2022 के विस चुनाव से पहले ब्राह्मण अध्यक्ष बनाने की छेड़ी मुहिम
पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय व गणेश गोदियाल का नाम बढ़ाया
नेता प्रतिपक्ष को लेकर खींचतान । विधायक कुंजवाल,माहरा , निजामुददीन के नाम की चर्चा
दिल्ली पहुँचे कांग्रेसी विधायक, हाई वोल्टेज मीटिंग से निकलेगा अमृत ?
अविकल उत्त्तराखण्ड
दिल्ली/रामनगर। कोरोना की तीसरी लहर की आहट और दहशत के बीच भाजपा रामनगर में चिंतन और कांग्रेस दिल्ली में मंथन कर रही है।
रामनगर की चिंतन बैठक में भाजपा के समंदर में ऊपरी तौर पर कोई लहर नहीं दिख रही। लेकिन दिल्ली में कांग्रेस के मंथन और दंगल आपस में गुत्थ से गये हैं।
फिलहाल अभी बात सिर्फ कांग्रेस की। नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद उत्त्तराखण्ड कांग्रेस के समीकरण देहरादून से दिल्ली तक उलट पुलट गए हैं। 2014 के बाद कांग्रेस नेता सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा के भाजपा में जाने के बाद सिर्फ इंदिरा ह्रदयेश ही हरीश रावत को चुनौती देती नजर आती थी। राज्य गठन के बाद कई मर्तबा इंदिरा के विरोध के चलते ही हरीश रावत के मन की नहीं हुई।
चूंकि, इंदिरा ह्रदयेश के बाद अब कांग्रेस के अंदर हरीश रावत को कड़ी चुनौती देने वाला नेता नहीं दिख रहा है। हालांकि, पार्टी का एक गुट हरीश रावत को दिल्ली में अभी भी चुनौती दे रहा है। लेकिन कांग्रेस की बदली राजनीति के तहत हरदा ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए प्रदेश अध्यक्ष बदलने के लिए जोर लगा दिया है।
हालांकि, दिल्ली की बैठक में नये नेता प्रतिपक्ष के चयन पर माथापच्ची चल रही है लेकिंन हरीश रावत दूर की कौड़ी चलते हुए प्रदेश संगठन में फेरबदल की कोशिश में जुट गए हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरीश रावत संगठन पर निशाना साध कई मसले एक साथ साध लेने के मूड में है। इसी गणित के तहत वे पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय व गणेश गोदियाल के नाम को आगे बढ़ा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि प्रीतम सिंह की जगह नये चेहरे की वकालत कर रहा हरीश गुट नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को इज्जत का सवाल नहीं बना रहा है। 2022 की जंग में उलझी कांग्रेस नेता दिल्ली में डटे हैं और इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद नये नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन व दंगल दोनों चल रहा है।
विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, करण माहरा, निजामुददीन को नेता प्रतिपक्ष के प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है। इधर, यह भी खबर है कि हरीश समर्थकों ने केंद्रीय नेतृत्व को कह दिया है कि ब्राह्मण को अध्यक्ष बनाने पर वे नेता प्रतिपक्ष पर कोई डिमांड नहीं करेंगे। कांग्रेस के विधायक भी दिल्ली में डटे हैं।
पार्टी अध्यक्ष प्रीतम सिंह पहली बार बिना इंदिरा के सपोर्ट के स्वंय अपनी जंग लड़ रहे हैं । हरीश के पुराने सेनापति पूर्व विधायक रणजीत रावत समेत अन्य नेताओं का हाथ प्रीतम सिंह के साथ है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की स्वर्गीय इंदिरा ह्रदयेश से जुड़े प्रीतम सिंह ग्रुप से ज्यादा पटरी मेल खाती नजर आयी है।
कुर्सी उलटने व पलटने के खेल की अहम जंग लड़ रहे पूर्व सीएम हरीश रावत ने दिल्ली में पूरी चौसर बिछाई हुई है….राजनीति की बिसात पर किसका मोहरा बाजी पलटता है…इसी पर नजरें टिकी है
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