महाकुम्भ में कोरोना जांच से जुड़े कई अधिकारी कठघरे में
पंजाब के व्यक्ति की ICMR में कई गई शिकायत के बाद खुला फर्जीवाड़ा
एक लाख सैंपल की झूठी जांच से मचा हड़कंप
सैकड़ों जांच में एक ही सैंपल आईडी व मोबाइल नंबर
90 प्रतिशत सैंपल सिर्फ राजस्थान से
मकान नम्बर में भी फर्जीवाड़ा
विपक्ष ने किया हमला
अविकल उत्त्तराखण्ड
हरिद्वार/देहरादून। कोरोना महामारी के दौरान सुपर स्प्रेडर हरिद्वार महाकुम्भ में कोरोना जांच की परतें उघड़ने से यह बात साफ हो गई है कि अधिकारियों ने बहुत कुछ तथ्य छुपा कर रखे। 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक 12 जिलों का पाजिटिविटी रेट 14.18 प्रतिशत था जबकि लाखों लोगों के आगमन के बावजूद हरिद्वार में पाजिटिविटी रेट सिर्फ 2.89 प्रतिशत ही रहा।
अगर अधिकारी सतर्क होते तो यह कोरोना जांच का घपला अप्रैल के पहले सप्ताह में ही पकड़ में आ जाता। लेकिन ऊपर से नीचे तक के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे रहे। और प्रतिदिन के हेल्थ बुलेटिन में हरिद्वार के झूठे कम पाजिटिविटी को दर्शाया जाता रहा। इस गंभीर दर्जे के फर्जीवदेके बाद हरिद्वार महाकुम्भ में कोरोना जांच से जुड़े कई अधिकारी कठघरे में
हरिद्वार कुम्भ के दौरान भी लगातार कोरोना जांच के रिजल्ट पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन महाकुम्भ की सफलता के मद्देनजर इस झूठ पर पर्दा डाला गया।
अब पंजाब के एक व्यक्ति की शिकायत पर ICMR के निर्देश पर जांच शुरू हुई तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। हरियाणा की एक फर्म ने एक लाख कोरोना जांच की थी। इसी में व्यापक गड़बड़ी की पुष्टि हुई है।
हाईकोर्ट ने कुंभ के दौरान प्रतिदिन 50 हजार कोरोना जांच के निर्देश दिए थे।सैकड़ों जांच में एक ही सैंपल आईडी व मोबाइल नंबर पाए गए। 90 प्रतिशत सैंपल सिर्फ राजस्थान निवासियों के लिये गए। और मकान नम्बर में भी फर्जीवाड़ा किया गया।
हरिद्वार कुंभ में आने वालें श्रद्वालुओं के रोजाना 50 हजार जांचें करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने 11 फर्मों को आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन, पंजाब के एक व्यक्ति की शिकायत के बाद विभागीय जांच में एक फर्म की करीब एक लाख जांचें संदेह के घेर में आ गई। विभागीय जांच में एक ही सैंपल आईडी और मोबाइल नंबर से कई लोगों की जांच रिपोर्ट जारी होने की बात सामने आई। जबकि, हर व्यक्ति के सैंपल की आईडी अलग होती है। जांच में यह भी सामने आया कि फर्म ने 90 प्रतिशत सैंपल कलेक्शन की अकेले राजस्थान से किए हंै। यहीं नहीं, सैंपल जांच रिपोर्ट में दर्ज पते भी संदेह हैं। एक ही जगह मकान नंबर क्रमवार लिखे हैं।
विभागीय जांच के बाद अब सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने मामले की जांच हरिद्वार के डीएम को सौंपते हुए 15 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। डीएम मामले की जांच कर रहे हैं। उधर, कुंभ मेला प्रशासन ने भी मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित कर दी है।
*हरिद्वार महाकुंभ-2021 अपडेट – 16 जून, 2021*
*जिला हरिद्वार*
टेस्ट: 600291
केस : 17375
पाॅजिटिविटी रेट: 2.89 %
*उत्तराखंड के अन्य 12 जिले*
टेस्ट: 442432
केस: 62755
पाॅजिटिविटी रेट: 14.18%
मुख्य डाटा निष्कर्ष
1. 1 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच उत्तराखंड राज्य में हुए कुल कोविड-19 टेस्ट के 58 प्रतिशत टेस्ट हरिद्वार जिले में हुए।
2. 1 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच हरिद्वार जिले में पाॅजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 80 प्रतिशत कम था।
*पृष्ठभूमि*
1. महाकुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल 2021 तक आयोजित किया गया।
