युवा साहित्य सृजन व पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करें -राज्यपाल
अविकल उत्तराखण्ड
ऋषिकेश। हिमालय विरासत ट्रस्ट, शाही ब्लूबुक्स दिल्ली तथा हिमालयीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ऋषिकेश परमार्थ में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
शुभारंभ सत्र में उत्तराखंड के राज्यपाल, कुलपति रजनीश कुमार शुक्ल, परमार्थ निकेतन के सच्चिदानंद मुनि, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, लंदन से साहित्यकार रश्मि खुराना अश्विनी जी , हिमालयीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रदीप भारद्वाज एवं कुलपति प्रोफेसर राजेश नैथानी जी उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र का प्रारंभ योगेंद्र नाथ शर्मा ने सम्मानित मंच पर सभी विद्वानों का स्वागत अभिवादन किया । और डॉ निशंक के रचना संसार की यात्रा पर निरंतर चल रही 108 रविवासरीय वेबीनार विचार गोष्ठी का खाका पेश किया।
डॉक्टर निशंक के सृजन यात्रा अवदान एवं मूल्यांकन पुस्तक का विमोचन उत्तराखंड के राज्यपाल के कर कमलों से किया गया।
इस अवसर पर कुलपति हिमालयीय विश्वविद्यालय डॉ राजेश नैथानी ने उत्तराखंड में स्थापित होने वाले लेखक गांव की परिकल्पना को प्रस्तुत किया।
वर्धा से आए कुलपति प्रो रजनीश शुक्ल ने इस बात की घोषणा की की आगामी वर्ष से लेखक गांव के सहयोग से प्रतिवर्ष साहित्यिक महोत्सव मनाया जाएगा।
स्वामी चिदानंद मुनि ने भारतीय ज्ञान-विज्ञान,अध्यात्म,योग, संस्कृति एवं साहित्य से अवगत कराया एवं निशंक के साहित्य के माध्यम से उत्तराखंड का नाम साहित्य संस्कृति के माध्यम से पूरे विश्व में प्रतिष्ठित करने के योगदान की विस्तार से चर्चा की।
डॉ रश्मि खेलगांवकर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय साहित्य के महत्व और उस पर हो रहे कार्यों पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया विश्व स्तर पर हिंदी के महत्व एवं हिंदी भाषा में हो रहे कार्य पर प्रकाश डाला।
डॉ रश्मि खुराना ने निशंक के सृजन यात्रा एवं डॉ निशंक के रचना संसार पर 108 रविवासरीय वेबीनार में उनके साहित्यः उपन्यास, नाटक, कहानी,खंडकाव्य पर हो रहे विचार उन पर हो रहे अनुसंधान के माध्यम से राष्ट्रभाषा हिंदी के गौरव गाथा पर अपनी अभिव्यक्ति को प्रस्तुत किया।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति रजनीश शुक्ला ने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को विश्वविद्यालय की ओर से डी0लिट0 की उपाधि उत्तराखंड राज्यपाल , स्वामी चिदानंद मुनि एवं सम्मानित मंच के कर कमलों से प्रदान की । और उनके द्वारा किए गए राष्ट्रहित साहित्य का भी विवरण प्रस्तुत किया। यह उपाधि डॉ निशंक को राष्ट्रपति और शिक्षा मंत्रालय के अनुमोदन के पश्चात दी गई है।
सेवानिवृत्त मेजर जनरल गुरमीत सिंह राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में डॉ निशंक की सृजन यात्रा एवं उनकी रचना संसार पर निरंतर चली आ रही व्याख्यान मालाओं एक विश्व रिकॉर्ड के लिए शुभकामनाएं दी। भारतीय दर्शन, साहित्य,संस्कृति, विभिन्न पहलुओं, क्षेत्रों व विषयों पर नवयुवकों को साहित्य सृजन की प्रेरणा दी।
राज्यपाल ने साहित्य सृजन एवं पर्यावरण पर कार्य करने पर बल दिया।
उद्घाटन सत्र के इस अवसर पर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सम्मानित मंच एवं सभागार में उपस्थित देश विदेश से उपस्थित साधकों साहित्य सृजन कर्ताओं का हृदय की गहराइयों से अभिवादन किया एवं सभी से साहित्य सृजन कर अपनी संस्कृति को विश्व के उच्चतम स्तर पर ले जाने की बात कही।
मंच संचालन डॉक्टर योगेंद्र नाथ अरुण एवं आर जे काव्य ने संयुक्त रूप से किया।
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