कोटद्वार के खंडहर में मिले 50 साल पुराने तथ्यों ने नरकंकाल से जुड़ी गुत्थी को और भी उलझा दिया है। सस्पेंस व थ्रिल से भरे उपन्यास की तरह नरकंकाल की कहानी में नया मोड़ आ गया है। एडिशनल एसपी प्रदीप राय ने कहा कि वरिष्ठ व जानकार नागरिकों से उस दौर की जानकारी का पुलिस स्वागत करेगी। इस नरकंकाल के बाबत पूरी तफ्तीश कर सच सामने लाने का पुलिस पूरी कोशिश करेगी। नरकंकाल की कंप्यूटर इमेज भी बनायी जाएगी।
अविकल उत्त्तराखण्ड
कोटद्वार। मस्जिद के सामने खंडहरनुमा इमारत से मिले नरकंकाल की कहानी किसी रहस्य,रोमांच, थ्रिलर फिल्म की कहानी सुनाती नजर आ रही है। खंडहर में नरकंकाल के पास मिले सालों साल पुराने तथ्यात्मक प्रमाण मिलने से पुलिस को भी आधी सदी पीछे जाने पर मजबूर कर दिया। नरकंकाल की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को कई सिरे व पुराने सम्पर्क जोड़ने होंगे।
हालांकि, इस खंडहर में पिछले 10 साल से कोई नही रह रहा था। लिहाजा,नरकंकाल मिलने के बाद पुलिस की शुरुआती जांच बीते 10 या 15 साल के खंडहर में हुए मूवमेंट पर टिक गई थी।
लेकिन नरकंकाल के इर्द गिर्द सितम्बर 1971 की मनोहर कहानी पत्रिका का मिलना चौंका गया। यही नही,पुलिस को राष्ट्रीय हिंदी दैनिक हिंदुस्तान का 15 जनवरी 1974 का अंक भी मिला। लगभग 50 साल पहले कोटद्वार में हिंदुस्तान अखबार के कई पाठक थे। अक्सर हिंदुस्तान में लॉटरी के रिजल्ट छपने की वजह से भी लोग इस अखबार का इंतजार करते थे।
70-80 के दशक में मनोहर कहानियों का भी एक विशेष पाठकवर्ग हुआ करता था। लगभग 50 साल पुरानी इन् पत्र पत्रिका में उस दौर में काफी बिकने वाले केयो कार्पिन तेल का विज्ञापन भी छपा है।
इसके अलावा 70 के आस पास इस इलाके में अवैध शराब की बिक्री भी जोरों पर थी। नरकंकाल के आस पास एक टिंक्चर की शीशी भी मिली। शीशी पर लगा कागज का रैपर काफी गल चुका था। लेकिन फिर भी शीशी पर अंग्रेजी में weak ticnture लिखा हुआ है। साथ ही कुछ शब्द फटने के बावजूद यह पता चल रहा है कि यह टिंक्चर सहारनपुर की किसी लैबोरेट्री में बना। कांच की बोतल में कहीं पर धुंधला से ethyle भी पढ़ने में आ रहा है।
इसके अलावा जूते भी मिले। कुछ फट चुके पुराने कपड़े भी मिले। इन तथ्यों के मिलने के बाद पुलिस भी खासी पसोपेश में है। पुलिस को नरकंकाल के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का इंतजार है। अपर पुलिस अधीक्षक प्रदीप राय प्रदीप राय कहते हैं कि डीएनए करवाया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रदीप राय यह भी कहते हैं कि नरकंकाल की उलझी गुत्थी सुलझाने के लिए पुराने बाशिंदों को सालों पहले इस इमारत में रहने वालों की जानकारी शेयर करनी चाहिए। ताकि, इस हत्या की गुत्थी सुलझाई जा सके।
पुलिस अधिकारी प्रदीप राय का कहना है कि वे नरकंकाल के आकार के हिसाब से कंप्यूटर इमेज बनाने की भी कोशिश करेंगे। हालांकि, बीते दस साल से खंडहर में कोई नही रहता लेकिन 50 साल पुराने अखबार व पत्रिका मिलने से पुलिस की जांच को कई साल पहले के कोटद्वार से शुरू करनी होगी। इसमें पुराने व जानकार नागरिक पुलिस की मदद कर सकते हैं।
बहरहाल, कोटद्वार में हटाये जा रहे अतिक्रमण के शोर में नरकंकाल की कहानी ने पुलिस व लोगों को 50 साल पीछे जाकर सोचने व पड़ताल करने पर मजबूर कर दिया है। खंडहर में मिली मनोहर कहानी, टिंक्चर व हिंदुस्तान अखबार की कटिंग ने नरकंकाल से जुड़े सस्पेंस, थ्रिल को कई गुना बढ़ाते हुए माथे पर पसीने की बूंदे तो छलका ही दी है।
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