प्रख्यात भूवैज्ञानिक पद्मश्री एवं पद्मभूषण, प्रोफेसर खड्ग सिंह वाल्दिया नहीं रहे ..

महिपाल सिंह नेगी


      प्रो.वाल्दिया  83 वर्ष की उम्र में बेंगलुरु में हुआ निधन। 20 मार्च 1937 को हुआ था जन्म। पिथौरागढ़ उत्तराखंड के मूलनिवासी। जन्म रंगून म्यांमार  में हुआ था।
        द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब केवल 5 वर्ष के थे तब म्यांमार में आसपास कहीं द्वितीय विश्व युद्ध की बमबारी के दौरान उनकी सुनने की क्षमता कमजोर हो गई थी। जो शायद आजीवन बनी रही।


         हिमालयी भूविज्ञान के गहन जानकार। लखनऊ विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च बैंगलोर और कुमाऊं विश्वविद्यालय में रहे प्रोफेसर।
         कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। युवा अवस्था में जॉन हापकिंस विश्वविद्यालय के पोस्ट डॉक्टरल फैलो रहे।


         कुछ वर्ष पूर्व “पथरीली पगडंडियों पर” नाम से उनकी आत्मकथा प्रकाशित हुई। प्रभावी और अद्भुत व्याख्याता माने जाते थे। भूविज्ञान जैसे विषय को भी साहित्यिक शैली में समझाने में थे सिद्धहस्त।
        हिमालय के प्रतिवर्ष औसतन करीब 5 सेमी उत्तर की ओर जाने और 2 सेमी ऊंचाई की ओर निरंतर उठने के महत्तवपूर्ण शोध मुख्य रूप से प्रोफेसर वाल्दिया के ही हैं। बाद में अन्य भू विज्ञानियों ने भी उनके शोध को आधार बनाया।
       हालांकि मैं भू विज्ञान का विद्यार्थी नहीं रहा। फिर भी मुझे उनकी दो पुस्तकें “हाई डैम्स इन हिमालय” और “संकट में हिमालय” पढ़ने का अवसर मिला। दोनों पुस्तकें मेरे पुस्तकालय में मौजूद हैं।
       इसके अलावा 6 साल पहले एक सेमिनार में उनका लेक्चर सुनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
       हमें आप पर सदैव आत्मीय गौरव रहेगा, प्रोफेसर के एस वाल्दिया सर …………….।

Prof valdiya-स्मृति-डॉ कुकशाल की कलम से-plss clik

हिमालय के महानायक प्रो. खड्ग सिंह वाल्दिया – पत्थरों का उपासक, प्रकृति का पुजारी’

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *