मुख्यमंत्री के फैसले पर लगी मुहर

2010 बैच के 223 अपर निजी सचिव हुए स्थायी


शेष की नियुक्ति की कार्यवाही तेज


अविकल उत्तराखण्ड

लखनऊ। लोक सेवा आयोग से 2010 में नियमित पदों पर चयनित 223 श्रेणी-2 के राजपत्रित अधिकारी अपर निजी सचिवों को आखिरकार पाँच वर्षों बाद सचिवालय प्रशासन विभाग ने स्थायी कर दिया है। उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ लखनऊ में दायर केस के क्रम में मुख्यमंत्री के आदेश के अनुपालन में सी0बी0आई0 जांच के चलते शेष छूटे अपर निजी सचिवों को नियुक्ति दिये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही तेज कर दी गयी है।

सचिवालय प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित न होने वाले अभ्यर्थियों ने 2001 की नियमावली के प्राविधानों का हवाला देते हुए भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट याचिका दाखिल करते हुए न्याय की मांग की। उच्च न्यायालय की एकल पीठ का निर्णय 250 चयनितों के पक्ष में आने पर पुनः फेल अभ्यर्थियों ने खण्डपीठ में अपील की। सुनवाई करते हुए खण्डपीठ का निर्णय आया कि सभी अभ्यर्थियों ने विज्ञापन की सेवाशर्तों को मानते हुए सभी तीन चरणों की परीक्षायें दी, जब वह अंतिम रूप में चयनित नहीं हुए तो विज्ञापन में नियमावली की शर्तों को चैलेंज नहीं किया जा सकता और खण्डपीठ ने चयनितों के पक्ष में आदेश करते हुए सचिवालय प्रशासन विभाग को निर्देश दिया कि इन्हें चार सप्ताह में नियुक्ति दें अन्यथा की स्थिति में हलफनामा दाखिल करें।

इसी बीच खण्डपीठ इलहाबाद के निर्णय के विरूद्ध परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों ने माननीय उच्चतम न्यायालय मे एस0एल0पी0 दाखिल कर दी। उच्च न्यायालय इलाहाबाद की खण्डपीठ के आदेश के अनुपालन में शासन में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में फरवरी 2018 में न्याय, वित्त, कार्मिक एवं सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की गयी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि उच्चतम न्यायालय में योजित एस0एल0पी0 में होने वाले निर्णय के अधीन इन चयनितों को नियुक्ति दिये जाने में कोई विधिक बाधा नहीं है। उच्चस्तरीय बैठक में लिये गये निर्णय पर मुख्यमंत्री की मोहर लगने के बाद 223 अपर निजी सचिवों की नियुक्ति के बीच काफी शिकायतें प्राप्त होने पर उच्च स्तर पर निर्णय लिया गया कि सी0बी0आई0 जांच से छूट गयी इस परीक्षा को भी दायरे में लिया जायेगा। सी0बी0आई0 जांच के चलते नियुक्ति न दिये जाने के मुख्यमंत्री के आदेश पर लगभग 26 चयनितों की नियुक्ति रोक दी गयी।

शासन में कार्यरत 223 अपर निजी सचिवों को लगभग पाँच वर्ष बीतने के बाद भी स्थायी न किये जाने के कारण उन्हें सेवा सम्बन्धी लाभ नहीं मिल पा रहे थे जिससे नाराज अधिकारियों ने मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से गुहार लगायी कि अप्रैल 2012 से मार्च 2017 के मध्य लोक सेवा आयोग से घोषित परीक्षा परिणामों की सी0बी0आई0 जांच चल रही है और इस अवधि में सी0बी0आई0 जांच से आच्छादित पी0सी0एस0, पी0पी0एस0, सहायक अभियोजन अधिकारी, चिकित्साधिकारी, शासन के समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी व ऐसे ही अन्य चयनितों को शासन सहित अन्य सभी विभागों में स्थायी करके उन्हें सभी सेवा सम्बन्धी लाभ दिये जा रहे हैं जबकि उन्हें इन लाभों से वंचित रखा जा रहा है। अंततः मुख्यमंत्री की नाराजगी के चलते इसी वर्ष फरवरी 2023 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्मिक, न्याय, वित्त, गृह, सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिकारियों की बैठक में मंथन के बाद निर्णय हुआ कि इन 223 अधिकारियों को भी सी0बी0आई0 जांच के होने वाले अंतिम निर्णय के अधीन स्थायी करते हुए सभी सेवा सम्बन्धी लाभ दिये जाने में कोई विधिक बाधा नहीं है। उच्चस्तरीय बैठक में लिये गये निर्णय पर जब तक मुख्यमंत्री की मोहर लगती तब तक उच्चतम न्यायालय में फेल अभ्यर्थियों द्वारा 2018 में दाखिल एस0एल0पी0 डिसमिस हो गयी। अंततः 05 वर्षों से न्याय की आस में बैठे सचिवालय में सेवा कर रहे अधिकारियों को स्थायी करते हुए अवशेष 26 चयनितों को नियुक्ति दिये जाने पर मुख्यमंत्री की मोहर लगने के बाद काफी राहत मिली है।

2010 बैच के समस्त अधिकारियों को स्थायी किये जाने पर अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष अनूप कुमार वर्मा ने पूरे संघ और संवर्ग की ओर से  मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और सचिवालय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि बैच के कुछ साथियों को छोड़कर ज्यादातर अपर निजी सचिव इस सेवा में आने से पूर्व अन्य विभागों में कई वर्षों की सेवा करके आये हैं। इनका अपर निजी सचिवों का उनके पुराने विभाग से धारणाधिकार समाप्त हो गया है और पूर्व विभाग की सेवायें न जुड़ने के कारण उन्हें कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था, इसी बीच कोविड जैसी महामारी में विभिन्न संवर्गों से हमारे सचिवालय के कई साथी इस दुनिया के चले गये। 2010 के हमारे कई साथी कोविड महामारी में गंभीर रूप से संक्रमित हो गये थे परन्तु किसी को जीवन की कोई क्षति नहीं हुयी। मुख्यमंत्री के फैसले अंततः सत्य की जीत हुयी है। वर्मा ने आगे बताया कि अब संघ का काम सेवा सम्बन्धी लाभों के साथ साथ पदोन्नति, वरिष्ठता सूची जारी करने, कैडर रिव्यू, शासन में रिक्त पड़े अपर निजी सचिव के लगभग 500 पदों पर लोक सेवा आयोग से शीघ्र परीक्षा कराने और वेतन विसंगतियों को दूर कराना उनकी शीर्ष प्राथमिकता में है।

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