शादी समारोह में मिलेगा लेकिन पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया।

उत्तराखंड में कहां-कहां छुपा कुख्यात चौबे

शिमला में पुलिस से मुठभेड़ के बाद चौबे उत्तराखंड की सीमा में दाखिल हो गया। यहां वह पुलिस की निगाह से बचने के लिए लगातार ठिकाने बदलता रहा। बदमाश चौबे ने देहरादून-मसूरी मार्ग के प्रसिद्ध भट्टा गांव में अपनी शरण स्थली बनाई। इसके अलावा 2 लाख का इनामी बदमाश हरिद्वार-ऋषिकेश से सटे रायवाला, हरिपुरकलां, नेपाली फार्म में भी ठिकाने बदलता रहा। पत्नी के साथ फ्लैट में रहता था। नरेन्द्रनगर में भी चौबे ने काफी समय बिताया।

जब दबोचा गया बलिया का इनामी कुख्यात

इस दौरान उत्तराखंड एसटीएफ को 15 साल से फरार व 2 लाख के इनामी गैंगस्टर कौशल चौबे के देहरादून आने की टिप्स मिली। एसटीएफ प्रमुख रिद्धिमा अग्रवाल ने इंस्पेक्टर संदीप नेगी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया। 29 मई 2019 की दोपहर। चिलचिलाती गर्मी। तापमान 39.7 डिग्री को छू रहा था। एसटीएफ की टीम रिस्पना पुल से आगे कुख्यात को पकड़ने के लिए जाल बिछा चुकी थी। हरिद्वार बाईपास रोड पर मीनाक्षी होटल के समीप पहुंचते ही मुस्तैद उत्तराखंड एसटीएफ की टीम ने कई जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे चुके चौबे को दबोच लिया। हथियारों से लैस चौबे को सम्भलने का मौका ही नही मिला। चौबे देहरादून में अपने पुत्रों कीर्तिमान व दीप्तिमान से मिलने आ रहा था।

.40 गलोक पिस्टल,ऑस्ट्रिया

लोडेड था कुख्यात चौबे
चौबे को जिस समय गिरफ्तार किया गया उस समय वह अत्याधुनिक पिस्टल से लैस था। ऑस्ट्रिया की .40 पॉइंट की ग्लोक पिस्टल, 4 मैगजीन व 57 जिंदा कारतूस बरामद हुए। पिस्टल की कीमत 50 लाख आंकी गई। एसटीएफ से थोड़ी चूक होती तो मोस्ट वांटेड चौबे बलिया की तरह गोलियां बरसा खून की होली खेलने में सफल हो सकता था। जान पर खेल कर की गई इस गिरफ्तारी में उत्तराखंड एसटीएफ के निरीक्षक संदीप नेगी, हेड कांस्टेबल वेदप्रकाश भट्ट, सिपाही लोकेंद्र सिंह व महेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश का घोषित इनामी राशि 2 लाख भी मिली। आखिरकार 15 साल से पुलिस का सिरदर्द बना 2 लाख का हिस्ट्रीशीटर कौशल चौबे देहरादून जेल में बंद है।

 

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