2. महाकुंभ मेला क्षेत्र हरिद्वार जिले और ऋषिकेश रीजन मे फैला था, जिसमें देहरादून जिले का ऋषिकेश, टिहरी का मुनि की रेती और पौड़ी का स्वर्गाश्रम शामिल हैं।
टिप्पणी और अवलोकन
1. कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार जिले में पहले दिन से अप्रत्याशित रूप से पाॅजिटिविटी रेट बहुत कम था। इस पर मीडिया और अन्य के द्वारा निरंतर जानकारी दी जा रही थी और सवाल भी उठाये जा रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने इस तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया।
2. कुंभ मेला क्षेत्र के कोविड-19 जांच का डाटा और उसके नतीजे सार्वजनिक डोमेन में साझा नहीं किये गये थे। राज्य के हेल्थ बुलेटिन में उत्तराखंड के 13 जिलों के मामलों, जांच, मौतों, रिकवर होने वालों और अन्य सूचनाओं को साझा किया जा रहा था। इस तरह से कुंभ मेला क्षेत्र की पूरी तस्वीर कभी भी उपलब्ध नहीं हो पाई।
3. इस मामले की जो जांच चल रही है, वह सिर्फ प्राइवेट लेबों पर केन्द्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें सभी सरकारी लैब और सभी एजेंसिंयों को कवर करना चाहिए, जो उस दौरान काम कर रहे थे।
4. इस मामले में यदि कोई लैब अथवा अधिकारी दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
5. हरिद्वार में हुई इन कथित अनियमितताओं से पूरे उत्तराखंड का कोविड-19 डाटा संदेह के घेरे में आ गया है।
6. मामले की जांच केवल राज्य सरकार की ऐजेंसियों से न करवाकर न्यायिक जांच करवाई जानी चाहिए।
7. स्थिति साफ हो जाने के बाद उत्तराखंड सरकार को कुंभ मेले कोविड-19 की जांच पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए ।
8. यदि जांच के अंतिम परिणाम के रूप में डाटा में किसी तरह की गलती पाई जाती है तो उत्तराखंड सरकार को इन गलतियों को स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए और जरूरत पड़े तो राज्य के आंकड़ों को बदलने में भी संकोच नहीं होना चाहिए।
9. झूठे आंकड़ों के आधार पर गलत नतीजे महामारी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करते हैं।
10. महामारी के खिलाफ लड़ाई में जनभागीदारी महत्वपूर्ण है। लोगों का मनोबल बढ़ाने और उन्हें कोविड-19 को लेकर उपयुक्त व्यववहार करने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है और इसके लिए पारदर्शिता समय की मांग है।
अनूप नौटियाल
SDC Foundation
देहरादून, उत्तराखंड
विपक्षी दलों ने खोला मोर्चा
हरिद्वार कुंभ मेेेेें कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ मेला प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए गले की फांस बन गई है। यह मामला प्रकाश में आने के बाद विरोधी दलों का कुंभ के सुपर स्प्रेडर बनने का आरोप संबंधी जिन्न फिर से बोतल से बाहर आ गया है। विरोधी दलों सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मामले की सीबीआई और न्यायिक जांच की मांग उठाई है।
पूर्व मख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि रुद्रपुर में भी पहले इसी तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया था। सरकर को इस मामले में अविलम्ब सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीमत सिंह ने कहा कि कोरोना काल में जितनी भी मृत्यु हुई है, उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। पूरे फर्जीवाड़े की सीबाईआई जांच होनी चाहिए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि यदि ऐसा मामला है तो उचित जांच कर दोषियो के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि यदि आंकड़े ही फर्जी होंगे तो कोविड की लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी। जांच हाशिए पर नहीं जानी चाहिए। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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