पुण्य तिथि- लोदी रोड में बहुगुणा जी

विवेक शुक्ला,वरिष्ठ पत्रकार


जोर बाग मार्किट के लगभग सामने है लोदी रोड का 21 ब्लॉक का फ्लैट नंबर 93। इसके आगे कुछ बच्चे खेल रहे हैं और महिलाएं गप कर रही हैं। यकीन मानिए कि ये कोई सामान्य फ्लैट नहीं है। इधर कभी दिन-रात रहती थी गहमा-गहमी।
सफेद-कुर्ता पायजामा या धोती पहने लोगों की आवाजाही लगी रहती थी। ये फ्लैट 1984 के लगभग अंत में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को स्वाधीनता सेनानी कोटे में आवंटित हुआ था।

25 अप्रैल 1919-17 मार्च 1989

वह उनके राजनीतिक जीवन का संध्याकाल था। वे इलाहाबाद में 1984 का लोकसभा चुनाव अमिताभ बच्चन से बुरी तरह से हारने के बाद निराश थे। वे 81 लोदी एस्टेट के बंगले को खाली करके 21/93 लोदी रोड में आए थे। उसी लोदी एस्टेट के बंगले में बैठकर उन्होंने राजेश खन्ना को फोन किया था कि वे उनके पक्ष में इलाहाबाद में कैंपेन करें।
राजेश खन्ना तब राजनीति में नहीं थे। उन्होंने बहुगुणा जी के आग्रह को विनम्रता से अस्वीकार कर दिया था। अजीब संयोग रहा कि राजेश खन्ना को आगे चलकर 81 लोदी एस्टेट का बंगला ही मिला।

खैर, बहुगुणा जी के साथ रहते थे उनके जीवनभर निजी सचिव  रहे रहमान साहब और भोजन पकाने वाले सज्जन दिलीप सिंह। फ्लैट के बाहर हिन्दी,उर्दू और अंग्रेजी की नेम फ्लेट लगी हुई थी। जो शख्स लुटियन दिल्ली के बड़े विशाल बंगलों या फिर लखनऊ के कालीदास मार्ग में रहा हो,उसे लोदी रोड के तीन कमरों के फ्लैट में रहना पड़ रहा था।

लेकिन बहुगुणा जी उन विपरीत दिनों और हालातों में भी फिर से देश की राजनीति में प्रासंगिक होने की रणनीति बना रहे थे। यहां पर ही देवीलाल, मुलायम सिंह यादव और हरिकेश बहादुर जैसे अनेक नेताओं का बहुगुणा जी के पास आना जाना लगा रहता था। वे देश भर का दौरा करने की योजना को भी अंतिम रूप दे रहे थे।

उनसे लगभग हर शाम को ‘इंडिया इज इंदिरा’ कहने वाले देवकांत बरूआ भी कुछ वक्त  बिताने के लिए आ जाते। वे भी लोदी रोड के 21 ब्लाक के ही एक फ्लैट में रहते थे। दोनों पुराने मित्र थे। आधे-पौने घंटे तक दोनों नेता गप शप करते।

फिर बरूआ जी अपने फ्लैट की तरफ अकेले ही निकल लेते लाठी पकड़कर। उन्हें भी स्वाधीनता सेनानी कोटे से सरकारी फ्लैट आवंटित हुआ था। पर इससे पहले कि बहुगुणा जी देश के दौरे पर जाते वे अचानक से 1988 में अस्वस्थ हो गए। उनकी सेहत खराब होने लगी। जाहिर है कि उनके चाहने वाले इस कारण से बहुत चिंतित हो गए।

राजधानी के कुछ डाक्टरों से सलाह लेने के बाद वे बाई पास सर्जरी के लिए अमेरिका चले गए। ये बात फरवरी 1989 की है। उनके अमेरिका जाने के बाद लगा कि वे वहां से स्वस्थ होकर वापस आएँगे और फिर से सक्रिय हो जाएंगे। उनकी अनुपस्थिति में भी उनके साथी-सहयोगी 21/93 लोदी रोड दिन भर आते रहते। जो आता वह चाय और नाश्ता करके ही जाता।पर 17 मार्च 1989 को उनकेअसामयिक निधन की खबर आ गई। ये अप्रत्याशित घटना थी। बहुगुणा जी तब सिर्फ 69 साल के थे। अमेरिका से बहुगुणा जी का पार्थिव शरीर इसी लोदी रोड के फ्लैट में लाया गया। दो साल के बाद 1991 में लोकसभा का चुनाव हुआ और राजेश खन्ना नई दिल्ली सीट से कांग्रेस की टिकट पर लड़े। वे तब इसी घर में बहुगुणा जी की पत्नी कमला जी से मिलने के लिए आए। उनसे आग्रह किया कि वे उनके समर्थन में अपील जा कर दें।
कमला बहुगुणा जी ने यह किया भी। बहुगुणा परिवार ने 1991 में ही 21/93 लोदी रोड को खाली कर दिया। पर अब भी बहुगुणा जी के मित्र और प्रशंसक इधर से गुजरते हुए कुछ पलों के लिए  रूक जाते हैं।

विवेक शुक्ला की गिनती बेहतरीन पत्रकारों में होती है। कई बड़े संस्थानों में काम कर चुके हैं। उनकी लेखन शैली विशेष प्रभावित करती रही है। वर्तमान में विवेक शुक्ला दिल्ली में रहकर लेखन व पत्रकारिता में व्यस्त हैं।

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