हेलीकाप्टर क्रैश में घायल जनरल बिपिन रावत जिंदगी की जंग हारे

वायुसेना ने 14 में से 13 की मौत की पुष्टि की , ग्रुप कैप्टेन वरुण सिंह का इलाज चल रहा है

मौसम की खराबी से लगभग 12 बजे हुए हादसे के बाद जनरल रावत की सांसें चल रही थी। उन्हें स्थानीय लोगों की मदद से बाहर निकाला गया। चिकित्सकों ने कई घण्टे तक उन्हें बचाने की कोशिश की। शाम को वायुसेना प्रवक्ता ने जनरल बिपिन रावत के निधन की खबर की पुष्टि की। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि हेलीकाप्टर आग का गोला बन गया था।

अविकल उत्त्तराखण्ड

नई दिल्ली। बुधवार की शाम को वायुसेना प्रवक्ता ने तमिलनाडु के कन्नूर में वायुसेना के हेलिकॉप्टर क्रैश में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी। दोपहर लगभग 12बजे हुए क्रैश में जनरल रावत घायल हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, । जहां उन्हें बचाने की कोशिश की गई। शाम को वायुसेना के प्रवक्ता ने 63 वर्षीय जनरल रावत समेत 13 लोगों की मौत की पुष्टि की। उनके साथ विमान में पत्नी मधुलिका और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों समेत 14 लोग सवार थे. वायुसेना ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. वायुसेना ने कहा कि 14 में से 13 लोगों की मौत हुई है. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का इलाज चल रहा है.

तमिलनाडु के कुन्नूर इलाके में सेना के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की मौत से उत्त्तराखण्ड में शोक का माहौल है। बेहद सुरक्षित MI- 17 v व 5 से सफर कर रहे थे। उनके साथ पत्नी व 14 अन्य लोग सवार थे। सीएम समेत सभी दलीय नेताओं व आम जनता ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख जताया है।

बिपिन रावत मूलतः पौड़ी जिले से ताल्लुक रखते थे। जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को हुआ था।

देखें वीडियो-घायल जनरल रावत को स्थानीय लोग लाते हुए

जीवन परिचय

बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च, 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ। रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में रहे हैं। वे लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुए। रावत की शुरुआती पढाई सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला में हुई। इसके बाद की शिक्षा बिपिन रावत ने इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून से पूरी की। यही नहीं, उन्होंने अमेरिका में वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली।

बिपिन रावत ने सेना से दिसंबर-1978 में जुड़े। सेना को अपनी सेवाएं देने के दौरान बिपिन रावत अनेक पदों पर रहे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून में भी उनकी तैनाती रही। रावत मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट में वे जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2 रहे। लॉजिस्टिक स्टाफ ऑफिसर, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी, डिप्यूटी मिलिट्री सेक्रेटरी, जूनियर कमांड विंग में सीनियर इंस्ट्रक्टर जैसे कई पदों पर वह सेना में रहे।

ऊंची चोटियों की लड़ाई में बिपिन रावत को महारथ हासिल थी और दुर्दांत इलाकों में उन्होंने आतंकवाद व उग्रवादी गतिविधियों से निपटने के लिए कई ऑपरेशन चलाए। बिपिन रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का विशेषज्ञ माना जाता था।

नॉर्थ ईस्ट में चीन से सटे लाइन ऑफ एक्चुएल कंट्रोल पर उन्होंने एक इंफैंट्री बटालियन को कमांड किया। वहीं, कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के वे कमांडिंग ऑफिसर रहे।

2008 में कांगो में उन्होंने यूएन पीसकीपिंग ऑपरेशन में इंडियन ब्रिगेड के चीफ की ज़िम्मेदारी संभाली। अपने अदम्य साहस के लिए रावत को 40 साल से अधिक के सैन्य करियर में कई सेवा मेडल और अवार्ड मिले हैं। यूनाइटेड नेशंस के साथ काम करते हुए भी उनको दो बार फोर्स कमांडर कमेंडेशन का अवार्ड दिया गया।(एजेंसी)

शोक संदेश

दुर्घटना पर सीएम पुष्कर सिंह धामी व उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक , पूर्व सीएम हरीश रावत व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने गहरा शोक व्यक्त किया है अग्रवाल ने हादसे में मारे जाने वाले लोगों के प्रति अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलीकाप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत व अन्य अधिकारियों की आकस्मिक मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्माओं की शान्ति तथा शोक संतप्त परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जरनल रावत के आकस्मिक निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के लिए जनरल रावत ने महान योगदान दिया है। देश की सीमाओं की सुरक्षा एवं देश की रक्षा के लिए उनके द्वारा लिये गये साहसिक निर्णयों एवं सैन्य बलों के मनोबल को सदैव ऊंचा बनाये रखने के लिए उनके द्वारा दिये गये योगदान को देश सदैव याद रखेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत की परवरिश उत्तराखण्ड के छोटे से गांव में हुई। वे अपनी विलक्षण प्रतिभा, परिश्रम तथा अदम्य साहस एवं शौर्य के बल पर सेना के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए तथा देश की सुरक्षा व्यवस्थाओं एवं भारतीय सेना को नई दिशा दी। उनके आकस्मिक निधन से उत्तराखण्ड को भी बड़ी क्षति हुई है। हम सबको अपने इस महान सपूत पर सदैव गर्व रहेगा।

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