पर्यावरणविद रवि चोपड़ा नहीं बल्कि वन विभाग काटेगा रोगग्रस्त लीची के पेड़ को

वन विभाग ने संशोधित आदेश जारी कर वन निगम को सौंपा लीची के पेड़ कटान का जिम्मा

पूर्व में रवि चोपड़ा को कहा था, अपने खर्चे पर काटिये सरकारी जमीन पर खड़े लीची के पेड़ को

“अविकल उत्तराखण्ड” ने प्रमुखता से उठाया था लीची पेड़ कटान का मसला

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। पर्यावरणविद रवि चोपड़ा के घर के बाहर नगर निगम की जमीन पर खड़े रोगग्रस्त लीची के पेड़ को अब वन निगम काटेगा। देहरादून के प्रभागीय वन अधिकारी के मौखिक आदेश पर वन निगम को जारी लिखित आदेश में 30 अक्टूबर तक लीची का पेड़ काटने को कहा गया है। वन निगम को 10 नवंबर तक कटी लकड़ी की निकासी करनी होगी।

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को “अविकल उत्तराखण्ड” ने 5 महीने से लटके लीची पेड़ कटान मामले को प्रमुखता से उठाया था। वन विभाग ने अपने एक आदेश में रवि चोपड़ा को 15 दिन की मोहलत देते हुए सरकारी जमीन पर खड़े पेड़ कटान का खर्च स्वंय उठाने और निकासी के आदेश दिए थे।

वन विभाग के इस अव्यवहारिक व हैरतअंगेज फैसले को लेकर प्रकाशित खबर के बाद शासन स्तर पर हलचल मची। और 3अक्टूबर को ही वन विभाग ने संशोधित आदेश जारी कर वन विभाग को लीची का पेड़ काटने का फरमान जारी किया।

मई से फाइलों में झूल रहे लीची पेड़ कटान का मामला अब सुलझता नजर आ रहा है। वह निगम को पेड़ कटान व लकड़ी की निकासी के लिए लगभग 45 दिन मुहैया कराए गए हैं।

उसके पतन हेतु अन्तिम तिमि दिनांक 30.10.2023 एवं निवासी तिथि दिनांक 10.11.2023 तक नियत की जाती है। नियत तिथि के विस्तार वन विकास निगम, उत्तराखण्ड द्वारा धन संचय, शिवालिक उत्तराखण्ड देहरादून द्वारा जारी नियमों के अनुसार अनुमति होगी। प्रत्येक दिन प्रादुल उसी दिन करना होगा। पाचन के समय अन्य वृक्ष को नहीं पहुंचायेगी अति पहुंचाने पर इसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व वन विकास निगम का होगा, साथ ही कार्य करना होगा। उपरोक्तानुसार।

ती मणि त्रिपाठी प्रभागीय वनाधिकारी, देहरादून वन प्रभाग देहरादून।

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पर्यावरणविद की शिकायत पर भी सरकारी जमीन से नहीं हटा रोगग्रस्त लीची का पेड़

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